औरतों की जिंदगी आसान नहीं होती।
औरतों की जिंदगी आसान नहीं होती।

उनके बिना घर अधूरा होता है।
ना दिखे तो कुछ भी ना होता है।
घर में वह रहे,क्या यही काफी है?
उनके बिना ना सांझ, ना सवेरा होता है।
घर की रौनक होती है,
जब दुखी होती है।चिंता सबको होती है।
सबको अपने कामों की पड़ी,
किसी को उनकी खबर नहीं होती।
वही पूरा घर मैनेज करती है,
बजट से लेकर, घर तक।
कोई ना समझता उनको,
बस सब की जरूरत होती है।
जब से पैदा होती है,
वह सिर्फ हुकुम ही सुनती है।
यह मत करो, वहां मत जाओ।
उससे ना तुम बात करो,
यहां ना खेलो, वहां ना घूमो,
काबू में खयालात करो।
बड़ी होने पर बंदिशें बढ़ा दी जाती हैं।
सारे दिन खास हिदायतें दी जाती हैं।
हमारे देश भारत चाहे कितना भी बदल जाए।
पर औरत अभी तक वैसी ही रहती है।
पुरुष प्रधान देश में जब देखते हैं|
गर कर ले थोड़ी सी तरक्की,
तो पुरुषों की आंख में खटकती है।
चाहे कितना पढ़ लो, लिख लो।
कुछ ना कभी बदलेगा,
भाग्य बदलने से क्या देश बदलेगा?
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
यह तो हर जगह लिखा होता।
पर आज भी देखती हूं,
यह बहुत सी लड़कियों को पता नहीं होता।
कितने लोग सोचते हैं,
अपने घर की औरतों के बारे में,
चाहे कितने दर्द हो रहे हो।
चाहे कितने कष्ट उनके बारे में,
पता भी नहीं होता,
कि वह तन से दुखी है, या मन से।
पता भी नहीं चलता कि वह क्या चाहती है?
और कैसे जिंदगी औरत की,
घर से शुरू होकर घर में खत्म होती है।
उनकी जिंदगी के बारे में,
सोचने की जरूरत घरवालों को होती है।
सारी चिंता सब कामों की है,
चाहे नौकरी, चाहे हाउसवाइफ हो।
सब काम उनका है।
औरतों की जिंदगी आसान नहीं होती