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गणतंत्र दिवस का पर्व


गणतंत्र दिवस के पर्व पर आप सबको बहुत-बहुत बधाई


70 और 80 के दशक में जब भी गणतंत्र दिवस आता था। तो उसको मनाने का अंदाज ही अलग था। दिल्ली के आसपास के सभी लोग अपने अपने गांव से,छोटे-छोटे कस्बों से दिल्ली आते थे सिर्फ गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए।


गणतंत्र दिवस की परेड को देखने के लिए 80 के दशक में मुझे आज भी याद है।हमारे घर बहुत से मेहमान आते थे। सिर्फ 26 जनवरी की परेड देखने के लिए ही आते थे। और 26 जनवरी को हम सुबह 3:00 बजे से ही आलू के पराठे बनाने शुरू कर देते थे। और फिर सबके लिए खाना पैक करके हम पैदल इंडिया गेट जाते थे। साथ में मूंगफली और रेवड़ी भी लेकर जाते थे।वहाँ पर खाने के पल बहुत ही आनंद के क्षण होते थे।


जब हम सब लोग मिलकर परेड का आनंद लेते थे।फिर वहीं पर खाना खाते थे।


और 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व की तरह मना कर, उसके बाद एक पिकनिक का आनंद लेकर वापस घर आ जाते थे।


अब जब भी गणतंत्र दिवस आता है।बहुत ही कम लोग राजपथ एवं विजय पथ पर जाते हैं।


देखने के लिए सभी लोग अधिकतर अपने अपने घरों में TV पर ही 26 जनवरी का आनंद लेते हैं।


परंतु इस बार का गणतंत्र दिवस बहुत अलग है।


इस बार राजपथ को चौड़ा किया गया है। उस को नया रूप दिया गया है।


इस बार राजपथ पर सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगाई गई है। सुभाष चंद्र बोस को राजपथ पर जगह दी गई है। यह हमारे इतिहास में पहली बार हो रहा है कि सुभाष चंद्र बोस को इस तरह सम्मान मिला है।


इस बार 71 वर्षों से बजती आ रही बीटिंग रिट्रीट में धून को भी बदल दिया गया है। abide with me यह धुन ईसाई धर्म की प्रार्थना है। इसका मतलब है।


"जीवन में, मृत्यु में, हे प्रभु मेरे साथ रहो।"


इस प्रार्थना की रचना 1820 में हेनरी फ्रांसिस लाइट ने की थी।यह स्कॉटलैंड में रहते थे।उन्होंने इस प्रार्थना को अपने दोस्त के बीमार होने पर लिखा था।


और 1847 में जब हेनरी फ्रांसिस लाइट की मृत्यु के बाद इसे संगीत देखकर जारी किया गया।


सोचने वाली बात यह है कि यह धुन हमारे गणतंत्र दिवस पर क्यों बजाई जाती है?


जबकि इसका गणतंत्र दिवस में कोई लेना देना नहीं है।


इस गुलामी कि धुन को इस बार गणतंत्र दिवस पर हटा कर क्यों कि यह भी हमारी गुलामी का प्रतीक था।


अबकी बार खुशी की बात यह है कि हम इस विदेशी धुन को हटाकर, हम अपनी स्वदेशी धुन गाना लता मंगेशकर जी के द्वारा गाया।


ऐ मेरे वतन के लोगों,

जरा आंख में भर लो पानी,

जो शहीद हुए हैं उनकी,

ज़रा याद करो कुर्बानी।


बीटिंग रिट्रीट में इस बार यह धुन सुनाई देगी। यह हमारे लिए गर्व की बात है।


और इस बार 1000 ड्रोन के द्वारा आकाश में भारत की तरक्की में किए गए सभी दृश्य दिखाए जाएंगे।


यह भी बिल्कुल नया दृश्य होगा। इस तरह का डॉन के द्वारा किए जाने का हमारे देश चौथे नंबर पर है।


अभी तक यह चीन अमेरिका ब्रिटेन में किया जाता है।


क्या इस बार आपको यह नहीं लग रहा यह हमारा नया हिंदुस्तान है?


क्या इस बार आपको यह नहीं लग रहा जब हम यह महसूस कर रहे हैं कि वास्तव में हम आज़ाद हिंदुस्तान में ही रहते हैं?


यह हमारा अपना हिंदुस्तान है


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