बीती जा रही है, उमर धीरे धीरे ।

बीती जा रही है, उमर धीरे धीरे ।
चली जा रही है, उमर धीरे धीरे ।
पल पल आंठों पहर, धीरे-धीरे।
चली जा रही है, उमर धीरे धीरे।
बचपन भी जाए,जवानी भी जाए।
तब तक तो कुछ, समझ नहीं आये।
बुढ़ापे का होगा,असर धीरे-धीरे ।
बुढ़ापे का होगा, असर धीरे-धीरे।
पल पल आंठों पहर, धीरे-धीरे
बीती जा रही है, उमर धीरे धीरे।
कानों से अपने सुनाई ना देगा,
आंखों से तुझे कुछ दिखाई ना देगा।
यादें भी मिटने लगी धीरे-धीरे ।
यादें भी मिलने लगी धीरे-धीरे
पल पल आंठों पहर धीरे-धीरे।
बीती जा रही है, उमर धीरे धीरे।
तेरे हाथों में दम ना रहेगा,
काम फिर कुछ भी कर ना सकेगा|
झुकेगी फिर अकड़ी कमर धीरे-धीरे|
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
दातों से तू फिर खा ना सकेगा,
काम अपने फिर कर ना सकेगा,
बोझ बन जाएगा फिर धीरे-धीरे|
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
चलने लगेगा तू लेकर सहारा,
दिखने लगेगा फिर भी तू बेचारा,
खटकने लगेगा फिर धीरे-धीरे|
पल पल आठों पहर धीरे-धीरे|
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पैसा धेला कमा ना सकेगा,
मन से फिर कहीं जा ना सकेगा,
जेल बन जाएगा घर धीरे-धीरे|
पल पल आठों पहर धीरे-धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
बुराई को अपने मन से हटा ले,
समय से तू जीवन को संभाले|
तभी होगा प्रभु से मिलन धीरे-धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे|
पल पल आठों पहर धीरे धीरे|
शशीगुप्ता.भारत