अपडेट करने की तारीख: 24 जन॰ 2022
हम सब के पास है एक खुशियों भरी पोटली

खुशियों से भरी पोटली हम सबके पास है पर जरूरत है।
उसे खोलने की, देखने की ,महसूस करने की।
हर व्यक्ति अपने दुखों को ही क्यों याद करता हें ? उसे जो परमात्मा ने ख़ुशियाँ भी दी हें,उनका कोई शुक्राना नहीं होता।
ऐसा क्यों होता हें ?
क्यों तुम अपनी सारी ख़ुशियों को समेट कर जब जी चाहे क्यों नहीं देख सकते ?
तो तुम्हें इतना दुख ना हो जितना तुम अभी महसूस करते हो,अपनी जिंदगी की उन ख़ुशियों को कभी मत भूलों ।
यही वो ख़ुशियाँ हें जो तुम्हें हर वक्त मुस्कुराहट दे सकती हें।
उनको इकट्ठा करके तुम एक पोटली ख़ुशियों वाली अपने लिए बना लो।
सच कहती हूँ वह तुम्हें जिंदगी में कभी निराश नहीं होने देगी,
इस कविता के माध्यम से मैंने आपकी ख़ुशियों को समेटने की कोशिश की हें,
ख़ुशियों की पोटली

यूँ अनवरत से बोझिल,आंखों से नजर आ रहे हो।
you anvarat se bojhil nazar aa rahe ho .
हैरान-परेशान, दुखी, से बात क्या छुपा रहे हो।
hairan pareshan dukhi se baat kya chupa rahe ho .
उठो समेटो अपने बचपन से लेकर, अब तक की सारी ख़ुशियाँ को।
utho sameto apne bachpan se lekar ab tak ki saari khushiyon ko .
जो महकाती है जीवन की बगिया को,
jo mehekata hai jeevan ki bagiya ko .
जब कभी तुम्हें दुख छुए , और मुरझा दे जीवन को।
jab kabhi tumhen dukh chue ,our murjha de jeevan ko .
सताए कोई अपना, उदास कर दे तुम्हारे मन को।
sataye koi apna ,udas kar de tumhare man ko .
तो खोलना वह पोटली , ख़ुशियों वाली, मां की यादों वाली,
to kholna wah potli । khushiyon wali ,ma ki yadon wali .
जो लाएगी मुस्कुराहट, तुम्हारे बे जान चेहरे पर| जो छुपा रहे हो,
jo layegi muskurahat ,tumhare be jan chehre par jo chupa rahe ho .
यू अनवरत से बोझिल ,आंखों से नजर आ रहे हो।
yun anvarat se bojhil aankhon se nazar aa rahe ho .
जब कोई आपको बे वजह, दुख देकर चला जाए,
jab koi aapko be vajah ,dukh dekar chala jaye .
जब परेशानियां, बिना आहट घर में घुस जाए,
jab pareshaniyan bina aahat ghar men ghus jaye .
जब नैनों से अश्रु धारा, अविरल बहती रहे,
jab naino se asru dhara ,aviral behti rahe .
जब होंठ , खामोश चुप रहें , कुछ भी ना कहें,
jab hoth khamosh chup rahen ,kuch bhi naa kahen तो खोलना वह पोटली , ख़ुशियों वाली बचपन की| to kholna wah potli ,khushiyon wali bachpan ki . सुंदर मीठी यादों वाली, जो खिला देगी, दिल के कमल जैसे फूल को, sunder meethi yadon wali ,jo khila degi ,dil ke kamal jaise phool ko . महका देगी, सिर से पांव तक,पूरे शरीर को,mehka degi ,sir se paon tak poore sharir ko . जब अपने सब साथ छोड़ कर, तमाशा देख रहे हो , jab apne sab saath chod kar ,tamasha dekh rahe ho . जो अच्छे लगते थे शब्द , कानों में ना पड़ रहें हों, jo achche lagte the shabd ,kano men na pad rahe ho जब भरोसा तोड़ कर, लोग ठहाके लगा रहे हों, jab bharosa tod kar ,log thahake laga rahe ho . जब हम सताने वालों को, कुछ ना कह पा रहे हों, jab ham satane walon ko, kuch na kah pa rahe ho. तो खोलना वह पोटली , जिसमें ख़ुशियाँ भरी थी। to kholna wah potli ,jisme khushiya bhari thi . याद करना उन ख़ुशियों को, जो तुम्हें सुख देती थी। yaad karna un khushiyon ko ,jo tumhen sukh deti thi . खोलना उसे मुस्कुराकर, चमक आंखों में लाकर,| kholna use muskurakar ,chamak aankhon mein lakar . जब जरा सी बात पर, घर में भू चाल आ जाए, jab jara si baat par ,ghar men bhuchal aa jaye . जब किसी में मैं होने का, घमंड समा जाए, jab kisi men men hone ka ,ghmand sma jaye . जब तुम सबकी आंखों में खटको, सन्नाटा छा जाए, jab tum sabki aankhon men khatko ,sannata cha jaye . जब तुम आहत हो ,और लोगों को ठंड पड़ जाए, jab tum aahat ho ,aur logon ko thand pad jaye . तो खोलना वह पोटली , जिसमें , ख़ुशियाँ इकट्ठी थी। to kholna wah potli ,jismen khushiyan ikathi thi . दिल झूम रहा था, दिमाग खुश होकर घूम रहा था। dil jhoom raha tha ,dimag khush hokar ghoom raha tha . खोलकर पोटली मुस्कुराना, लगे तुम लोगों की उपेक्षा कर रहे हो, kholkar potli muskurana ,lage tum logon ki upeksha kar rahe ho .
भूल जाना कोई क्यों सता रहा है,सीख लेना उनकी अवहेलना करना, bhool jana koi kyon sta raha hen ,seekh lena unki avhelna karna
तब खोलना ख़ुशियों वाली पोटली को , जहां डर के लिए जगह नहीं थी।
tab kholna khushiyon wali potli ko ,jahan dar ke liye jagah nahin thi . याद कर जोर से हंसना, लगेगा सारे डर भाग रहे हो, yaad kar jor se hansna ,lagega saare dar bhag rahe ho. यूं अनवरत से बोझिल ,आंखों से नजर आ रहे हो, yun anvarat se bojhil ,aankhon se nazar aa rahe ho . हैरान-परेशान, रूखे बे जान, से क्या बात छुपा रहे हो?
hairan -pareshan rukhe be jaan ,se kya baat chupa rahe ho .