क्यों मौत का डर जिंदगी से बड़ा होता हैl जिंदगी में इंसान अगर किसी से डरता है। .तो वह है मौत का डर यह हमारा सबसे बड़ा डर होता है। इससे ज्यादा भयानक और खतरनाक दर्द पूरे संसार में और कोई नहीं है|।

अगर किसी के को यह पता चल जाता है। कि किसी डॉक्टर के द्वारा है कि तुम्हारी जिंदगी तो खतरे में है। और तुम्हारे पास सिर्फ 10 से 15 दिन बचे हैं। तो समझ लीजिए आधा तो वैसे ही मर गया|
उस दिन से वह डर के साए में रह नहीं लगेगा। और वह बीमारी के साथ-साथ डिप्रेशन का भी शिकार हो जाएगा। आदमी जिंदगी जीना ही भूल जाता है। कि कम से कम जिंदगी के दिन बचे हैं। उन्हें क्यों खराब कर रहा हूं। उन्हें तो अच्छे से बिता लो।
आजकल हम देख रहे हैं। कि कोरोना वायरस चल रहा है। और इस कोरोना मैं जितने लोगों ने प्राण त्यागे हैं। अधिकतर लोग उस में से केवल मरने के डर से मरे हैं। अगर हम गौर करें तो देखेंगे कि लोगों में कोरोना वायरस का खौफ इतना था। कि जब किसी को यह पता चलता है।
कि उसे कोरोना वायरस शक्ति या अपनी इमुनिटी पावर को कम कर लेता है। और उससे मर ना जाऊं इस डर का भ्रम हो जाता है। अपनी पूरी शक्ति सिर्फ यह सोचने में लगा देता है। कि मैं अपने को बचा लूंगा या नहीं।
जब मेरे बेटे को कोरोनावायरस वह भी बहुत घबरा गया था। परंतु हम सब परिवार के लोग उसे बहुत सपोर्ट करते थे। कि तुम चिंता मत करो, तुम जल्दी ठीक हो जाओगे। उसके दोस्तों ने उसे बहुत सपोर्ट किया।
डॉक्टर ने ठीक से इलाज किया। क्योंकि जिस डॉक्टर ने इलाज किया उसे भी कोरोना हुआ था। तब ही तो उसे पता था कि कैसे ठीक होगा| उन सब को मैं धन्यवाद देती हूं। जिन्होंने मेरे बेटे को ठीक होने में बहुत मदद की। और सबसे ज्यादा सपोर्ट मेरी बहू ने किया।
मैं खुद डरी हुई थी। पर उसने उसे महसूस भी नहीं होने दिया। और उसका ख्याल रखा वह सबसे ज्यादा शाबाशी की पात्र है। .

हमें कोरोनावायरस से घबराना नहीं है। केवल हमें अपना ध्यान रखना है। जैसे ही कोई भी सिस्टम शुरू होता है। हमें अपने को अलग कर लेना चाहिए। और इलाज शुरू कर लेना चाहिए।
अपनी विल पावर को जरा भी ना छोड़े। बस यह सोचे मैं अभी नहीं मरने वाला नहीं। अभी तो जिंदगी में बहुत कुछ करना है। यह ख्याल आपको पूरा सपोर्ट देगा। और आप कोरोनावायरस को मात दे देंगे।
परंतु जब हम मौत से डर रहे होते हैं। तो हमें डॉक्टर का साथ तो चाहिए। पर डॉक्टर से ज्यादा परिवार का प्यार और साथ चाहिए। क्योंकि उस डर के समय जब परिवार साथ होता है। तो वह हर परेशानी की ढाल बनकर खड़ा होता है। परिवार हमें सब तरह के डर से बचाता है।

