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आजकल मेरे सपने मुझे सोने नहीं देते

मेरे सपने 

जब आप अपने सपने देखते हैं। सबको अपने सपने पूरे करने का हक़ हैं। जिसे आप से कोई नही छीन सकता सपने पूरे करने की सोचेंगें ।

तब कोई ना कोई आप को पीछे खींचेगा।ओर सपने पूरे करने से रोकेगा। अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने दिल की सुनों ।तो सपने पूरे होने की उम्मीद है।

सुनो अपने दिमाग की ।ओर यू नींद उड़ा दी हो ।समझ लीजिए आप अपने सपनों को पूरा करने को तैयार हैं।

टर्न तो भूल कर मत लेना।सब लोग यही चाहेंगे कि तुम वापिस हो जाओ। अपने सपनों से भटक जाओ। पर तुम ऐसा सोचना भी नहीं ।

जो तुम करना चाहते हो उसे कर के ही दम लेना।पर सपने तब ही पूरे होते हैं जब उन्होंने आपकी नींद उड़ा दी हो |तब समझ लेना आपके सपने पूरे करने का वक्त आ गया हें।

आजकल मेरे सपने, मुझे सोने ही नहीं देते।

सपनों के बीच मेरे अपने, हैं वह पूरा होने नहीं देते।

कुछ लिखना चाहती हूं, कुछ कहना चाहती हूं।

जीना चाहती हूं ,अपने लिए कुछ अलग करके खुश हो जाऊं।

पर नहीं पसंद किसी को लिखना, वह लिखने नहीं देते।                                                        

आजकल मेरे सपने ,मुझे सोने नहीं देते। 

पोते पोती की ना पूछो,कहते हैं कितना लिखोगे आप।

भरती ही जाओगी डायरिया, रजिस्टर और कॉपियों को।

खेलो हमारे साथ, छोड़ो यह लिखना विखना।

अपने साथ बिठाकर, वह कुछ नहीं सोचने देते हैं।

आजकल मेरे सपने मुझे सोने नहीं देते हैं।

बच्चे भी मेरे कहते हैं, क्या करना मैंने शुरू किया?

बिजनेस छोड़ा, मिलना छोड़ा, जब से लिखना शुरू किया.

प्यार तो बहुत करते हैं, मगर अकेला नहीं रहने देते।

आजकल मेरे सपने, मुझे सोने नहीं देते।

चाहती तो हूं, सब उतार दूं ,जो खोया पाया जीवन में।

तस्वीर खींच दूँ कागज पर, अपनी तमाम जिंदगी की।

पर लिखने के लिए जरूरी है,शांत अकेलापन मुझको।

सब कुछ दे देते हैं मुझको, बस यही नहीं वह देते हैं।

आजकल मेरे सपने, मुझे सोने नहीं देते हैं|

यह सब लिखकर मैं, खुद तो बहुत खुश होती हूं।

अपने दिल की हर बात पर मैं,| गदगद सी हो लेती हूं।

मेरा दिल तो खुली किताब, वह बताने भी नहीं देते।

आजकल मेरे सपने मुझे, सोने भी नहीं देते।

सपनों के बीच मेरे अपने, वह पूरा होने नहीं देते।

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