
बचपन में हम अपने माता पिता के प्यारे होते हें। बच्चे रंग बिरंगी तितलियों जैसे होते हें उनके सपने भी ऐसे ही होते हें। हम लोग जैसे तितलियो के पंख का ध्यान रखते हें उसी तरह बच्चों के सपनों का भी खयाल रखते हें। बच्चे किसी भी धर्म के हों जाति के हों प्यारे ही होते हें। यहाँ तक की पशुओं के हों या पक्षी के सब दिल को मोह लेते हें।
बच्चों का विकास
बच्चों का विकास के लिए हमें उन्हें उड़ने देना चाहिए । उनको खेलने दें ,नाचने दें ,घूमने दें ,ओर फिर देखें उनका विकास कितनी तेज गति से होता हें । बच्चे बहुत नाजुक होते हें । वह हमारी तेज आवाज से भी डर जाते हें । अगर हम उन्हें प्यार से संभालेंगे तो बच्चे जरूर प्रतिभावान बनेगें । साही समय पर हम उन्हें शाबाशी दें । गलती करने पर सजा देना या माफ़ करना । पर ऐसा नहीं की गलती का एहसास करवाने पर उन्हें सही मार्ग दिखाना जरूरी हें ।

बच्चों की सुनें बच्चे जब कुछ बोलते हें तो हमें ध्यान से उनकी बात सुननी चाहिए । क्यों की वह अपनी सब बातें आपको बताना चाहते हें ।परंतु तब हम अपनी परेशानियों के कारण उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते । बाद मे सोचते हें की ये हमें कुछ बताता ही नहीं हें । जब कि बच्चा चाहता हें की आप सुनें । क्यों की तब ही उसे लगेगा की आप उसके साथ हें । ओर आप के साथ से उसका होंसला बड़ेगा । वह confident होगा । ओर अपनी सब बातें हमेशा आप से share करेगा ।
बचपन से हमारी बातें बच्चों के साथ कैसी हो ?किस तरह हो ?या कैसे बताए जब वह अपने बारे में कुछ बताना चाहे ?एवं क्यों बताए ? यह सब हमें उनको बचपन से ही सिखाना चाहिए । वह भी बहुत प्यार से कहानी के माद्यम से या उदाहरण दे कर समझाएं । · ·
बच्चा कितना लायक होता हे। हमारे बच्चे तितली से भी ज्यादा नाजुक हें क्यों कि वह आपकी ऊंची आवाज से भी डरते हें । अगर आप उन्हे प्यार से संभालोगे तो वह प्रतिभा वान बनेगे ।

कैसे हम बच्चों का ख्याल रखें ?
क्यों कि बचपन में ही हम उनको संस्कार वान बना सकते हें । सही समय
पर हम उन्हे शाबाशी दें । ओर गलती करने पर सजा दें । माफ़ करने का
मतलब ये नहीं कि हम उनकी गलती बताए बिना ही हम उन्हें माफ़ कर दें
ऐसा नहीं हे उन्हे गलती का एहसास करवाये ओर उन्हें फिर सही मार्गदर्शन
दें ।
क्यों कि जब बचपन में हमसे
कुछ टूट जाता हे या कुछ गलत हो जाता हे तो जब हम बच्चे से पूछते हें कि
क्या ये तुमने तोड़ा हे ? तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम क्यों नहीं सुनते हो ?तुम
कब बड़े होंगे ? पर आप ये क्यों नहीं समझते कि बचपन में वह बच्चे ने क्यों
तोड़ा होगा ?क्या उसने ये काम जानते हुए किया ?नहीं ये उससे अनजाने में
