मैंने जो मोहब्बत के बारे में लिखा। तो बताया कि यह मोहब्बत हमारे तुम्हारे जमाने की हें ।
लेकिन आज के जमाने में ऐसी मोहब्बत नहीं होती । आज मोहब्बत की परिभाषा बिल्कुल अलग हें ।
हम देखते हें। तो लगता हें की यह आज की पीढ़ी को क्या हो गया । ये सिनेमा ,ये नाटक ,और ये आजकल की सीरिज़ क्या परोस रही हें । आज की पीढ़ी को क्या बनाना चाहते हें । क्या ये कोई साजिश हें । आज के नौजवानों को भटकाने के लिए ये सब मिलकर क्या कर रहे हें ? मैंने इसी विषय पर कुछ लिखा हें ।

आज की मोहब्बत
प्यार मोहब्बत की बातें ,यह सब किस्से पुराने हैं। प्यार तो करते हैं पर,करने के अंदाज़ सुहाने हैं। जिस दिन मिले, जब मिले, सोचते हैं प्यार हो गया।
मुलाक़ातें बढ़ने लगी, वह घूमने फिरने झूमने लग गया। रोज पार्टी, रोज मिलना ,बाकी सब कुछ ना रह गया।

ना कोई शर्म, ना कोई बंधन, खुल्लम-खुल्ला हो गया। आज इश्क है ,कल वह किसी हवा, में छूमंतर हो गया।
आज इससे था ,कल दूसरी से, फिर चालू हो गया। इश्क तो लगता है उन्हें, पर भावनाओं के बिना। प्यार तो करते हैं, पर रोक टोक के बिना। यह कैसी मोहब्बत है, ना प्यार है, ना अपनापन है। सिर्फ स्वार्थ पर टिकी हुई, जरूरत और लड़कपन है। कैसे समझेंगे बिना भावनाओं के, प्यार नहीं होता। यह तो सिर्फ एक लगाव है, इस तरह प्यार का इज़हार नहीं होता।

आज वह सुंदर लगी ,उससे दोस्ती को प्यार समझ गये। कल दोस्ती टूट गई, तो किसी और को ढूंढने लग गये। गाली और शराब की पार्टी ,आज यह सब आम हो गई। इनके चलते ही आज मोहब्बत, सब में बदनाम हो गई। उनके नशे में मोहब्बत नहीं, दिखावा ज्यादा है।
