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भोजन के सिद्धान्त



जब भी आप भोजन कर रहे हो ।तब भोजन के प्रति आभार रखकर भोजन करें। खाते समय ध्यान रखिए ।हो सके तो जागरूक होकर खाइए।

1. जभी आप खाना खाये तो देखें, खाने के बाद,

2.शरीर कैसी प्रतिक्रिया कर रहा है ?



3.क्या शरीर चुस्त और फुर्तीला है ?

4.क्या खाना खाते ही शरीर आलस्य से भर गया है?

5.क्या आराम करने को कह रहा है?

6.यही बता देगा कि आपने खाना कैसी क्वालिटी का खाया है ?

7.उसका असर कैसा है?

जब भी खाना खाओ तो भोजन को सचेत हो कर चुने।

1.आपको क्या खाना है ?

2.और क्या नहीं खाना ?

आप जो भी खाते हैं, वह चाहे फल हो या सब्जियां या नॉनवेज,आप जो भी खा रहे हैं।

3.क्या आप जानते हैं कि आप जो भी खाते हैं उन सब में जीवन हैं ?

जब भी आप कुछ खाते हैं तो उसे पूरे आदर सम्मान के साथ खाएं ।जो भी आप अपनी थाली या प्लेट में खाते हैं ।वह केवल भोजन सिर्फ पदार्थ नहीं ,वह केवल कोई वस्तु नहीं ,वह भोजन जो आप खा रहे हैं। उससे आपके शरीर में खून का मांस बनता है।


इसलिए भोजन जब भी आपकी प्लेट में आता है। उस भोजन को सम्मान दें ,और हमें उसे सम्मान के साथ ही खाना चाहिए ,क्योंकि भोजन ही है जिसके द्वारा हम बच्चे से बड़े होते हैं।

हमारा शरीर बढ़ता है। भोजन का हमारी जिंदगी में सबसे ज्यादा महत्व है। अगर कभी हमें 5 दिन तक भोजन न मिले, और भगवान आकर पूछे कि तुम्हें अभी क्या चाहिए ?

तो हम केवल और केवल भोजन ही मांगेंगे क्योंकि उस समय जिंदगी बचाने के लिए हमें सिर्फ भोजन ही चाहिए ।

अगर आप भोजन को सम्मान देकर करेंगे तो आपके शरीर पर उसका असर बहुत अच्छा होगा।

अगर आप भोजन को बहुत ही प्यार से करेंगे, तो वह आपके शरीर में प्यार ही प्यार भर देगा।

अगर आप गुस्से में भोजन करते हैं, या नफरत से भोजन करते हैं।तो यह आपके शरीर में गुस्सा और नफरत ही बनाएगा।

अतः भोजन करते समय आप को जागरूक होना बहुत जरूरी है। भोजन करते समय यह जानना भी बहुत जरूरी है कि आप क्या खा रहे हैं ?

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