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अनचाही यादें

जो बातें भूलना चाहे,

वह चाहे अनचाहे याद आती हैं।

बुरा हो इस याददाश्त का,

वह उनको भुलाना पाती हैं।

भुलाए कैसे उन बातों को,

कलेजा छलनी कर देती।

याद जब भी वो आती हैं।

आंखें वो नम कर जाती हैं।

दिए जो जख्म तुमने जब,

वह अब भी याद आते हैं।

चलो सब देख लिया हमने,

पता सब हमको चल ही गया।

अगर यह पहले जान लेते,

तो इतना बवाल नहीं होता।

करीं सब बातें जिस तरह,

वह मंजर याद आते हैं।

जो बातें भूलना चाहे,

वह चाहे अनचाहे याद आती हैं।

क्यों तुमने यह न समझा,

कि दिल तो हम भी रखते हैं।

तुम्हें अपने ही दिल में हम,

खास जगह पर रखते हैं।

करे तुमने दिल के टुकड़े-टुकड़े,

वो अब बिखर ही जाते हैं।

जिन बातों को भूलना चाहते,

वह भूल नहीं पाते हैं।

वह सब बातें जब याद आती हैं,

एक कविता बन जाती है।

जाने शब्द कहां से आते हैं,

कलम चलती ही जाती हें।

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