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तलाक v /s संबंध विच्छेद



तलाक एक उर्दू का शब्द है।तलाक का मतलब ही संबंध विच्छेद है।जब पति पत्नी एक साथ नहीं रहना चाहते हो।तब वह एक कानूनी रास्ता अपनाते हैं।जिसे डायवोर्स कहते हैं या तलाक।


बाहर के देशों में तो यह एक आम बात है।जरा सी बात पर तलाक ले लेते हैं। सोचने वाली बात यह है कि किसी के दिमाग में यह कैसे उपजा कि इस तरह का कोई कानून बनाया जाना चाहिए।


हम अपने जीवनसाथी से छुटकारा पा सकते हैं।या उससे संबंध तोड़ सकते हैं। और उसे एक सिंपल सा नाम दिया जाना चाहिए।


जिसे तलाक डाइवोर्स या संबंध विच्छेद कहते हैं। जो दो जिंदगी यह तलाक लेती हैं।उनके साथ जुड़ी हुई 10 और जिंदगी तबाह करती है।


इस तलाक में बच्चों की क्या भूमिका है?

क्या वह राजी होते हैं कि उनके माता-पिता के साथ रहना चाहते हैं।या किसी एक के साथ रहना चाहते हैं ?

यह कौन डिसाइड करता है?वह किसके पास रहेंगे?

क्या उनको सिर्फ एक ही के प्यार से संतुष्टि होगी?

क्या उनको अपने माता-पिता दोनों साथ चाहिए?

यह कोई उन से क्यों नहीं पूछता?

उनकी गलती क्या है?

उनके मौलिक अधिकार का ध्यान कौन रखेगा?

कि उन्हें कि अभी अपने मम्मी पापा दोनों चाहिए।

अपनी जिंदगी सारी जरूरत वे दोनों से ही पूरी करते हैं।

इसलिए उन्हें मम्मी पापा दोनो ही चाहिए।

कितनी मां अपने बच्चे को तलाक के बाद छोड़ देती है क्योंकि वह उनकी सुख में कहीं बाधा ना बन जाए।

वह मां का प्यार इतना निबल कैसे हो सकता है?वह ऐसा सोच भी कैसे पाती है?

वह अपनी कलेजे के टुकड़े को छोड़कर कैसे आगे बढ़ जाती हैं ?

कितनी लड़कियां अपना घर छोटी-छोटी बातों पर छोड़कर माता पिता के घर वापस आ जाती है ?

वह परिस्थितियों से लड़ती नहीं है। जीतना भी नहीं चाहती।मैदान ही छोड़ कर भाग जाती है।क्योंकि आपने अपने घर को स्वर्ग बनाना है या नर्क?

यह तो सिर्फ लड़कियों के ही हाथ में होता है।किसी ने कुछ कह दिया?

ज्यादा काम करना पड़ गया।

आपकी और किसी ने तवज्जो नहीं दी।

कोई आपकी सुनता नहीं है।

किसी को आपकी पडी नहीं है।

पर यह सब भी तो आप पर ही निर्भर करता है।क्या आपमें कोई क्वालिटी है?

इन सब को जीतने की।है तो सही पर आप उसका इस्तेमाल करना ही नहीं चाहती क्योंकि क्वालिटी में पैन है?

कुछ करेंगे तो पैन तो लेना पड़ेगा और वह आप लेना नहीं चाहते।क्यों पेन अगर ले लिया तो तलाक की नौबत ही क्यों आएगी?

एक लड़की शादी होकर जाती है।तो उसे यह तो समझना ही पड़ता है कि जिंदगी तो चेंज होगी।क्योंकि घर नया है? परिवार नया है।संस्कार नए हैं ।इन सब को अपनाने में वक्त लगता है।समझने में जानने में एफर्ट डालना पड़ता है।समस्या कहां है?

