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महावीर जयंती पर विशेष

भगवान महावीर का जन्म वैशाली के गणतंत्र राज्य कुंडलपुर में हुआ। केवल 30 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपना राजपाट का सब सुख, वैभव त्याग कर जीवन की खोज में निकल गए।


राजपाट छोड़ने के बाद उन्होंने बहुत कठिन तपस्या की। यह तपस्या 12 वर्ष तक करने के पश्चात उनको ज्ञान प्राप्त हुआ।


एवं 72 वर्ष की उम्र में उनको मोक्ष की प्राप्ति हुई। उन के मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।


जैन धर्म में मुख्यतः 5 सिद्धांतों को माना गया है।


1.अहिंसा, 2. सत्य , 3.अपरिग्रह, 4. अस्तेय और 5.ब्रह्मचर्य


ईमानदारी, शुद्धता ,गैर भौतिक चीजों से दूरी के बारे में बता कर भगवान ने इन्हीं पांचों सिद्धांतों से पूरे संसार को जीने की राह दिखाई।


महावीर जयंती के अवसर पर सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकाली जाती है। फिर बाद में पालकी पर महावीर भगवान की यात्रा निकालते हैं।


जगह-जगह लंगर के भोजन की सुविधा भी लगाई जाती है।

इस वर्ष 14 अप्रैल 2022 गुरुवार को महावीर जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी।


हिंदी तिथि के अनुसार हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर महावीर जयंती मनाई जाती है।


महावीर स्वामी ने कर्म के सिद्धांत पर जोर दिया है। वे कहते हैं। पहले सीखो और जानो।


फिर उस कर्म करो। तो हमारे कर्म की जागरूकता बढ़ जाएगी। और अनायास बिना सोचे समझे हम जो गलत काम कर देते हैं। हम उससे छुटकारा पा सकते हैं।


उनके सिद्धांतों में कर्म का सबसे ज्यादा महत्व है। वे कहते हैं। कर्म सिर्फ कर्म ही नहीं। गलत सोच भी कर्म का ही दूसरा रूप है।


आप गलत कर्म तो देख सकते हो।

लेकिन सोच, अगर आपकी सोच में भी आप किसी का बुरा करते हैं।यह भी गलत कर्म में ही आएगा।


जैन धर्म में महावीर स्वामी ने बताया है कि हमारे जीवन में भावनाओं का बहुत महत्व है।


जिस भाव से हम सोचते हैं।वह भाव हमारे मस्तिष्क में बैठ जाते हैं। और हम कभी भी उन्हीं भावों की क्रिया कर बैठते हैं। जबकि वह भाव उस समय के नहीं थे।


पहले कभी मन में आए, मस्तिष्क में जगह बना कर वक्त बेवक्त अवतरित हो गए।


हमारे चाहे बिना भी आ जाते हैं। इसलिए उन्होंने सोच और भाव का बहुत महत्व दिया है। हम जैसा सोचेंगे, वैसी ही क्रिया करेंगे।


महावीर स्वामी जी ने एक बात और बहुत ही खूबसूरत बताई है।भगवान को बाहर क्यों ढूंढते हो। भगवान तो हम सबके अंदर है। हमारी आत्मा में है। जोकि अजर अमर है। आत्मा ही परमात्मा है।


इस बात पर मुझे एक वाकया याद आ गया। मैंने कहीं पढ़ा था।


जब भगवान ने इंसान को बनाया।तो वह भी आश्चर्यचकित हो गए।सोचने लगे यह तो बहुत ही जबरदस्त बन गया।


यह सब कुछ कर सकता है। तो भगवान सोचने लगे ।अब मैं कहां रहूं ?


तभी उन्हें यह समझ आया कि क्यों ना मैं इंसान के अंदर ही बस जाऊं क्योंकि वह मुझे बाहर ही ढूंढता रहेगा।


कभी भी अंदर ढूंढने की कोशिश ही नहीं करेगा। ठीक वैसे ही हिरण कस्तूरी के लिए वन वन में घूमता है। जबकि कस्तूरी उसी के अंदर है।


सब कुछ जानते हुए भी हम जागरूक क्यों नहीं है ?

हम अपने अंदर चेतना क्यों नहीं पैदा कर पाते?


हमेशा झूठ और सामानों को इकट्ठा करने के मोह से बाहर क्यों नहीं आ पाते?


क्षमा करना तो जैसे भूल ही गये। क्षमा का तो लगता है। दूर का वास्ता है क्योंकि ईगो आगे आ जाती है।


और गलती करके भी हम क्षमा मांगने में कतराते हैं।


उन्होंने सत्य के बारे में बताया कि पूर्ण सत्य को कोई नहीं देख सकता।सत्य का सब का अपना ही एक ओचित्य है।


के बार सत्य अलग अलग व्यक्ति के लिए अलग हो जाता है।


जैसे पेट भरा हो तो स्वादिष्ट खाने में वह बात कहां ?

जो एक भूखे व्यक्ति के लिए उस खाने मैं स्वादिष्ट ही नहीं सर्वोत्तम है।


खाना तो एक ही है। यह भी सत्य है कि स्वादिष्ट है।

स्वादिष्ट की परिभाषा अलग-अलग है।


जैसे एक व्यक्ति बहुत अच्छा है। आचार विचार, व्यवहार में परंतु किसी के लिए वह बहुत अच्छा है। किसी के लिए कम।


यह वक्त और हालात पर निर्भर है। किसी के बारे में हम क्या-क्या सोचते हैं। एक ही सच है अच्छा आदमी है।


वक्त के साथ-साथ जैन धर्म दो भागों में बँट गया।

1. दिगंबर जैन 2.श्वेतांबर जैन


दिगंबर जैन का मतलब है। दिशा ही जिनका वस्त्र है। यानी वह जहाँ भी रहते हैं, सोचते हैं कि जिस भी दिशा में चल रहे हैं।बैठे हैं, वहीं उनका वस्त्र है। इंसान के बनाए वस्त्र नहीं पहनते।


श्वेतांबर जैन

यह सफेद वस्त्र पहनते हैं। और मुंह पर भी सफेद पट्टी बांध कर रखते हैं।


इन दोनों में एक और अंतर है। दिगंबर जैन महावीर स्वामी की उनके समय की बातों को, उनके उपदेशों को वैसे ही मानते हैं।


श्वेतांबर जैन लोगों ने उस वक्त के धर्म में वक्त के अनुसार चलने के लिए कुछ परिवर्तन किए हैं। जैसे वह सफेद कपड़े पहन कर रहते हैं।


जैन धर्म के नियम बहुत सख्त होते हैं।पर मक़सद अपने पर संयम रखने का है।


आप सबको महावीर जयंती की बहुत बहुत शुभकामनाएं।आप सब खुश रहें,स्वस्थ रहें,यही मेरी हार्दिक अभिलाषा है।

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