
जब मंदिर मंदिर घूमने लगे,
तो समझ लो यह चुनाव ही हैं।
नेता भी वह जो,मंदिर के लिए कभी ना थे।
वह मंदिर याद करें,जाने लगे,दिखने लगे।
तो सोचो ना चुनाव ही तो है।
मंदिर वालों को बताने के लिए,
हम आपके साथ हैं।
यह पहली बार नहीं कि नेता ऐसा करें,
नामांकन से पहले मंदिर,
नामांकन के बाद मंदिर,
कल छे से सात मंदिर,
आगे मंदिर,पीछे मंदिर,
बोलो कितने मंदिर।
तू मंदिर मंदिर क्यों भटके,
हम सब के दिल में ईश्वर है।
अपने कामों को देख जरा,
अब तो जनता ही परमेश्वर है।
नामांकन के दिन,पहली बार मंदिर गई।
2011 में मंदिर याद नहीं,
2016 में मंदिर भूल गई,
पर 2021 में क्या हुआ, मंदिर गई।
वह सोचो,नहीं देखो,बंगाल में चुनाव है।
जिसको राम नाम से चिढ़,
वह भक्ति करने लगे,
राम नाम पर मंच से,
खाल उधेड़ने की,धमकी देने लगे।
वह मंच से दुर्गा पाठ,की स्तुति करने लगे।
सही पकड़े हैं,बंगाल में चुनाव ही हें।
जहां मोहर्रम की वजह,
से दुर्गा मूर्ति विसर्जन टाला जाए।
उस राज्य का मुख्यमंत्री,मंदिर मंदिर घूमे,
तो जान लो,बंगाल में सही चुनाव है।
जहां हनुमान जयंती की,
शोभायात्रा पर लाठीचार्ज हो।
दशहरे का जुलूस,
निकालने पर रोक लगा दी हो।
वहां की ममता बनर्जी,
मंच से चंडी पाठ करें।
क्या आप भी ना समझे,
हो भाई यह चुनाव है।
जिस राज्य में बसंत पंचमी पर विद्या माता,
सरस्वती पूजन पर रोक लगा दी जाए।
और अब वह नामांकन के दिन,
पहली बार मंदिर जाए,तो समझ लो,
यह मंदिर वालों को पटाने की सौगात है।
कैसे ना समझे,वह जानते नहीं,
बंगाल में चुनाव ही तो है।
आगे मंदिर,पीछे मंदिर,
मंदिर मंदिर घूमे ममता,
क्यों बिगड़ा काम नहीं बनता।
अपने को अब हिंदू ब्राह्मण बताएं।
अब तो समझ जाओ,जनाब यह चुनाव है।
चुनाव है जनाब,इस में मंदिर मस्जिद क्यों?
काम करो देश के लिए,फिर दिखावा क्यों?
यह पब्लिक है सब जानती है,
मंदिर मस्जिद वालों को पहचानती है।
यह सब रीत पुरानी है,
नई नहीं जो तुमने ठानी है।
अब तो समझ ही गए होंगे,
कि बंगाल में चुनाव है।
