क्या तुम खुश हो?
अपनों से, अपने सपनों से,
वादों से ,अपने सोचे हुए इरादों से।
अपनी सफलता से, ऊँचाइयों से,

अपनी आदतों से, जज्बातों से।
क्या तुम खुश हो?
जिंदगी को की छोटी-छोटी ख़ुशियों में। अपने सब छोटे-छोटे कामों में ।
अपने सब कामों के परिणामों में। क्या तुम खुश हो?
जो तुम्हें सताते हैं, रुलाते हैं, ज्यादा सोचते तो नहीं,जो सुचवाते हेँ ।
जो तुम नहीं चाहते, वह करवाते हैं। दिल को तुम्हारे हर रोज दुखाते हेँ ।
क्या उन्हें भूल कर तुम खुश हो?
क्या तुम उन्हें माफ कर खुश हो?

खुश होना सीख लो, यह सब होता रहेगा।
इसी अंदाज़ में जीना सीखना होगा।
इसी में खुश होने की वजह देखना होगा । अब बताओ क्या तुम खुश हो ?
सब कामों को पूरा करके, अपनों को हमेशा साथ रखके।
उनके दुख सुख में खड़े होके। फिर क्यों तुम खुश नहीं हो?
बताओ ना क्या तुम खुश हो?
सोचो ना क्या तुम खुश हो?
देखो ना क्या तुम खुश हो? जिंदगी में सब कुछ पाकर,
अपने सारे गमों को भुलाकर। जो नहीं पसंद उन्हें माफ कर,

अपने दिल से उन्हें प्यार कर।
फिर दिल बोलेगा महसूस कर।
क्या तुम खुश हो?
हां मैं बहुत खुश हूं।
हां मैं बहुत खुश हूं।