हो गया । क्यों कि हम बच्चों को डांटते हें ?तो वह सोचते हें कि अगर हम
झूठ बोल कर उस इल्जाम को दूसरों पर लगा दे तो हम डाँट से बच जाएंगे ।
ओर हम अनजाने में ही उन्हें झूठ बोलना सिख देते हें।
इसके विपरीत परंतु अगर वह कोई अच्छाकाम कर रहे होते हें तो हमारा काम उनके अच्छे कामों पर ध्यान देना भी होना चाहिए क्यों कि इससे वह अच्छे काम जल्दी ओर ज्यादा सीखेगा ।
हम देखते हें कि बचपन में हम हर एक को अपना दोस्त बना लेते हें । क्यों कि तब हमारे पास दोस्तों कि भरमार होती हे । परंतु बड़े होने पर हमारी जिंदगी में दोस्त बहुत कम हो जाते हें क्यों कि हम ज्यादा सयाने ओर ज्यादा खुदगर्ज हो जाते हें तब हमें दोस्त ज्यादा नहीं मिलते । ओर बुजुर्ग होने पर तो हमें एक भी दोस्त नहीं मिलता जब सबसे ज्यादा जरूरत हमें दोस्तों कि तब ही होती हे । क्यों कि तब हम बिल्कुल अकेले होते हें । हमारे पास कोई बात करने वाला भी नहीं होता ।

बच्चों को अपना बचपन अच्छी तरह जीने दें,बचपन दोबारा नहीं आता। वह ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा होता है।
कैसे हम बच्चों की गलत आदतें सुधारें ?बचपन में बच्चों को शोर मचाना ,मस्ती करना ,बहुत अच्छा लगता हे । क्यों कि जब हम ज्यादा शोर मचा रहे होते हें तब क्यों कि घर वाले आराम कर रहे होते हें । ओर फिर वह आकर हम पर चिल्लाते हें।
शोर मत करो । तो बच्चे सोचते हें कि ये भी तो चिल्ला रहे हें । ये क्यों नहीं कहते शांति से कि बच्चों तुम धीरे बात करो
बचपन में ह में अपनी मन मर्जी करने में बड़ा मजा आता हे। जैसे खिड़की पर चड़ जाना ,पलंग पर कूदना ,जोर जोर से चिल्लाना ,ओर जोर से गल फाड़ कर रोना ,ओर अपने ही खिलोनों को तोड़ना फिर चीखना चिल्लाना । क्यों कि ये बचपन में सब के साथ होता हे ।
क्यों कि बचपन में जब हम यह सब कर रहे होते हें तो माता पिता पूछते हें कि ये सब क्यों कर रहे हो । तो बच्चे भी उनसे चिल्ला चिल्ला कर पूछते हें कि यह सब ना करें तो क्या करें।
उनका सबसे बड़ा सवाल हम बोर हो रहे हें । क्यों कि बचपन में इतनी सारी चीजें होने के बाद भी हम बोर होते हें । इतने खिलौने भी हमें बोर होने से नहीं बचा सकते । मैंने अपनी grand daughter से बोर होने कि वजह पूछी तो उसने मुझे जो वजह बताई में surprise थी क्यों कि उसने कहा कि मेरे पास फोन ओर टीवी नहीं हें इसलिए में बोर होती हूँ ।
बचपन में ही हमें अपने बच्चों को क्यों ओर क्या में difference समझा देना चाहिए । कि यदि इस बच्चे ने तुम्हारा खिलौना तोड़ दिया तो कोई बात नहीं उसने जानकर ये नहीं तोडा । ह में बच्चों को हमेशा ये कहना कि तुम ये मत करो कि जगह कह सकते हें । क्यों नहीं तुम इसकी जगह जो इससे बेहतर हो वह कर सकते हो । अगर तुम ऐसे करोगकैसे हम बच्चों को संस्कार दें ?
