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परवरिश पार्ट 2

रवरिश शब्द  याद आते ही  हम समझ जाते हैं कि हमारे बच्चों के पालन-पोषण के लिए है।

च्चों का पालन-पोषण आजकल के समय में एक कठिन कार्य हो गया है।

ोग बच्चों को केवल एक जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं कि बच्चा पैदा हो गया अब उसका खाना पीना, पढ़ना लिखना, उठना बैठना, सब कुछ उनकी मर्जी से होगा क्योंकि वे उनकी जिम्मेदारी हैं।

च्चों की मर्जी कुछ मायने नहीं रखती माता-पिता बच्चों से परेशान है ।अब बच्चे अपने माता-पिता से।

म बच्चों को समझने के लिए क्या करते हैं। कई बार तो हम उनकी बात भी पूरी नहीं सुनते।

र में यदि बच्चों का झगड़ा हो गया हो। तो हमेशा गलती बड़े की ही मानी जाएगी।चाहे गलती छोटे कि क्यों ना हो क्योंकि छोटा तो छोटा है।

ड़ा समझदार है। उसने ऐसा क्यों होने दिया।

ुछ माता-पिता ज्यादा ही सफाई पसंद होते हैं। तो यदि जरा सा भी कूड़ा फैला दो। जो कि साफ किया जा सकता है।

ा जूते घर के अंदर पहन कर आ जाए। या कीचड़ से सने जूते घर में लेकर घुस आए ।

ा बच्चे अपने स्वभाव की वजह से। या बचपन के कारण अपने सामान को कपड़ों को इधर-उधर फैला दें।

ो भी मानो घर में आसमान टूट पड़ता है।

ह सफाई पसंद माता-पिता को बर्दाश्त नहीं।

ह रोज तो ऐसा नहीं करते पर कभी-कभी कर दिया तो क्या?

ह सही नहीं किया जा सकता।

्या उसे साफ नहीं किया जा सकता?

च्चे ने अच्छे अंक प्राप्त किए तो आप जरूर शाबाशी देंगे। और यह बात अपने दोस्तों रिश्तेदारों को बताते हैं।

िसी की सेवा की।अपने से छोटों का ध्यान रखा।

ो क्या आपने उसे शाबाशी दी। उसे सराहा।उसने अपने छोटे भाई बहन के साथ ही क्यों ना किया हो?

्या आपने यह बात लोगों को बतायी कि आपके बच्चे ने कितना अच्छा काम किया।

गर आपने उसे सराहा होता तो बच्चे बचपन से ही यह जान जाते कि जिंदगी में पढ़ाई के साथ-साथ इन जीवन मूल्यों की भी बहुत जरूरत है।

ह भी पढाई जितने ही आवश्यक है।

ज का दिन चिल्ड्रेंस डे के रूप में तो मनाया जाता है कि आज का दिन बच्चों का दिन है।

र हम सबकी जिंदगी में तो वैसे सभी दिन चिल्ड्रंस डे ही होते हैं।

ोई मुझसे पूछे तो मैं यही कहूंगी कि मैं तो बच्चों के लिए सब कुछ करती हूं।

ैंने कभी अपने लिए तो कुछ सोचा ही नहीं।

रंतु जो आपका समय है।उसमें हर व्यक्ति का जीवन मूल्य अलग है।

ब अपने लिए जीना चाहते हैं। सबको अपने बारे में सोचना,करना, जानना,मांगना, अच्छा लगता है।

ज के समय में बच्चे 2 साल से स्कूल नहीं जा रहे थे।

न 2 सालों में माता-पिता चाहते तो अपने बच्चों के बहुत करीब आ सकते थे।

ो प्यार वक्त के अभाव में नहीं दे सकते थे। पर क्या उन्होंने ऐसा किया?

