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कहानी डर की




यह कहानी नहीं हकीकत है। दर कितनी बार हमें ज़िंदगी का नुकसान पहुंचा सकता है।

डर तो डर ही होता है। वह चाहे कोरोना का हो या किसी भी बीमारी का।

कोरोना का डर पर मैंने पहले भी 2 पोस्ट लिखी हें। यह मेरी 3 पोस्ट है। मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि कोरोना के डर से किसी को नुकसान न होने पाए।

डर कैसे काम करता है यह मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर बता रही हूं। उदाहरण के द्वारा समझ रही हूँ। डॉक्टर आर एस गुप्ता जी जो कि पेशे से डॉक्टर थे। उनके दिल में कुछ ब्लॉकेज बताई गई।

और उनको कहा कि आपको कोई बड़ी परेशानी हो उससे पहले आप अपना बाईपास करवा लीजिए। वह भी पेशे से डॉ थे, उनको यह यह बात समझ आ गयी कि उन्हें यह बाईपास शीघ्र ही करवा लेना चाहिए।

जिस दिन वह हॉस्पिटल में एडमिट होने जा रहे थे। हमारे अच्छे फैमिली फ्रेंड थे। मेरे पति अपने दोस्त के साथ उनसे मिलने उनके घर गए। उन तीनों ने मिलकर खाना खाया। हँसी मजाक किया। जब वह बाहर छोड़ने आए तब सब आपस में गले मिले।

परंतु जब वह बातें कर रहे थे। तब बातों-बातों में उन्होंने यह बताया यार मैं बाईपास तो करवा रहा हूं।कहीं ऐसा न हो कि बाईपास होने के बाद मेरे टांको से ब्लड आ जाये। और उन्हें फिर से उसे ठीक करना पड़े ।और ब्लड आने से मेरे ऑर्गन फेल ना हो जाए।

मुझे इस बात का डर है।वैसे तो मैं ऑपरेशन मेदांता हॉस्पिटल में करवा रहा हूं। यह सबसे अच्छा हॉस्पिटल है। परंतु फिर भी मेरे मन में यह डर है। उस समय तो किसी ने इस बात को ध्यान नहीं दिया।

परंतु हम लोग किताब पढ़ते रहते हैं। तब हम आपके अवचेतन की मन की शक्ति पढ़ रहे थे।तब मेरे पति ने मुझे इस बारे में बताया कि डॉक्टर साहब डर रहे हैं । जो कि अच्छा नहीं है। अगर यह डर उनकी अवचेतन मन में पहुंच गया। तो उन को परेशानी हो जाएगी।

परंतु दुख इस बात का है, हम उसके बाद उनसे मिल नहीं सके । उनसे हम बात भी नहीं कर सके।

अगले दिन वह अस्पताल में एडमिट हुए। ऑपरेशन सफल हो गया। परंतु एक दिन बाद ऐसा ही हुआ जैसा वह डर रहे थे। कि उनके टांकों से ब्लड बाहर आने लगा। डॉक्टर ने बोला दोबारा ऑपरेशन करना पड़ेगा। उस दिन पता चला जैसे-जैसे डर उनके मन में बैठा था। वैसा वैसा होता चला गया। उनके सारे ऑर्गन फेल हो गए। और वह हम सब को छोड़ कर इस दुनिया से चले गए।यह घटना 2013 की है ।

अगर हम उन्हें अस्पताल में मिल जाते हो तो शायद ऐसा नहीं होता। और हमें इस बात का दुख हमेशा रहता है।

मेरा मकसद आपको डराने का नहीं बल्कि यह बताना है कि जब कोरोना हो जाता है। तब लोग यह सोचते हैं। आज बुखार हो रहा है अब खांसी होगी। अब ऐसा होगा फिर वैसा होगा। ऐसा ना हो मुझे अस्पताल जाना पड़ जाए। ऑक्सीजन की जरूरत ना पड़ जाए । ऐसा नया हो कि मुझे ऑक्सीजन न मिले।बस यही सोचते सोचते वह बहुत ज्यादा बीमार हो जाते हैं।और यह डर ही उन्हें ज्यादा मुश्किल में डाल देता है।जब की हकीकत में इतनी परेशानियां नहीं होती है।

