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बचपन के झगड़े

रोज सबकी उम्र बढ़ती है।और जिंदगी के दिन कम हो जाते हैं। पर उम्र के साथ हमको अपनी जिंदगी का बीता हुआ सारा वक्त याद आता है।

सबसे ज्यादा बचपन याद आता है।उन्ही बचपन की यादों को मैने आपके लिए दिखाने की कोशिश की है।की बचपन में हम कैसे रहते थे। कैसे खेलते थे। कैसे सोते थे।

अब यह नया बचपन है।जिसमें सब अलग है। खाने को बाहर का पिज़ा ।ओर गार्लिक ब्रेड ,नूडल्स ,।पढ़ाई अलग हैं।पढ़ने के तरीके अलग हैं ।स्कूल भी ऐसी हैं बस भी ऐसी हैं ।अलग तरह की जिंदगी हैं।

बचपन के मायने ही अलग हैं। अब नहीं दिखाई देता। वह निष्फिकर ओर प्यारा बचपन।बचपन का झगड़ा ,बचपन ओर एक्टिंग।

सबसे ज्यादा बचपन की परेशानी टी वी ओर मोबाइल हैं ।उससे सब दुखी हैं।बच्चों ने टी वी ओर मोबाइल के लिए उत्पात मचा के रखा हैं।उन्हें समझाना आसान नहीं हैं।इनकी इस आदत से कैसे निजात दिलाएं। यह सभी माता पिता की परेशानियां हैं।

क्यों कि जब बच्चे उस में लग जाते हैं?तब उनको भूख प्यास भी नहीं लगती।उसके कारण पढ़ाई भी खतरे में पड़ गयी हैं।

बच्चों का झगड़ा जब होता है, सब देखने वाला होता है।

छोटा कहता है, मैं हूं बड़ा, बड़ा सोचता है,बड़ा बड़ा ही होता है।

लड़ते हैं छोटी-छोटी बातों पर, गुस्सा जल्दी हो जाते हैं।

बात तो कुछ होती नहीं, पर उसे बड़ा बनाना होता है।

छोटा कहता मैं प्यारा हूं, मम्मी पापा का दुलारा हूं।

कभी कहता है मैं लड्डू हूं, कभी राजकुमार भी होता है।

छोटा हरदम यह समझता है, टीवी पर राज उसी का है।

रिमोट जिसके हाथ में होता है, वही टीवी का मालिक होता है।

इसी बात पर लड़ते हमेशा, इन्हें समझाने वाला पागल होता है।

पर लगते हैं वह बहुत ही प्यारे, अपना पक्ष जब रखते हैं।

उनके तर्क सुन सुनकर हमें, बस खुलकर हंसना होता है।

किससे जब वह सुनाते हैं, घर और स्कूल के जब।

मत पूछो क्या माहौल होता है, बस घर ही थिएटर होता है।

कभी लड़ाई फोन की होती, सबको फोन चाहिए अब।

विघ्न किसी का नहीं चाहिए ,हर एक इसी में खोया रहता है।

फोन पर गेम खेलते हैं ,और कौने में छुप जाते हैं।

हम ढूंढते रहते पूरे घर में, उन्हें हमें सताना होता है।

खाने की कोई परवाह नहीं, ना फिक्र पढ़ाई की होती।

अगर साथ हो फोन तो फिर, भूखा ना प्यासा होता है।

जैसे ही फोन और टीवी बंद, वह विद्रोही बन जाते हैं।

लड़ने लगते एक दूजे से, घर में उत्पात मचाते हैं।

उस उत्पीड़न को रोकने की, घरवालों की मजबूरी है।

दे देते हैं फोन और टीवी, उन्हें बस जान छुडाणा होता हें।

यह परेशानी नहीं मेरे घर की, घर घर की यही कहानी है।

सब माता-पिता दुखी हैं बहुत, कोई हल ना इस का होता है।

मुश्किल यह भी बहुत बड़ी, छोटा ना बड़े को बड़ा समझे।

जब भी उनमें में झगड़ा होता, सारा दोष बढ़े का होता है।

कैसे हम समझाएं उनको, परेशान है सब माता-पिता।

प्यार से समझाएं है उनको, विश्वास दिलाना होता है।

भाई भाई का यह रिश्ता ,सबसे मजबूत और सबसे बड़ा।

पर लड़े ना रहे प्यारसे वह ,रिश्तो को समझना होता है।

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