हीं उन्होंने पूरा वक्त टीवी और मोबाइल में बिताया।

ैं यह नहीं कह रही। सब ने ऐसा किया। पर अधिकतर ने ऐसा ही किया।

च्चे इतने दिन से स्कूल नहीं जा रहे तो काफी घर वाले परेशान हैं। कोसते रहते हैं यह स्कूल कब खुलेंगे।

िससे कुछ समय सुकून मिल सके।

र बच्चों का क्या? वह भी तो सफर कर रहे हैं।

ारा दिन घर में डांट खाते हैं। उल्टा सीधा सुनते हैं ।सोचते हैं।

ससे तो स्कूल ही अच्छे थे। ऑनलाइन क्लास में पढ़ कर परेशान है।

ुछ समझ आता नहीं। बस केवल मात्र खानापूर्ति है कि पढ़ रहे हैं। स्कूल वाले भी मजे में हैं।फीस पूरी ले रहे हैं। सब एक्टिविटी से बच गए। बिजली पानी के खर्च से बच गए।

िना स्कूल गए बच्चे 2 साल का बिल्डिंग फंड दे।यह उनका कहना है। एडमिशन फीस दे यह उनकी डिमांड है।

ुछ बच्चे अपना स्कूल बहुत याद कर रहे हैं कि हम जल्दी स्कूल जाएंगे।

ुछ बच्चे घर में रहकर आलसी हो गए। उन्हें लग रहा है कि स्कूल फिर से रोज सुबह जल्दी उठना, तैयार होना और स्कूल जाना।

हीं हम अपने टॉपिक से भटक न जाए।

रवरिश इसलिए मेरा टॉपिक है। जब भी हम किसी बच्चे को देखते हैं, उससे बात करते हैं, तो सबसे पहला शब्द जो दिमाग में आता है।वह यह है कि इसकी परवरिश कैसी हुई होगी?

्या हमसे बच्चे को देखकर ही उसके गुण अवगुण पता लगा सकते हैं?

ह सब देखने का कोई पैमाना है क्या? यह उसके चेहरे पर लिखा है क्या?

ह आप उसका व्यवहार देख कर बता सकते हैं।

1. पर क्या आप जानते हैं कि वह बच्चा जब आपके सामने हो तब उस समय उसकी मनस्थिति कैसी है ?

2. क्या उसका व्यवहार सामान्य है?

3. क्या वह किसी पर नाराज तो नहीं है?

4. क्या उसका मूड खराब तो नहीं है?

4. क्या किसी से उसकी  किसी से कहासुनी हो गई है?

5. पर आप इन सब परिस्थितियों को कैसे महसूस कर सकते हैं?

6. आपको तो सिर्फ यही देखना है कि इस बच्चे के माता-पिता ने इसे कैसे पाला है ?

प तो आप यह सब स्थिति कई बार तो माता-पिता भी समझने की कोशिश नहीं करते।

ई बार तो माता-पिता अपने ऑफिस का गुस्सा, वर्कप्लेस का गुस्सा, स्टाफ का गुस्सा, रिश्तेदारों का गुस्सा, सबका एक ही आसान उपाय लगता है।

्योंकि किसी और पर गुस्सा निकालना अलाउ नहीं होता।

ाता-पिता को गुस्सा निकालना ही सबसे सरल साधन लगता हैं।

च्चों का पालन करने की जिम्मेदारी

तगुरु जी से किसी ने पूछा कि हम बच्चे को कैसे पाले?

तगुरु जी ने कहा आप उनके लिए सारे फैसले क्यों लेना चाहते हैं?