समस्या वही हमारे यहां यह होता है। तुम्हारे यहां का जैसा नहीं चलेगा।बस टकराव शुरू हो जाता है।

आजकल हम सब यही चाहते हैं कि हमारी लड़की पढ लिख जाए।अपने पैरों पर खड़ी हो जाए।अच्छी सी जॉब करें।

ठीक है मैं एग्री करती हूं।अच्छी बात है।

परंतु जॉब करने के बाद आपकी लाइफ में क्या कम हो जाता है?

और क्या-क्या खो जाता है?क्योंकि आपके पास वक्त ही नहीं अपने परिवार के लिए, अपने नए संसार के लिए, सिर्फ पैसों से ही सब कुछ नहीं चलता।पैसों के साथ परिवार, रिश्ते, प्यार,सम्मान सब चाहिए।

अगर जिंदगी में अकेले हो तो पैसों का भी क्या फायदा?

कौन तुम्हें देखेगा कैसे जी रहे हो?

तुम्हारी लाइफ में क्या तुम्हारा अचीवमेंट है? तो पैसा ही वेस्ट लगेगा।

कुछ लड़कियों की ईगो उन्हें जीने नहीं देती।उनकी सहनशक्ति तो जीरो होती है।


कुछ लड़कियों को माता-पिता ने हीं उन्हें बिगाड़ कर भेजा होता है।नहीं हमारी बेटी कुछ काम नहीं करेगी।कभी किया ही नहीं।हमारे सब काम नौकर ही करते हैं।

कैसे कर सकती हैं?

कुछ लड़कियां को फिजूलखर्ची की बुरी आदत होती है।ससुराल में पाबंदी लगी तो झट से घर छोड़ कर आ जाती हैं।

कुछ लड़कियों का कामकाज तो होता ही नहीं।सुबह होते ही फोन पर लग जाती हैं।फोन और सोशल मीडिया।

बस उसके बाद पति ऑफिस गया या नहीं, घरवालों ने नाश्ता किया या नहीं, घर में क्या काम है?किसी से मतलब नहीं है।


अपनी लड़की के तलाक के लिए माता-पिता भी दोषी हैं।उन्होंने उसकी सारी परिस्थितियों को सॉल्व करके दिया है।मगर उसे खुद सॉल्व करना नहीं सिखाया।सब कुछ आगे से लाकर दे दिया।परिस्थितियों से लड़ना तो सीखा ही नहीं।


जरा भी सहन करना नहीं सिखाया। हर वक्त हर हर चीज का मुंह तोड़ जवाब उनके पास होता है।ऐसे में घर का क्या हाल हो सकता है ?आप ही जान सकते हैं।


रहा सहा उन लोगों को नेटफ्लिक्स ने बिगाड़ दिया।वहां तो एक तलाक, दूसरा तलाक,तीसरा तलाक कुछ मायने नहीं रखता।

यह मेरी पहली बीवी के बच्चे हैं। यह दूसरी के, यह तीसरी के, बड़े गर्व से वह अपनी चौथी गर्लफ्रेंड को यह सब बता रहा होता है।


परंतु यह मेरे देश की संस्कृति तो नहीं। यह हमारे देश की सभ्यता भी नहीं।जहां लोग सात फेरों के साथ सात जन्म की कसमें खाते हैं।और सात जन्म तक निभाने के बारे में सोचती भी हैं।वह हर फेरे में एक दूसरे का साथ निभाने का वचन देते हैं।

कितने घर बर्बाद हो रहे हैं।लोग परेशान हैं।घर तोड़ने की अधिकतर वजह लड़कियां ही है।वैसे सभी गलतियां लड़कियों की ही हो।ऐसा भीनहीं है।


कुछ लड़के भी होंगे।शराब पीते हैं,मारते ,पीटते, हैं।लड़कियों को अपनी बातों में फंसा कर उनके साथ खेल खेलते हैं।उनको अपने प्रेम जाल में फंसा लेते हैं।और उनके घर को तलाक की नोबत पर ले आते हैं।

और दूसरे के हंसते खेलते घर में आग लगा देते हैं।

मुझे इस बात पर माननीय मोदी जी की वह बात याद आ रही है की लड़की से तो पूछते हैं कि उसे घर आने में देर क्यों हुई?

पर लड़के से उसकी मां ने कभी क्यों नही पूछा की वह कहां से आ रहा है?अब तक वह कहां था?काश मांयें अपने लड़कों पर भी ध्यान देती।उनका लड़का कौन से रास्ते पर चल रहा है।


तो फिर शायद किसी का घर नहीं बिगड़ता।

कुछ लड़के सीरियसली काम धंधे पर ध्यान नहीं देते।कमाने का प्रोब्लम है ही।कई बार तलाक की नोबत कमाने और पैसों की वजह से भी आ जाती है।

परंतु लड़कियों की संख्या ज्यादा है।माफ़ करना मैने लड़कियों के बारे में कुछ ज्यादा ही कह दिया।पर यदि आप सच्चे दिल से सोचेंगे तो शायद आप समझ सकें की यह मैने सही कहा है।


मेरा यह मानना है।जब पति पत्नी तलाक लेते हैं तो उसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है।


उनकी मनस्थिति पर पड़ता है।उनका मनोबल टूट जाता है।वे अपने को सबसे ज्यादा असहाय समझते हैं।समझ ही नहीं पाते कि यह सब क्या और क्यों हो रहा है।


क्योंकि उनके माता-पिता अपनी-अपनी स्वच्छंदता, अपनी ईगो,अपने सुख, अपनी सहनशक्ति,के अभाव में किस खाई में ढकेल रहे हैं।अगर उन्हें तलाक लेना ही था तो बच्चे क्यों पैदा किए? क्यों कि उन्हें इस दुनिया में लाना ही नहीं चाहिए था?

अगर आप ऐसा कुछ करने वाले हैं। तो सोचिए जरूर, क्या यह ठीक है?

क्या इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं कि आप जिंदगी दोबारा शुरू करें?

एक दूसरे को समझने का मौका दें।छोटी छोटी बातों को भूल जाएं।जिंदगी में एक दूसरे को माफ कर आगे बढ़ें।


आपको यह नहीं भूलना चाहिए यह भारत की संस्कृति नहीं है।पर कुछ लोग विदेशी सभ्यता को यहां लाकर हमारी संस्कृति खराब कर रहे हैं।


हमारे देश में शादी वह पवित्र बंधन है। जिसमें प्यार है, समर्पण है,और इसलिए करवा चौथ का व्रत किया जाता है की पति की आयु लंबी हो।और हर जन्म में वही पति मिले।


एक बार पति पत्नी में झगड़ा हो गया। पति ने पत्नी को दो थप्पड़ मार दिए।पत्नी भी कुछ कम नहीं थी।उसके हाथ में गिलास था उसने वही फेंक कर मार दिया।पर निशाना गलत होने से वह बच गया।


यह बात पत्नी को सहन नहीं हुई।होनी भी नहीं चाहिए थी क्योंकि पत्नी पर हाथ उठाना यह बिल्कुल गलत बात है।दोनों ने अपनी मर्यादा तोड़ दी।उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।वैसे चाहते तो बात खत्म भी कर सकते थे।एक दूसरे से माफ़ी भी मांग सकते थे।

पर दोनों के रिश्तेदारों ने बात को और भी तूल दे कर बढ़ा दिया।


ऐसा नहीं करना चाहिए था।पर ऐसा हो गया।बात बहुत ज्यादा बढ़ गई।उन दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया।

दोनों के रिश्तेदारों ने भी एक दूसरे को बहुत ज्यादा भड़काया।और यही कहा कि नहीं यह बात गलत है।अब तो वह उसके साथ नहीं रह सकती।तुमको उसके साथ रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।

तुम्हें तलाक ले लेना चाहिए।वह तुम्हारे लायक नहीं है।घटना तो उनके जीवन की थी।पर खेल उन दोनों के रिश्तेदार रहे थे।दोनो पक्ष ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे थे।वे दोनो पक्ष अपनी अपनी हमदर्दी में विस्फोटक पदार्थ छुपाए हुए थे।जो उन दोनो को एक दूसरे का दोषी करार देते थे।

दोनों की बात तलाक की नौबत पर पहुंच गई। उनके एक बेटी भी थी। दोनों पक्षों ने अपना अपना वकील किया

जब मुकदमा कोर्ट में चला।पति ने पत्नी के ऊपर वकील के कहने से गलत संबंधों का आरोप लगाया।और पत्नी ने पति के ऊपर दहेज का आरोप लगाया।

कोर्ट में मुकदमा चलता रहा। हर बार दोनों का वकील दोनों को अलग-अलग दलीलें देकर समझा समझा कर कोर्ट में बोलने के लिए बोलते रहे ।और वे दोनों वही बोलते रहे।जो उन दोनों के वकीलों ने समझाया था।


वैसे उन दोनों में बहुत प्यार था। और वह दोनों की जिंदगी बहुत अच्छे से बीत रही थी। शायद उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में कोई ऐसा दिन भी आएगा

जब उनको यह सब इस तरह सबके सामने बोलना पड़ेगा।और यह सब कबूल करना पड़ेगा कि उनके साथ ऐसा हो रहा है।जबकि उनके साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा था।और ना ही हुआ था।उनकी जिंदगी बहुत खूबसूरत थी।जहां दोनो बेहद करीब थे।


पर कानून के ठेकेदारों ने उनकी इज्जत को चकनाचूर कर दिया।जो बातें उन्होंने कभी सपने में भी एक दूसरे के बारे में ना सोची,ना देखी,ना महसूस की वह उन्होंने एक दूसरे को बोल दी।


परंतु यह हमारे समाज की और हमारे कानून की विडंबना है कि नहीं चाहते हुए भी क्या-क्या सहना पड़ता है?

और क्या क्या हो जाता है?


उन दोनों के साथ भी ऐसा ही हुआ तारीख पड़ती रही। फिर वही तारीख पड़ती रही। दोनों हमेशा हर तारीख को एक दूसरे के सामने आते रहे।और कीचड़ उछालते रहे।


अब दोनों एक दूसरे की शक्ल देखने के लिए भी तैयार नहीं थे। जो पति पत्नी एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे।


जब भी तारीख पढ़ती थी। तब दोनों तरफ के रिश्तेदार कोर्ट में आते थे। और अपने अपने तरफ से भी अपने बच्चों को अलग-अलग बातें समझाते थे।

धीरे धीरे रिश्तेदारों का आना कम हो गया। परंतु कोर्ट की कार्यवाही चलती रही।


आखिर में जज साहब ने अपना फैसला सुना दिया। और उनका तलाक मंजूर हो गया।


देखा कितने प्यार से रहने वाले पति पत्नी का फैसला जब दूसरों के हाथ में चला जाता है।तब ईश्वर ही उनकी रक्षा करे।उनके रिश्तों का तार तार होना।तमाशा बनना।इतना प्यारा रिश्ता महज एक कागज के टुकड़े से खत्म हो गया।

वे दोनों शांत थे।जैसे तूफान आया और चला गया।

Congretulation आप जो चाहते थे वह हो गया।पति ने कहा।।

तुम्हें भी बधाई तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल कर ली।

तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है पत्नी ने पूछा।अच्छा अब तुम आराम से जीवन व्यतीत करोगे।

पति ने कहा गलती मेरी थी।मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए।

पत्नी ने कहा मैंने बहुत मानसिक दुख झेला है।उसकी आवाज में बहुत दर्द था।

पति ने कहा मुझे वकीलों के कहने पर तुम्हें चरित्रहीन नहीं कहना चाहिए था।मुझे बेहद अफसोस है।

पत्नी ने कहा मुझे भी दहेज का लालची नहीं कहना चाहिए था।पर मैं कोई और आरोप नहीं लगा सकती थी।


लोगों को गोसिफ का मौका मिलना।सामने दुखी हो के दिखाना।पीछे से हंसना।

क्या क्या ना सहे उन्होंने सितम तलाक के खातिर।


उस दिन तलाक होने के बाद दोनों के परिवार एक चाय की दुकान पर अलग-अलग टेबल पर बैठकर चाय पी रहे थे। वह दोनों पति-पत्नी भी उसी चाय की दुकान पर टेबल के दोनों तरफ बैठ गए।


और चाय मंगा कर, चाय का इंतजार कर रहे थे। इतने में जब उनके सामने चाय के दो प्याले आए।


दोनों बहुत अजीब नजरों से एक दूसरे को देख लेते हैं ।जैसे उन का जिंदगी में एक दूसरे से कोई संबंध ही नहीं था।


धीरे-धीरे दोनों ने चाय का प्याला अपने हाथ में उठाया। चाय अचानक उसके हाथ पर छलक गई।उसके मुंह से सिसकारी निकल गई।पति ने कहा ओह ज्यादा तो नहीं जला।अनायास उनकी नजर एक दूसरे से टकराई। पति ने पूछा तुम कैसी हो?

मैं ठीक हूं।पत्नी ने कहा।


ऐसा करो जो जज साहब ने तुम्हें ₹400000 रुपए देने के लिए कहा है। और ₹6000 महीना खर्च के लिए देने के लिए कहा है। तुम्हारी इतनी आमदनी नहीं है कि तुम अभी मुझे ₹400000 दे सको।

जब तुम्हारे पास हो तब दे देना। मैं ₹6000रुपए महीने में घर चला लूंगी।


फिर पति ने कहा अभी मैं तुम्हें ₹400000रुपए नहीं दे पाऊंगा। तो तुम उस वसुंधरा वाले फ्लैट में जा कर रह लो।और मैं तुम्हें ₹6000 महीना खर्च के लिए दे दिया करूंगा।

फिर पत्नी ने कहा लेकिन वह फ्लैट तो बीस लाख का है। मुझे तो सिर्फ ₹400000 ही लेने है तुमसे ।

उसने कहा कोई बात नहीं। आगे हमारी बेटी बड़ी हो रही है।उसके लिए भी तो तुम्हें पैसों की जरूरत होगी। तब वह तुम्हारे काम आएंगे।


अच्छा तुम्हारी कमर में दर्द तो अब ठीक है ना। तुम अपना ध्यान रखना। हां कभी बोब्रोन,कभी combiflam ले लेती हूं।

तुम कभी एक्सरसाइज क्यों नही करती हो।उसे देख एक मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई।वह भूल गई की अभी अभी उनका तलाक हुआ है।


पत्नी ने पूछा तुम्हारी अस्थमा की क्या कंडीशन है।फिर से अटैक तो नहीं पढ़ रहे। इन्हेलर तो लेते हो ना।

पति ने बताया कि डॉक्टर ने कहा मेंटली स्ट्रेस मत लो।और आज में इन्हेलर लाना भूल गया।


तुमने अस्थमा की दवाई नहीं ली।आज भी तुम्हारी सांस बात करते समय उखड़ रही है। लगता है।तुमने भाप लेना भी बंद कर दिया है। तुम अपना ध्यान नहीं रख रहे हो।


उन दोनों की बातों में पुराने संबंधों की गर्द थी।

पति उसका चेहरा देख रहा था।कितनी सहृदय और सुंदर लग रही थी।जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।



परंतु उधर पति-पत्नी जब दोनों इस तरह बात कर रहे थे। तब वे आपस में सोचने लगे। पत्नी ने सोचा मेरा पति कितना सीधा है। सरल है।वह अपना बिल्कुल ध्यान नहीं रखता।


अचानक उसे याद आया।एक बार जब वो गंगा जी नहाने गए थे तब उसके हाथ से चैन छूट गई तो पति ने उसे बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी।जबकि उसे तैरना भी नहीं आता था।


इधर पति ने सोचा की पत्नी को कितना कमर में दर्द रहता था। फिर भी वह स्टीम में पानी डाल कर देना कभी नहीं भूलती थी। हर वक्त दवाई का, हर चीज का ध्यान रखती थी।


हर महीने पैसे बचा कर सेरेटाइड ओक्यूहेलर जो सबसे महंगा आता है।वही खरीद कर लाती थी।कितनी परवाह करती थी मेरी सेहत की।


कितनी संवेदनशील है।अपनी परेशानियों को जाहिर भी नहीं होने देती।


पति ने सोचा उसे कभी क्यों नहीं समझ आया।सोच कर दोनों बिल्कुल चुप थे।दुनियां भर की आवाजों से मुक्त हो कर निशब्द एवम खामोश थे।

मुझे कुछ कहना है।मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी।पत्नी ने कहा।मुझे भी बहुत पति ने कहा।


दोनों भीगी आंखों से एक दूसरे को देख रहे थे।दोनों बहुत जज्बाती उनके चेहरे मासूम लग रहे थे।

इधर पति पत्नी आपस में बात कर रहे थे। और उधर उनके रिश्तेदार सोच रहे थे। चलो अब तलाक हो गया।और उठ कर एक-एक करके सब जाने लगे।अधिकतर लोग जा चुके थे। जैसे उनकी जिम्मेदारी पूरी हो गई हो।आखिर में उन्होंने उनका तलाक करवा ही दिया।

यह हम दोनों क्या कर रहे हैं?उन्होंने एक पल के लिए सोचा।

फिर अचानक दोनों के मन में ना जाने क्या हुआ?


दोनों एक साथ बोले क्या यह सब जरूरी है?क्या हम जीवन को नया मोड़ दे सकते हैं।

कैसा मोड़ पत्नी ने कहा।

क्यों ना हम फिर से साथ साथ रहें।पति पत्नी की तरह,एक प्यारे दोस्त बनकर पति ने कहा।


ये पेपर इनका क्या होगा।क्यों ना हम इन कागजों को फाड़ दे? पति ने कहा।


उसने अपने कागज को फाड़ दिया। जिसमें जज साहब ने उनका तलाक कंफर्म किया था।


फिर पत्नी ने भी अपने कागजों को फाड़ दिया। और दोनों एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले वापस अपने घर चले गए।


यह कहानी हमें क्या शिक्षा देती है? यह तो आप समझ ही चुके होंगे


अगर कभी भी पति पत्नी के आपस की स्थितियां बिगड़ती हैं। रिश्ते खराब होने के कगार पर पहुंचते हैं।तो कुछ भी कदम उठाने से पहले उन्हें एक बार अवश्य सोचना चाहिए।क्योंकि यह जिंदगी आप दोनों की है।

उनकी नहीं जो आपकी जिंदगी में दखलअंदाजी करते हैं।उनकी भी नहीं जो आपको एक दूसरे के खिलाफ बताते हैं ।


और गलत बोलने पर मजबूर करते हैं। उनकी भी नहीं जो कहने को तो आपके अजीज एवं रिश्तेदार होते हैं। पर वह भी आपको कहां समझ पाते हैं?

क्योंकि जिंदगी तो आपकी है?

फर्क तो आपको पड़ता है। रिश्ता आपका है। मुश्किलें भी आपकी है। इसलिए सोचना समझना आपको ही है।


तलाक के लिए सोचने से पहले यह जरूर सोचिए।यह हमारा देश सभ्यता और संस्कृति का देश है।और यहां पर परिवार को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।


परिवार के लिए आदमी कुछ भी कर सकता है। परिवार है तो जिंदगी है,जिंदगी का प्यार और समर्पण सब कुछ है।


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