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बस ज़िंदगी (JUST ZINDGI)


बस ज़िंदगी (JUST ZINDGI)


जिंदगी के कितने पहलू होते हैं। कोई किताब भी कम पड़ सकती है।


आपको पता ही नहीं चलता।कब कौन सा मोड़ आएगा।और हवा किधर की होगी।कौन से चौराहे से कहां मुड़ना पड़ जायेगा।या रास्ता ही बदलना पड़ जाएगा।


कभी लगता है।वाह क्या शानदार जीवन है।जो चाहा, जो सोचा,सब वैसे का वैसा है।चाहे सेहत हो या स्वास्थ्य सब कुछ बढ़िया है।


परिवार का प्यार, दोस्त बेशुमार, सब बढ़िया है।जब सब कुछ बढ़िया होता है।तो हम उसकी खुमारी में ही डूबे रहते है।और सोचते भी यही है की जिंदगी अब तो ऐसे ही चलती रहेगी।परंतु ईश्वर को तो कुछ और ही लीला दिखानी है।परीक्षा लेनी है।जब भी आपको लगे ज़िंदगी आराम से चल रही है|कहीं कोई उथल पुथल नहीं है|तो समझ लीजिए|परीक्षा का वक्त या गया|


और तब ही ना जाने एक हवा कहां से आई।जिंदगी बेचैन कर देती है।


कभी जरा सी बीमारी भी खुशियों को चीर कर देती है।


व्यापार और जिंदगी एक से ही तो होते हैं।यह नहीं हो सकता हरदम मुनाफा ही हो।मुनाफे के साथ नुकसान के लिए भी तैयार रहना चाहिए।बस जिंदगी भी ऐसी ही है।सभी रिश्ते,सभी काम सफल हों यह सोचना गलत है।यह नहीं हो सकता।


वैसे ही जिंदगी में सब कुछ बढ़िया ही हो।यह नहीं हो सकता।जरा सी भी उथल पुथल पूरा हिला सकती है।सोचने समझने की शक्ति मिटा सकती है।खुशियों वाले तारों को झनझना सकती है।जला सकती है।अच्छे खासे परिवार में कड़वाहट डाल सकती हैं। तो क्या करें?


जब सब कुछ सोचा हो जाए,या अनचाहा सोचा हो जाए, तब क्या करें?

क्या खामोश खड़े देखते रहे?

क्या आपस में लड़ाई झगड़े करें?

क्या तमाशा दिखाएं ?

क्या मातम मनाएं?

दिल जलाकर लोगों को खुश कर जाएं?

क्योंकि वह सब आपके इस पल का इंतजार कर रहे होते है।

क्या करें?

भगवान से प्रार्थना करें कि वह सही रास्ता दिखाएं।

हमें सब सहन करने की शक्ति दे।

या फिर सब परेशानियों से निपटने का प्लान बनाएं।और उससे निजात पाएं।

सब्र, हिम्मत और हौसला ना छोड़े क्योंकि यही जिंदगी का असली टूल है।

Shashi Gupta


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