क्यों ना हम अपने बच्चों को समय देने का प्लान बनाएं । यह बहुत जरूरी हे ।
क्यों कि जो संस्कार हम उन्हे बचपन में दे सकते हें वह ही उनको पूरी जिंदगी काम आएंगे।में अपने अनुभव से बताती हूँ कि जब में अपनी नानी के पास रहती थी । उस समय उन्होंने जो मुझे सिखाया वह आज भी मेरे काम आ रहा हे ।उन संस्कारों का मुझे बहुत फायदा हो रहा हे ।
हमेशा सच बोलना चाहिए
कोई तुम्हें गाली दे तो उससे उसका ही मुंह गंदा होगा तुम्हारा कुछ नहीं जाएगा । क्यों कि तुमने उस को कुछ नहीं कहा ।
अपना काम खुद करो।वह एक कहावत से बताती थीं।कि आस पराई जो करे। वह होते ही मार जाए। यानि जो दूसरों पर निर्भर होता हे।उसे मार जाना चाहिए। मतलब अपना काम खुद करो । तभी तो हम आत्म निर्भर भारत बनाएंगे ।
अपनी नीयत साफ रखो अगर नीयत साफ हे तो तुम्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता
अपने से बड़ों ओर अपने से छोटों से इज्जत से बात करो।
आज मेरी उम्र 60 साल कि हे पर में इन सबको आज भी अपनी जिंदगी में उपयोग कर रही हूँ । जब मैंने ये सीखे थे । तब में 5 साल से 13 साल तक में मेने सीखे थे परंतु अब ये मेरी जिंदगी का हिस्सा हें । क्यों ना हम अपने बच्चों को कुछ ऐसे ओर कुछ अन्य संस्कार दें जो उनकी जिंदगी बदल दे ।हमेशा अपनी ही ना कहें । बच्चों की भी सुनें ।
बचपन में बच्चे जब बोलते हें । तो उनकी बात को ध्यान से सुनना चाहिए । क्यों कि यदि उनकी बात नहीं सुनते हें तो उनको लगता हे कि मैं इतने प्यार से इतना serious होकर माता पिता से कुछ कह रहा हूँ । लेकिन वह मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहे हें । जब हम उनकी बात सुनेगें तब ही उनको अपनी बात में उनका सहयोग मिलेगा क्यों कि उन्हें लगेगा कि माता पिता उनके साथ हें इससे उनका होंसला बदेगा । वह खुद को confident समझेंगे ।
बचपन से ही हम को अपने बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए । क्यों कि जब वह बड़ा हो तो अपनी सारी बातें आपसे share कर सके । क्यों कि जिन बच्चों को माता पिता चुप रहो ,कुछ मत बोलो । ऐसे ही कहते हें । मैं तुम्हारे पिता जी से तुम्हारी शिकायत करूंगी । वह तुम्हें पीटेंगे । माँ ने बचपन में ही पिता कि image हिटलर कि बना दी । तो बड़े हो कर रिश्ते तो खराब ही होंगे।
बचपन से हमारी बात बच्चों से कैसी हो ,किस तरह हो,कैसे वह बताए जब कुछ कहना चाहे । क्यों बताए ?ये सब हमको उन्हें सीखना चाहिए । वह भी बड़े प्यार से ,कुछ कहानी सुनाकर या अच्छे उदाहरण दे कर उनको समझाएं।
उन्हें जिम्मेदारी ओर value का अहसास कराए ।
ऐसा लोग क्यों कहते हें कि हमारे बच्चे जिद्दी हो गए हें । किसी कि भी नहीं सुनते हें । ऐसा क्यों हे ?क्या आप ने गोंर किया कि इसका जिम्मेदार कौन हे ?जब हम सोचेंगे तो पता चलेगा कि इसके जिम्मेदार हम ही हें ।
