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पति पत्नी का रिश्ता

पति पत्नी का रिश्ता 

आजकल पति पत्नी छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते रहते हैं। यह उनके लिए अच्छा नहीं है। उन्हें अपनी जिंदगी में कुछ सोचने और समझने की जरूरत है।

जब भी उनके दिल में कोई भी बात आती है। तो तब हमको आपस में बात करके उसे समझना चाहिए। और उससे हम पर आने वाली परेशानी को दूर करना चाहिए।

बात बहुत छोटी छोटी होती है। परंतु यही बातें उनके प्यार को कम होने में सहायक होती हैं। इन छोटी-छोटी बातों के लिए उनको अपने दिल में जगह रखनी चाहिए।सहनशक्ति रखनी चाहिए।एक दूसरे को माफ करने की आदत होनी चाहिए।

तो उनकी जिंदगी बहुत ही खूबसूरत और बहुत ही अच्छी हो सकती है।सिर्फ पहल करने की जरूरत है।

कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं ही क्यों पहले बात करूं?

अगर दोनों ही अपने अहम को बनाए रखेंगे तो फिर उनकी दूरियां कम कैसे होंगी।इन सब बातों को सोचते हुए मैंने यह बताने की कोशिश की है। कि उनकी जो परेशानियां होती है। वह इतनी छोटी छोटी बातों पर ही होती हैं।उसको दूर करने के लिए उनको अवश्य सोचना चाहिए।

इसके लिए मैं आपके सामने यह कविता के रूप में लिख रही हूँ |

पति जब पत्नी से बोले, आओ बात करें

दोस्त बनकर दोस्ती से,जीवन का निर्वाह करें

मैं अब अपना अह्म छोड़ दूं, तुम अपना अहम छोड़ दो

क्यों ना हम दोनों मिलकर, जिंदगी,गुलजार करें।

मैं कहां तक पढ़ा हूँ , कि तुमने क्या पढ़ाई

क्यों पढ़ाई वढ़ाई में, लड़ने का इंतजार करें

मैं कितना कमाता हूँ , तुम कितना कमाती हो।

जिंदगी में यह हिसाब लगाकर, क्या इकरार करें?

क्या यह सब मेरा काम है, या तेरा काम सभी

मिल कर करलें सब कामों को, क्यों जीवन खराब करें

नौकर नहीं तो, किस बात का गम है

हम दोनों ही मिलजुल कर, क्यों ना घर साफ करें

यह बच्चे क्या मेरे ही हैं, क्यों हरदम में ही संभालूँ ?

बच्चे हम दोनों के हैं, हम दोनों ही संभाल करें।

मेरे माता पिता, तुम्हारे भी सास ससुर हैं।

तुम्हारे माता-पिता, मेरे भी सास-ससुर हैं।

क्यों ना हम मिलजुल कर, उनका आदर सत्कार करें।

जब देखो पैसों की खिंच खिंच, देर से कभी आने की चिक चिक।

छोड़ दें ये पैसा धेला, हम क्यों जीवन बर्बाद करें?

कभी जो मैंने उपहार दिया ,तुमने भी बहुत उपहार दिए

इन उपहारों का हम क्यों? जोड़ गुणा और भाग करें

सिर्फ एक बच्चा ना होता है, कभी भी अच्छा,

वह भी जानता है। बहन भाई से अच्छा,

उसका सपना साकार करें

तुम जब रूठ जाओ, मैं तुमको मना लूँ।

मैं जब रूठ जाऊँ , तुम मुझ को मना लो

जरा मुस्कुरा कर तुम्हारे, मान जाने का इंतजार करें

तुम्हारी भावनाएं मैं समझू, तुम समझो ना मेरी भावनाओं को

छोड़ो नादानी, बन जाओ ज्ञानी, हम एक दूजे को माफ करें

आओ बात करें।

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