अपडेट करने की तारीख: 24 जन॰ 2022
यह सुनने और पढ़ने में समझ आ जाती है। परेशानी कहो या समस्या एक ही नाम के अलग-अलग पहलू है।
परेशानी है तो जल्दी जाने का नाम ही नहीं लेती। वैसे ही जैसे किसी बीमारी का आना और जाने में बहुत वक्त लगाना।
कभी-कभी तो आने का इशारा भी नहीं देती। बस वक्त बेवक्त आकर अनायास ही आश्चर्य चकित कर देती है।
काश हमारे पास कोई ऐसी जादू की छड़ी होती। हम उस छड़ी को घूमाये और परेशानियां छूमंतर हो जाए।
हम स्वयं भी कोशिश करते हैं कि परेशानियां हमसे दूर रहें। हमारे नजदीक में ना आए। परंतु फिर भी मैं बिना मर्जी, बिना बुलाए, जब चाहे तब चली आती हैं ,
वह हम सब के घर को अपना घर समझती है।जब चाहे वो सर उठा कर चली आती है।
पर क्या हम बिना परेशानी के रह सकते हैं ?
यह तो सभी जानते हैं। जब हम ईसीजी करवाते हैं ।तो हमारे दिल की धड़कन सीधी नहीं ऊंची नीची होती हैं। अगर वह सीधी होंगी तो हम परेशानी में होंगे। या इस दुनिया को अलविदा कह देंगे।
जिंदगी में तो हम यही चाहते हैं कि हमारी जिंदगी यूं ही चलती रहे।
बिना व्यवधान की हमारी जिंदगी आराम से चलती रहे। परंतु क्या यह संभव है ।
परेशानियों ने तो भगवान राम को भी नहीं छोड़ा। तो चक्रवर्ती राजा थे। उन्होंने जो परेशानियां सही वह हमारे मुकाबले में तो कई सौ गुना ज्यादा थी।
जो परेशानियां सीता जी ने सही।वह भी राजकुमारी थी।पर उन्होंने इतने कष्ट सहे। हम नारियों के मुकाबले बहुत ज्यादा थे। हमारी परेशानियां तो उनके मुकाबले में तिनका भर हैं।
कृष्ण जी को देखो उनके जीवन में कितनी मुश्किलें और परेशानियां आई। उनके पैदा होने से पहले ही उन्हें मारने की साजिश हो गई। और उन्हें मारने के लिए हर संभव प्रयास किया गया।उनका जीवन कितना कष्ट में रहा।
फिर आप और हम क्या बिसात रखते हैं।
