
जिंदगी में जब हमने पढ़ना शुरू किया ।
शुरुआत अ से अः तक थी ।
क से ज्ञ तक हुई ।
उसके बाद A से Z तक हुई।
और फिर 1 से 100 तक ।
पढ़ाई की शुरुआत और आखिरी भी यही ।
पूरी की पूरी पढ़ाई यहीं से शुरू और यहीं खत्म।
ठीक है, एक से सौ तक के साथ ,
जोड़ ,बाकी ,गुणा, भाग ,भी सिखाया।
जो जिंदगी भर काम आया।
जिंदगी में क्या जोड़ना है?
पैसा ,भौतिक वस्तुएं ,एवं रिश्ते ,
यह तो कभी नहीं बताया ।

जिंदगी में क्या घटाना है ?
अपनी आवश्यकताएं, लालच, मोह ,
यह तो कभी नहीं बताया।
जिंदगी में गुणा क्या करना है ?
अच्छी आदतें ,अच्छे विचार,
यह तो नहीं बताया।
जिंदगी में भाग किस का देना है ?
प्यार भरे रिश्ते से नफरत का भाग ,
दौलत के घमंड में इंसानियत का भाग,
अपनेपन के मन में गैरियत का भाग।
यह सब क्यों नहीं सिखाते ?
किसी स्कूल में यह सब क्यों नहीं पढ़ाते ?
किसी किताब के बिना ।
जो कभी काम नहीं आती ,
उसे क्यों रटवाते हो ।
पढ़ाना है, तो जिंदगी की किताब पढ़ाओ।
अपने शरीर को ,अपने मन को ,
अपने मस्तिष्क को, कैसे रखना है ।
यह क्यों नहीं पढ़ाते ?
अपने प्यार ,संस्कार ,विचार और व्यवहार,
को क्यों नहीं सिखाते ?
यह कोई धर्म विशेष नहीं,

जिंदगी की सच्ची एवं सार्थक पढ़ाई है।
जो हम सबकी जिंदगी में काम आएगी।
ताउम्र हमें जीना सिखाएगी।।
Shashi