क्यों हमें सारी सुख सुविधा बिना कष्ट के चाहिए ओर बिना मेहनत के चाहिए ,चाहे कुछ भी क्यों ना करना पड़े । तो बच्चे हम से क्या सीखेंगे \बचपन में ही बच्चे जो देखते हें । हम जो कर रहे हें वह वही देखते हें। बच्चों को बचपन से ही ये बताया जाए कि पैसे कि value क्या हे?। रिश्तों कि वैल्यू क्या हे?टाइम कि value क्या हे?इन सब को सोच समझ कर प्रयोग करना चाहिए । पैसे खर्च करते समय सोचना चाहिए क्यों कि ये हमेशा काम आते हे ।
क्यों कि बचपन से ही बच्चों को माता पिता सारी सुविधा दे देते हें । इसलिए उनको मेहनत का स्वाद कभी पता ही नहीं चलता । कई घरों के बच्चे अपना छोटा स काम भी खुद नहीं कर पते हें । उन्हें कभी भूख कैसी होती हे ये महसूस ही नहीं होता क्यों कि माता पिता उन्हें भूख लगने से पहले ही खाना दे देते हें । क्यों कि उन्हें बचपन से ही सब किया हुआ मिल जाता हे । इसलिए उन्हें पता ही नहीं होता कि उनकी जरूरत क्या हे ?चाहत क्या हे ?लक्ष्य क्या हें ?क्यों वह कभी जन ही नहीं पाते । बचपन में हर एक बच्चा हर नई चीज को छूना चाहता हे । छूकर देखता हे । महसूस करना चाहता हे । फिर माता पिता अच्छे बुरे का अहसास कराते हें ।
बचपन में बच्चों को क्यों मन के सच्चे कहते हें । क्यों कि वह हमेशा वही कहते हें । जो कहना जानते हें । जैसा उन्हे लगता हे वैसा ही बोलते हें । हमें उनकी बात ध्यान से सुननी चाहिए । हमें बचपन से ही वही आदतें सिखानी चाहिए जो उसे इंसान बनाने में मदद करे । बच्चे बचपन से ही हर वक्त कुछ ना कुछ मांगते हें । क्यों कि बच्चों को ज्यादा मांगने का अधिकार हे।
बच्चों की ना पसंद ओर पसंद बचपन में बच्चों को यदि कुछ पसंद नहीं आता तो वह कैसे बताएगा । वह रोएगा ,चिल्लाएगा ,उदास हो जाएगा ,चुप बैठ जाएगा । वह ऐसा क्यों ना करे ?क्या रोना गलत हे?अगर वह नाराज हे तो वह रोएगा ही रोएगा । बचपन में बच्चे बड़े मूडी होते हें । कई बार उनसे कुछ कहते हें तो वह ना कह देते हें । तो बड़ों को परेशान नहीं होना चाहिए क्यों कि बड़े कभी ना कह सकते हें तो बच्चे भी ना कह सकते हें
बचपन में हर बच्चा चाहता हे उन्हें अपनेमाता पिता का पूरा प्यार मिले । प्यार में वह अपने माता पिता का स्पर्श चाहते हें । वह चाहते हें प्यार में माता पिता उन्हे चू में ,उन्हें छूए ,उन्हें गले लगाए । माता पिता के लिए उनके बच्चे ही सब कुछ होते हें । क्यों कि वह सब कुछ उनके लिए ही करते हें। उन्हें लगता हे कि वह बच्चों के लिए ही कमा रहे हें ।
क्यों कि अपने खाने में से हमें खिलाते हें। हमारे शौक पूरे करने के लिए अपने शौक छोड़ देते हें । बचपन मेसभी बच्चे कल्पना कि उड़ान में उड़ रहे होते हें । उनके सपने पंख लगा कर उड़ रहे होते हें । सब लोग बच्चों कि आवाज पर खुश हो जाते हे। उनके हंसने की आवाज ,उनकी मुस्कराहट ,उनका खिलखिलाना ,हम उनकी इन सभी बातों पर कुर्बान हो जाते हें । क्यों की ऐसा ही होता हे हमारा बचपन जिस में माता पिता को चारों ओर हम ही हम दिखाई देते हें । वह हमें एक मिनिट भी अपने से ओझिल नहीं होने देते हें। ‘बचपन के प्यारे पल ‘