जब कोई मर रहा होता है। तो कभी आपने देखा है। कि उसकी आंखों में मौत का डर साफ दिख रहा होता है। आँखें सूनी हो जाती है।
उनकी चमक खत्म हो जाती है। आंखों से नमी गायब हो जाती है। नींद उड़ जाती है।
मैंने देखा है कि जब मेरे ब्रदर इन लॉ को कैंसर हुआ। और डॉक्टर ने कहा लास्ट स्टेज है। जब उनका फूड पाइप बिल्कुल बंद हो गया। कुछ भी नहीं खा पा रहे थे।
पर शरीर में खाने की भूख थी। खाना मांग रहे थे। पर खाना खा नहीं सकते थे।
आप सोचिए जब व्यक्ति को यह पता चले कि उसे भूख तो है। पर वह खाना नहीं खा सकता। जब उनका आखिरी वक्त था। तब 2 दिन तक वह बैठे रहे।
सोए भी नहीं। पलक भी नहीं झपकी। उनकी आंखों से नींद गायब थी।
उनके चेहरे पर मौत का डर समा गया था। और वह चल बसे। वह अपनी बीमारी से 45 साल की उम्र में डर कर हार गये। क्योंकि जब डॉक्टर ने बताया था। कैंसर बताया था।आधी शक्ति तो तभी खत्म हो गई थी।
मौत के डर में कई बार आदमी पंडितों और ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ जाता है। अपना भविष्य और अपनी उम्र पूछता रहता है। परंतु यह केवल डर का व्यापार है।
आप मरने से क्यों डरते हैं। हम सबको ईश्वर ने सांसे गिन कर दी हैं। जब तक हमारी भी सांसे पूरी नहीं हो जाती। तब तक हम नहीं मर सकते चाहे कुछ भी हो जाए।
हमको मरने से डर क्यों लगता है ? क्योंकि जब हम किसी को मरते हुए देखते हैं। यह सुनते हैं कि वह आदमी बीमारी से मर गया। या वह आदमी एक्सीडेंट में मर गया। या वह आदमी कोरोनावायरस से मर गया।
क्या आप जानते हैं? कि अगर हमें यह पता नहीं होता की कोरोना वायरस से कितने लोग मर गए। तो हम उससे उतना नहीं डरते जितना हम अभी डर रहे हैं।
क्या आप जानते हैं ?
कि जब हम पैदा होते हैं। तभी हमारे मरने का टाइम फिक्स हो जाता है।
यह जैन मुनि श्री ललित प्रभु जी ने बताया था। तो जो चीज पहले से ही फिक्स है। कि हमें कब मरना है.तो फिर हम क्यों डरें। जब हम मरे तो हमें खुशी खुशी जाना चाहिए। ईश्वर ने हमें जितना वक्त दिया था। वह हमने उनके बताए रास्ते से जिया.
अब हमें कोई दुख नहीं है। परंतु अगर हमने अपना जीवन गलत रास्ते पर चलकर जिया है। तो कहीं ना कहीं हमारे दिल में यह डर रहता है।
कि मेरे कर्म तो बहुत खराब रहे हैं। पता नहीं ईश्वर इन कर्मों की क्या सजा देंगे. बहुत हो गई मौत की बातें। क्यों ना हम इस डर को हटाकर जिंदगी के बारे में सोचें। क्योंकि ईश्वर ने जो हमें जिंदगी दी है।
वह पूरे ब्रह्मांड की सर्वश्रेष्ठ रचना है कहते हैं। कि भगवान ने इंसान को बनाने के बाद फिर किसी चीज की रचना नहीं की। जीव की रचना नहीं की। और भगवान ने इंसान को बनाने में अपना पूरा ध्यान लगा दिया। उसके बाद ना भगवान ने किसी इंसान के अंदर कोई बदलाव नहीं किया।
तो हम बात कर रहे हैं जीवन की, जिंदगी की, जिंदगी हमारी यह सबसे अनमोल तोहफा है।
और इस तोहफे के लिए हम कभी भी ईश्वर के प्रति कृतज्ञ नहीं है। हमें हमेशा ईश्वर का कृतज्ञ होना चाहिए।
इस अनमोल जिंदगी के लिए। परंतु हम इस जिंदगी का इस्तेमाल कैसे करेंगे। या कैसे करना चाहिए। यह तो ईश्वर ने बताया ही नहीं।
इसके लिए उन्होंने हमें बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली मस्तिष्क दिया है। जो हर कदम पर हमें बताता है। क्या सही है क्या गलत है।
सब कुछ अच्छा है| तो फिर हम क्यों करें ? क्यों ना हम इस जीवन को अपने कर्मों से धरती पर ही स्वर्ग बना ले ?और जितना जीवन हमें मिला है।
उसे हम आनंद में रहकर बिताएं। हंसते मुस्कुराते इस जीवन का आधार मानते हुए जिंदगी में रहे।
कुछ ऐसा करके जाए।जो धरती पर रह रहे हैं। वह भी हमें प्यार करें।
और जहां जा रहे हैं। वह भी इंतजार करें।
अगर मरे तो ऐसे मरे और जियो तो ऐसे जियो कि अपने आप में जिंदगी की मिसाल बने। जब हम बुजुर्ग हो जाते हैं। तब सबसे ज्यादा मरने से डर लगता है। क्योंकि बुजुर्ग होने पर भी हम मरना नहीं चाहते।
बल्कि हमारी जिंदगी के प्रति मोंह की भावना और ज्यादा बढ़ जाती है। जबकि तब हमारी सुनने की शक्ति, चलने की शक्ति, हमारी भूख, नींद ,याददाश्त, सब कम हो जाती है। परंतु हमारी जिंदगी की ललक बढ़ जाती है।
अपनी जिंदगी में मौत से ज्यादा डर लगने लगता है। क्योंकि जब हम पूरी जिंदगी काम करते हैं। तो यह सोचते हैं बहुत काम कर लिया। अब बुढ़ापे में आराम से रहेंगे। पर अभी आराम तो कर भी नहीं पाए। और मरने का डर सताने लगा। उम्र पूरी हो रही है। और इस डर से ही बची हुई जिंदगी भी बदतर कर लेते हें।
हमें मरने से नहीं डरना चाहिए। जिंदगी में ऐसे काम करें कि कभी हमें मरने से डर ना लगे। हमको ऐसा लगे कि हम जितना जिए,खुलकर जिए।