अपडेट करने की तारीख: 24 जन॰ 2022

जीवन को सही दिशा में ले जाने के 5 सूत्र
1.खुशी का हिसाब
2.भोजन के सिद्धांत
3.पृथ्वी से संपर्क
4.जीवन के नश्वर होने की जागरूकता
5.शरीर एवं मन के बीच की दूरी
मैंने आपको खुशी के हिसाब के बारे में बताया था। उसके बाद मैंने भोजन के सिद्धांत के बारे में भी बताया था। आपको हमेशा जागरूक हो कर भोजन करना चाहिए।
चाहे आप कुछ भी खाए , हमारे पेट को पचाने के लिए बहुत काम करना पड़ता है ।अगर दो बार भोजन करेंगे तो पेट व्यवस्थित रहेगा।
अब हम तीसरे सूत्र की ओर चलते हैं।यह सूत्र है पृथ्वी से संपर्क
हमारा पृथ्वी से संपर्क मे रहना जरूरी है। हम हमेशा कुर्सी पर सोफे पर या दीवान पर बैठते हैं। आजकल हम ने जमीन पर बैठना छोड़ दिया है।
जमीन पर बैठने का मतलब है।यह हमारे स्टेटस में मैच नहीं करता।जमीन पर बैठने में हमें शर्म आती है। जमीन पर बैठना हमारी शान के खिलाफ है।
हमने जमीन पर बैठना ही छोड़ दिया है।जमीन पर बैठते नहीं है इसीलिए अगर बैठ भी गए तो वहां से उठने के लिए सहारा चाहिए।और उठने के लिए हमें बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। तब ही हम जमीन से उठ पाते हैं।
कितने अफसोस की बात है कि हम आल्ती पालथी मार कर बैठना ही भूल गये। दूसरे शब्दों में चौकड़ी मारकर बैठना अब हमारे लिए मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन सा होता जा रहा है। क्योंकि बहुत से लोगों को घुटने की परेशानी है। इसलिए वह चौकड़ी मारकर नहीं कर पाते।
तो जनाब आपको धरती से जुड़ने के लिए धरती पर बैठना जरूरी है ।आपको धरती पर बैठने में यह एहसास होना चाहिए ,जैसे आप धरती मां की गोद में बैठे हो।
आप कोशिश तो कीजिए। और आप सफल हो जाएंगे ।फिर आपको कुर्सी पर बैठने से धरती पर बैठना अच्छा लगेगा।
धरती से संपर्क रखने के लिए आप कुछ मिनट के लिए मिट्टी में हाथ डाल दे या नंगे पैर धरती पर या गार्डन में या मिट्टी पर चलिए ।
यह पृथ्वी के संपर्क का सबसे अच्छा तरीका है। यह तो आप जानते ही हैं कि हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है। पृथ्वी , अग्नि, जल ,वायु और आकाश ।
जब हम इस संसार से जाते हैं तब यही कहा जाता है कि वह पंचतत्व में विलीन हो गया। और हमारा शरीर वापस उन तत्वों में विलीन हो जाता है।
तो अगर हम पृथ्वी से संपर्क रखते हैं तो पृथ्वी की कृपा हमें मिलती है ।कहने का मतलब सिर्फ यही है पृथ्वी से जुड़े एवं उसके संपर्क में रहिए। तो आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे।