कोई मुझे बताएं इस दिमाग का मैं क्या करूं

हरदम चलता रहता है, कैसे इसे में शांत करूँ ? जैसे ही कोई आने वाला, बताए व्यवहार क्या करूं? जैसे ही कुछ होने वाला, घंटी बजाएअब क्या करूं? सारा दिन इस में चलता, प्यार मोहब्बत और नफरत। क्या मैं समझू सही गलत, या फिर कैसे मैं ऐतबार करूँ? कोई मुझे बताएं, इस दिमाग का मैं क्या करूं ? एक विचार खत्म होने से पहले, जब दूसरा आ जाए। सिलसिला विचारों का थमने से, पहले बढ़ जाए,

कैसे रोकू ?उन सबको, कैसे मेँ शांत करूं ? कोई बताए मुझे, इस दिमाग का मैं क्या करूँ?
लेना चाहो नाम प्रभु का, वह भी तो ना लेने दे। भटका दे सारे रिश्तो में ,नातों और प्रपंचों में, भक्ति की शक्ति भी, वह ना चाहे, मैं पहचान करूँ? कोई मुझे बताए, इस दिमाग का मैं क्या करूं ?

अगर मैं चाहूं शांत ही रहना ,उथल-पुथल हो जाता है। एक मिनट से भी पहले, विचारों की लाइन लगाता है। दे दे मुझे शांति थोड़ी, जीवन का आव्हान करूं।
कोई मुझे बताएं, इस दिमाग का मैं क्या करूं ?