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गरीबी दूर करो

अपडेट करने की तारीख: 22 जन॰ 2022


गरीबी एक अभिशाप हें

गरीबी कहूँ या मुफलिसी ,

कैसे भी आ सकती है।

यह लक्ष्मी है,जो कभी भी ,

आ कर के जा सकती है।

गरीबी को कोई चाहता नहीं,

बिन चाहत आ सकती है।

मेहनत और प्रयत्नों से यह,

दूर भी की जा सकती है।

गरीबी कहूं या मुफलिसी,

कैसे भी आ सकती हैं।

छोड़ दो आलस्य और उठो,

जागो कुछ कर्म करो।

भाग जाएगी गरीबी तब,

किस्मत भी बदल सकती हैं।

यदि बैठ जाओगे रखकर,

हाथ अपने हाथों पर।

कोसोगे तुम भाग्य को,

आलस्य की कहानी,

ना बदल सकती है।

गरीबी या कहूँ या मुफलिसी,

कैसे भी आ सकती हैं|

ना करना चाहो कुछ काम,

सीखना और करना।

बन ना चाहो अमीर,

वह सपना पूरा ना कर सकती है।

कुछ तो करो, कुछ तो सीखो,

जीवन में लाओ उसे,

पहले सोचो,फिर कर के दिखाओ,

ना पछताओ ,ना घबराओ,

गरीबी कहूं या मुफलिसी,

कैसे भी आ सकती है।

सपना देखते हो किसी के,

आकर देकर जाने का।

ऐसा ना होता कहीं,

दुनिया कभी भी बदल सकती है।

तुम सिर्फ ध्यान दो कर्म पर,

भाग्य को छोड़ो,

यह कर्म ही है जो तुम्हें,

लक्ष्मी से मिला सकती है।

गरीबी कहूं या मुफलिसी,

कैसे भी आ सकती हैं।

जब तक तुम कर्म ना करोगे,

ऐसे ही मजबूर रहोगे।

छोड़ोगे घर बार और बच्चे,

यूं हीं फिर भागते रहोगे।

इन सब मुसीबतों से,

तुम्हें मेहनत ही बचा सकती है।

गरीबी कहूं या मुफलिसी,

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