ज़िंदगी जरा नजदीक से
ज़िंदगी कभी भी आसान नहीं होती बनानी पड़ती है।
कहीं खुशी कहीं गम है।
समझ नहीं पड़ती है।
हमारे जज्बात, हमारे सवालात,
हमारे झगड़े।

दिल में बसते हमारे अपनों के सपने,
और हालात इन को समझना है,
निभाना है, करके दिखाना है।
कहीं कोई रूठा है,
कहीं ना मान रहा कोई।
कहीं ऐसा लगता है,
जैसे दुखी रो रहा कोई।
उन सब को संभालना,
आसान नहीं,संभालना पड़ता है।
जिंदगी आसान नहीं,
बनाना पड़ता है।
कहीं किसी की खुशियां है,

कोई दुख मना रहा,
कहीं कोई बेफिक्र,
बेपरवाह जिए जा रहा।
सबका अपना राग है।
सबकी सुननी पड़ती है।
जिंदगी आसान नहीं ।
बनानी पड़ती है।
कहीं कोई रिश्ता है,
कहीं कोई नाते हैं।
हर कोई अपने रंग में,
हर एक की अलग बातें हैं।
कोई अपना लगता है,

कोई लगता बेगाना,
अपने हो या बेगाने,
सबसे निभाना पड़ता है।
जिंदगी आसान नहीं,
बनाना पड़ता है जरूरी तो नहीं yah bhi ek bhut achchi kavita he.(जरूरी तो नहीं )