च्चे आपके माध्यम से आते हैं।मगर वह आपकी संपत्ति नहीं है।

दि बच्चों को आप अपनी संपत्ति मानते हैं तो यह ठीक नहीं है ।

प चाहते हैं कि बच्चे आप पर निर्भर ही रहें। आप ही उनका सब काम करें ।आप बच्चों से जुड़े रहते हैं ।

र माता-पिता चाहते कि उनका बच्चा उनसे कुछ बेहतर होना चाहिए। माता पिता की बच्चों को सुननी पड़ती है।बारह तेरा साल तक आपकी सारी बातें सुनते हैं।उनका कहना बंद करें।

पका साथ एक दोस्त की तरह होना चाहिए।ना कि एक बॉस की तरह। आप उनसे सिर्फ एक बात में ही आगे हैं कि आपने उनसे पहले जन्म लिया है।

पके पास उनसे ज्यादा कोई योग्यता नहीं।अगर आप उनको नहीं बताते तो भी वह अपने सारी समस्या अपने दूसरे दोस्तों से पूछेंगे।और उनसे सलाह लेंगे।

र जो भी दोस्त उनको जो भी उल्टी-सीधी सलाह देंगे, उसे अच्छा समझेंगे।

ेरी बात सुनो, पर अपने दोस्त की बात मत सुनो।वह तुम को नशा करने को कहते हैं।तुम्हें गलत राह पर ले जा रहे हैं।पर बच्चा सोचता है कि दोस्त की बात में मज़ा है।और माता-पिता की बकवास कौन सुनेगा?

ह सच है यह काम नहीं करेगा।यदि आप अपने बच्चे को एक जबरदस्त एहसास के साथ पैदा होने देते हैं।बड़ा होने देते हैं।

सकी अपने समझ से अपने फैसलों को लेते समय वह समझ जाएगा कि उसे आप से राय ले लेना चाहिए।इस मामले में यदि आपने जोर जबरदस्ती की तो वह आपकी बात का विरोध करने और विद्रोह करने का रास्ता देख लेगा।

प चाहे उसकी भलाई के लिए कुछ करना चाहे पर फिर भी वह नहीं सुनेगा।और जो आपने बताया वह उससे उल्टा करेगा क्योंकि हर व्यक्ति को आजादी चाहिए?

र माता-पिता की बात ना मानकर बच्चे अपने को आजाद महसूस करना चाहते हैं।

प अपने बच्चे को एक इंसान की तरह पालें।अपना हक पाने की कोशिश ना करें।ठीक है पैदा करना मैं आपकी भूमिका रही पर जीवन देना ईश्वर का काम है।आपका नहीं।

प किसी को जीवन नहीं दे सकते। बच्चे को आपने नहीं बनाया है।भले ही आप के माध्यम से आए हैं।इस सौभाग्य को सम्मान कीजिए।आपको बड़ा होकर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।

ीजों को ध्यान से देखने की क्षमता उनमें भी है। आप जो जानते हैं बता दीजिए।जो नहीं जानते तो वह भी बता दीजिए कि नहीं जानते।

समें खराब क्या है?

ह जब 12 साल के हो जाए तो हो सकता है उनमें कुछ सलाह वह आप से लेंगे। पर जब वह 15 साल के होंगे तब वह आप से नहीं अपने दोस्त से पूछेंगे क्योंकि उस पर ज्यादा भरोसा करते हैं। वे जानते हैं कि दोस्त आपसे ज्यादा सही और अच्छी सलाह देंगे।

पको माता पिता बनने का जो सम्मान मिला है।उसे संभालिए उसका दुरुपयोग मत कीजिए।

पका काम अपने बच्चे को गलत प्रभाव से बचाना है।बाकी आप उनको आजाद छोड़ दीजिए।उन पर भरोसा करिए कि वह गलत रास्ते पर नहीं चलेंगे।

प बच्चों को बड़ा और अच्छा बनाना चाहते हैं। तो पहले अपने आप को काबिल बनाईए।जब आपके बच्चे आपको अच्छा और काबिल देखेंगे तो वह भी वैसे ही बनेंगे।

ैसे ही करेंगे।तो आप अपने बच्चे को कैसा बनाना चाहते हैं कि आपके ऊपर निर्भर है ना कि बच्चे के ऊपर।

गर बच्चा गलती कर रहा है।तो कहीं ना कहीं आप ही उसके जिम्मेदार है।अपनी जिम्मेदारियों को समझिए।

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