
अगर हमें nature के नजदीक जाना हें , तो उसे समझना जरूरी हें ।
जितना हम उसके पास होंगे उतने ही हम स्वस्थ होंगे ,आज ठंडी हवा जोर से चल रही थी। जो मैंने महसूस किया। वह मैंने शब्दों में पिरोने की कोशिश की हें ।
प्रकृति की हवायें और पोधे
ठंडी हवा चल रही,
पत्ता पत्ता हिल रहा। पौधा डर से सिमट रहा ,
पेड़ पेड़ से मिल रहा। लताएँ डाल से लिपट रहीं,
फूलों से कुछ कह रहीं। तुम्हारी खुशबू हवाओं में हैं,
हवा जोर से चल रही। सब पत्ते बात कर रहे हैं,
हवाओं का मजा ले रहे हैं। ठंडी हवा उन्हें नज़दीक ला रही,
अपनी अपनी बातें कर रहे । जो पेड़ फलों से लदे हुए ,
वह बिछुड़ने का इंतजार कर रहा। जब वह पेड़ से जुदा हो,
लगे किसी को तृप्त कर रहा। आज मेरा इस पेड़ से,
जुदा होना निश्चित हैं। हवा जो चल रही हैं,
बिछुड़ना मेरा निश्चित हैं। कुछ मिल रहे हैं,
कुछ हवा से बिछुड़ रहे हैं। यह संसार की रीत हैं,
मिलने के बाद जुदा हो रहे हैं। ध्यान से सुनों,
ये पेड़ क्या कह रहे हैं। हमें मत उजाड़ो,
हम तुम्हें साँसे दे रहे हैं। हमारी हरियाली से ,
दिल तुम्हारा खुश होता।
काटा ना करो हमें ,
दिल हमारा भी दुखी होता।
