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ज़िन्दगी और तैरना


किसी ने मुझसे पूछा आजकल क्या कर रही हो? मैंने कहा तैरना सीख रही हूं।

उसने कहा इस उम्र में तैरना सीख रही हो।

मैंने कहा हाँ

इस उम्र में सबसे ज्यादा जरूरत है तैरना सीखने की।



इसलिए उसने पूछा कैसे?

तो मैंने बताया,

1.हम सोचते रहते हैं कि परिस्थितियां हमेशा अच्छी रहे।

परंतु परिस्थितियां कभी भी अच्छी नहीं रहती।

उनके विपरीत बहाव की ओर तैरना।

2.लोग आते हैं ,दिल दुखाते हैं ,

कुछ भी कह सुन कर चले जाते हैं।

दुखी कर जाते हैं।

उस दुख के विपरीत बहना।

3.बीमारियां किनारों को घेरे खड़ी हैं।

शुगर, हाई ब्लड प्रेशर,हार्ट की परेशानियां,

उनसे बचने के लिए ,विपरीत दिशा में तैरना।

4.व्यापार है तो परेशानियां भी आएंगी।

उनके विपरीत कदम उठाकर तैरना।

5.जिंदगी में लहरों के साथ चल कर देख लिया।

अब लहरों के विपरीत करना सीख रही हूं।

6.शारीरिक परेशानियों को पर धकेल,स्वस्थ रहने की कला में तैरना।

7.लोगों की बातों को दिल पर ना लेने के विपरीत, दिशा में तैरना।

8.लोग समझते हैं, हम बूढ़े हो गए,

पर हमें अपने को वापिस बचपन की ओर लाने के लिए तैरना।

9.अपने को अंत समय तक जिंदादिल बनाए रखने के लिए तैरना।

10.जिंदगी की इतनी सारी परेशानियों के बावजूद, हालातों को बदलने के लिए तैरना।

11.हर कदम ,हर विचार ,हर सोच को जरूरत है। बदलने की ,

उन लहरों से लड़कर ,विपरीत दिशा में तैरना।

12.दुखों को भूल कर, खुश रहने की कला को सीखने के लिए तैरना।

13.उम्र बढ़ने पर किसी के लिए बोझ ना बने,

इस दिशा के विपरीत रहना सीखना।

14.उम्र बढ़ेगी तो बहुत सारी तकलीफ़ें आएंगी।

उन तकलीफ में को सहन करने के लिए तैरना।


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