हमारे बचपन में हमारा कभी कभी तुतलाना ,कभी शर्माना ,कभी हकलाना ,कभी जोर से डर जाना। ओर माँ के गले लग जाना । कभी बिना बात ही रूठ जाना । ओर रूठने पर जरा से प्यार से बात पर ही मान जाना। बचपन में हम बच्चों को देखते हें जब वह चलना सीखते हें । तो कभी दो कदम चलते हें ओर गिर जाते हें । उनका गिरना ओर माता पिता का दौड़ कर उनको उठाना ओर फिर कहना चलो-चलो चींटी मर गई । ओर हम उन्हें प्यार से चुप करा देते हें ।
ये सब बच्चों के वह पल हें उन सब पलों को हम ताउम्र याद करते हें । ओर खुश होते रहते हें । परंतु जब हम बुजुर्ग होते हें ओर हमारे बच्चे हमारी परवाह नहीं करते तो हम सोचते हें की तुम बचपन में कैसे थे अब कैसे हो गए हो । जब भी कोई बच्चे को डांटता हे या कुछ कहता हे तो सब मिलकर उन्हें मनाते हें । ओर वह रोते हें तो सब चुप कराते हें ।
बचपन में बच्चों की प्यारी प्यारी बातें सुनकर लगता हे की उनकी ही बातें सुनें । उस वक्त हम किसी राजकुमार या राजकुमारी से काम नहीं होते। मेरी पोती मुझसे पूछती हे की अम्माँ मेरे पापा बचपन में क्या क्या करते थे । उनके मजेदार किस्से मुझे सुनाओ । क्यों की जो कल बच्चे थे आज वह पिता बन गए । ओर जब उनके बच्चे हुए तब वही पिता अपने बच्चों में अपना बचपन देखता हे । वह अपने को उस रूप में देखता हे की बचपन में वह कैसे होंगे ।
आज के बचपन की परेशानियाँहमारे बचपन में हमें जो भी मिला या हमने सीखा वह हमने अपने अनुभव से सीखा । परंतु आज का बचपन तो जैसे खत्म ही हो गया हे । क्यों की जब से mobile ओर computer बच्चों के हाथ में आए हें तब से उन्होंने पूरी दुनिया उस पर ही देख ली । ओर वे अपने अनुभव सीखने से वंचित रह गए ।
अब उन्हे कोई भी चीज़ रोमांचित नहीं करती । बच्चों को बचपन में ही इतना सब कुछ मिल गया की अब उन्हें कुछ भी मिल जाए ओर वह चाहे कितना भी कीमती क्यों ना हो पर उससे भी वह घंटे आधा घंटे में बोर हो जाते हें । अब उन्हें दादी नानी की कहानियों में कोई दिलचस्पी नहीं होती । बस उन्हें यही शब्द याद रहता हे की हम बोर हो रहे हें । यह हमारे समाज की बहुत बड़ी समस्या हे । ओर ये समस्या हमें ये सोचने पर मजबूर करती हे की हम तरक्की कर रहे हें या कहाँ जा रहे हें ।
अब जो बचपन हे। उनका बचपन बिल्कुल अलग हे क्यों की उनको अब किसी की जरूरत ही नहीं हे । एक साल का बच्चा भी mobile देखता रहता हे । ओर चुपचाप बैठा रहता हे । थोड़ा बड़ा होता हे तो game खेलता रहता हे । ओर खुश रहता हे उसे फर्क नहीं पड़ता की वह घर में अकेला हे या कोई नहीं हे ।
परंतु समस्या यही नहीं हे। असली दिक्कत ये हे की गेम खेलने के थोड़ी देर बाद वह फिर से वही कहता हे की में बोर हो रहा हूँ । क्या करूँ ?क्या करूँ ?जो भी मेरा ये ब्लॉग read करे । वह जरूर यही सोचे की क्या किया जाए इस परेशानी से निबटने के लिए ?क्यों की ये सवाल बच्चों के future का ही नहीं हे आने वाली पीड़ी का हे जो हमारे देशका भविष्य हे । बचपन , नटखट बचपन,जिद्दी बचपन, शर्मीला बचपन ।अंत में फिर भी हमें बचपन में किसी भी चीज़ की चिंता नहीं होती ना खाने की ना कमाने की ओर ना ही भूलने वाला प्यारा बचपन ।