अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022

उम्र 35 की हो या 65 की ,
क्या फर्क पड़ता है?
बाल काले किए हैं, या सफेद हो गए हों।
क्या फर्क पड़ता है ?
सारा मसला तो सोच का है,
अभी बूढ़े हो या नादान,
जान गए हो जिंदगी को,
या अभी भी हो अनजान।
फर्क इस बात से पड़ता है।
क्या सीख गए सारे गुरु जिंदगी वाले,
क्या अभी भी शिकायत कर,
जिंदगी में कष्ट भर डालें।
देखो जरा यह सफेद बाल नहीं,
उम्र की चांदी है।
यह तब आए हैं,
जब तजुर्बे से उम्र बाँधी है।
यह तो वह वक्त है,
जब खुल कर जीना है।
पूरी जिंदगी बीती फर्ज निभाते,
अब अपने लिए जीना है।
कभी पिता का, कभी भाई का,
कभी पति का,कभी बेटे का,
कितने पार्ट अदा किए,
एक ही जिंदगी में।
किस पार्ट में क्या क्या सहा,
क्या फर्क पड़ता है ?
किस वक्त को तुमने कैसे जिया ?
क्या फर्क पड़ता है ?
यही वक्त है जिंदगी का ,
अपने ढंग से जी लो,
जो चाहते हो करना ,
उसे अपनी खुशी के लिए कर लो।
मत करो परवाह किसी की,
किसी को फर्क नहीं पड़ता है,
यह जिंदगी तुम्हारी है,
तुम्हारी खुशी और दुख का,
फर्क सिर्फ तुम्हें ही पड़ता है।
सोच कर देखो इसे,
किसे फर्क पड़ता है,
आज तुम हो ,कल चले जाओगे,
यह दुनिया वैसे ही चलेगी,
खुश रहो तुम या दुखी रहो,
क्या कोई फर्क पड़ता है ?
मतलब तो खुशी से जीने का है।

Shashi Gupta