
दिल्ली पुलिस को मेरा सलाम,
तुम्हारे कामों पर शत-शत प्रणाम।
सहनशक्ति की मिसाल बने,
देश की आन और बान बने ।
देश की शान बचाने को,
खुद पर कितने जख्म सहे।
वह सब तुम्हें मारते रहे,
पर तुमने यह सब चुपचाप सहे।
आज आपने जख्म खाकर ,
देश को बदनामी से बचाया।
नहीं तो लोग कह देते,
तुम ने किसानों को मरवाया ।
किसी किसान को कष्ट न हो,
जख्मों को शरीर पर खाया ।
किसान समझ कर उनको तुमने ,
चोटिल अपने को करवाया।
अगर तुमने यह सब नहीं किया होता,
तो खून लाल किले पर होता।
किया देशद्रोह का काम उन्होंने,
पर खून पर सवालिया निशान होता।
सारे विदेश थू थू करते,
पड़ी तुमको गाली और लाठी खानी,
पर अपनी लाज बचाने को,
तुम्हें कोई शक्ति ना दिखानी।
तुमने राष्ट्रीय पर्व को समझा,
किया ना कोई खूनी खेल।
भाई कह समझाते रहे,
पर नहीं किया उन्होंने को मेल।
मैं भी पुलिस की बेटी हूं,
दर्द तुम्हारा समझ रही।
आहत तो मैं भी हूं बहुत,
पर मजबूरी तुम्हारी समझ रही।
दिल्ली पुलिस को मेरा सलाम,

कामों पर तुम्हारी शत शत प्रणाम।