जब यह सिर्फ उन का डर है। ऐसा कुछ नहीं होता। पर जो tv और youtube तथा whatsapp पर चिल्ला चिल्ला कर इस डर का प्रसार किया जा रहा है। वह बंद होना चाहिए। आप देखेंगें कि बीमारों की संख्या भी कम होने लगी। और दुनिया छोड़ कर जाने वाले भी कम हो जाएंगे। यह डर ही है जो हमें पहले ही ज्यादा बीमार कर देता है। बेवजह हमारा अवचेतन मन डर की वजह से यह सारे रूट बना देता है।और फिर वही होता है जो हम सोचते है। या हम सोच कर डरते हैं। की कहीं ऐसा ना हो जाए। आप सोचिए की एक डॉक्टर हो कर वह अपने को इस डर से नहीं बचा पाए।

आप से मेरा यही अनुरोध है कि आप कोरोना से जुड़ी कोई भी खबर ना देखें । और ना ही सुनें । एवं ना ही उस पर गौर करें। अगर आप का कोई रिश्तेदार या जानकार कोई खबर बताता है तो भी उसे हाथ जोड़कर कह दें की मुझे कोई अच्छी खबर है तो बताएं । मुझे कोरोना के बारे में कुछ नहीं सुनना।एक बार यह भी कर के देखिए। आप का ध्यान धीरे धीरे यहाँ से हट जाएगा। और आप स्वस्थ होने की ओर एक सकारात्मक कदम उठा पाएंगे।

इस पोस्ट को लिखने का मकसद सिर्फ और सिर्फ आप की सेहत एवं स्वास्थ्य अच्छा रहे । यही मेरी मनोकामना है। मैं आपका ध्यान इस ओर लाना चाहती हूँ । बहुत ज्यादा ज्ञान भी हमारे डर का कारण होता है। अगर उन्हें यह जानकारी नहीं होती की बाईपास करने से यह परेशानियाँ भी आ सकती है ,तो उसके साथ यह सब नहीं होता। ना ही उन्होंने वह सब सोच होता । आप समझ गये होंगे कि ज्यादा ज्ञान भी कभी कभी कितना घातक हो जाता है।

डॉक्टर जोसेफ़ मर्फ़ी जिन्होंने अपनी किताब आपके अवचेतन मन की शक्ति लिखी है। उनके अनुसार डर हमारे मन एवं दिमाग में एक नक्शा बना देता है।

इसे मैँ आप को एक उदाहरण के साथ समझ सकती हूँ । जैसे हम कार ले कर जब घर से निकलते हैं । तब जैसे ही हम कार मैँ बैठते हैं तब हमें यह पता होता है कि हम को कहाँ जाना है। और हमारा दिमाग पहले से ही नक्शा बना लेता है। कि घर से बाहर निकलते ही हमें किस दिशा मैँ जाना है । सीधे हाथ जाना है या उलटे हाथ मुड़ना है । हमारी आखिरी मंजिल कहाँ है ।

वैसे ही हमारा डर भी अपने हिसाब से एक नक्शा बना लेता है । और यह हमारे दिमाग मैँ बैठ जाता है ।

डर क्या है ?

डर जो हमें अस्पताल के सीन में दिखाया जाता है । लोग वहां कैसे मर रहे हैं । वहाँ के हालात कितने खराब हैं । शमशान का हाल कितना बुरा है । अंतिम क्रिया के लिए स्थान का ना होना । यह सब बातें हमें परेशान करती है । और डराती हैं । रोज हमारे न्यूज चेनल का यह बताना की कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा कहाँ पहुँच गया ।

तो मैँ सिर्फ यह कहना चाहती हूँ की हमको इन आंकड़ों का क्या कर ना है। क्या उनको यह आंकड़ा दिखाना जरूरी है । जो हम सब में मौत के इस तांडव को फैला रहा है ।इसका मुख्य श्रेय हमारे न्यूज़ चैनल को जाता है । उन्होंने चीख चीख कर लोगों को रोज यह बता कर लोगों के मन में यह डर बैठाया है ।

आप सबसे पहले कोरोना से संबंधित न्यूज़ देखना बंद कर दीजिए । अगर आप न्यूज़ नहीं देखेंगे तो आप अपने को स्वस्थ रखने में कामयाब हो जाएंगे । आप से निवेदन है की आप सिर्फ कोरोना की कोई भी खबर ना देखे ना सुने ।

हम सब को मिलकर कोरोना के डर से जीतना है । यही मेरा लक्ष्य है ।

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