रिटायरमेंट

ज़िंदगी की समस्या
ज़िंदगी को जब हम नजदीक से देखते हैं। तो शायद ही कोई होगा जिसकी ज़िंदगी में समस्या ना हो।
क्या आपको ऐसा लगता है?अगर आपकी समस्या बड़ी है। तो उसे सुलझाने के लिए आप को कुछ बहुत बड़ा ही करना पड़ेगा। पर ऐसा नहीं होता समस्या चाहे कितनी भी बड़ी हो पर समाधान ज्यादा बड़े नहीं होते। यह ज़िंदगी का अनमोल मंत्र है। बड़ी से बड़ी समस्या छोटे छोटे यत्नों से हल कर सकते हैं।


चाणक्य
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ जरूर होता है
यह एक कड़वा सच्च है

मार्टिन लूथर किंग जूनियर
सही चीज को करने के
लिए समय हमेशा ही
सही होता है।

स्वामी विवेकानंद
वो कायर है जो कहता है।
ये किस्मत का खेल है।
वह मजबूत है।
जो खड़ा होकर कहता है।
मैं अपना भाग्य खुद बनाऊँगा।


ज़िंदगी जरा नजदीक से
ज़िंदगी में हर वक्त कभी भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं रहे। हमेशा अपने अधिकारों के प्रति बेपरवाह ,काम के प्रति बेपरवाह ,अपने संसाधनों के प्रति बेपरवाह रहे।
यह सोच कर अरे छोड़ो ना क्या साथ ले कर जाएंगे। साथ तो कोई भी नहीं ले जा सकता परंतु जब तक हम जींद हैं तब तक तो हमें भी उन सबकी जरूरत होगी।
जब हमको ऊपर वाले ने भेज था तब कहा जाओ मेरी बनाई हुई दुनिया में जाओ ,देखो कितनी खबसूरत बनाई है। और तुम उसमें कितना सहयोग करते हो।
याद रखना वापिस दुनिया छोड़ने से पहले उसे खराब कर के मत आना।
जीतने अच्छे से जी सकते हो,खुश रह सकते हो,खुश रहना क्यों कि इस दुनिया में खुश रहने ही आए हो। फिर तुम इस ददुनिया से खुशी से मस्त हो कर जा पाओगे।