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बारिश की एक शाम

अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022


आज हम जब सुबह सैर कर रहे थे।

आज भी तो बादल काले थे,

लग रहा था पानी से भरे हैं।

हवा का कहीं नामोनिशान न था,

हम पसीने से तरबतर भीगे थे।

आज लग रहा था,

वर्षा जरूर होगी।

1 महीने में पहली बार लगा कि,

आज तो चाहे कुछ भी हो,

इंद्रदेव प्रसन्न होकर बरसेंगे।

इंतजार में सुबह बीती,दोपहर आई।

पर अभी तक बारिश की बूंद ना आयी।

मैंने सोचा आज मौसम बदला था,

पहले जितना ठंडा भी न था।

यह गर्माहट आज बारिश की निशानी है,

इंद्रदेव आज अवश्य बरसायेंगे,

शायद ये उन्होंने ठानी है।

शाम हुई, शुरुआत बूंदाबांदी से हुई,

धीरे-धीरे बारिश तेज हो गई।

बिजली कड़कने का शोर सुनाई देने लगा,

पानी गिरने का संगीत भी बजने लगा।

रिमझिम रिमझिम बरसात में,

सारा पर्यावरण मिट्टी की,

सुगंध से महकने लगा।

शनिवार शाम को ही, रविवार लगने लगा।

बारिश की खुशी में,क्यों ना घर चला जाए?

परिवार के साथ बैठकर,

वर्षा का लुफ्त उठाया जाए।

आज की शाम बड़ी सुहानी है।

प्रभु कि आज हम पर भी मेहरबानी है।

बारिश तेज बरस रही है,

लगता है धरती की प्यास बुझ रही है,

पेड़ भी सब नहा कर नये लग रहे हैं,

लगता है सब सज सवंर रहे हैं।

वे भी आज बहुत खुश हैं,

पानी के अभाव में सूख कर झड़ रहे थे,

लगता है आज फिर से खिल उठेंगे।

बारिश की आवाज में झरनों का शोर है।

सभी और से आवाज आ रही है,

यह पल हम सबके लिए भाव विभोर है।

आज लग रहा है सावन आया है,

अफसोस कल सावन का,

आखिरी दिन भी नजदीक आया है।


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