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माँ तो माँ ही होती है

अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022


पूरे घर की चिंता करती, 

तब कहीं जाकर सोती है।

कौन है भूखा, कौन है प्यासा,

सबको वही देखती है ।

मां तो मां ही होती है।

देख के चेहरा बच्चों का,

सब हाल वह जान ही लेती है।

बच्चों पर आई मुसीबतों को,

पल में भाप ही लेती है ।

बेटियां अपने घर कैसी है,

इसी उलझन में रहती है।

कैसे पूछूं ,बात करुं,

बस यही सोचती रहती है।

फोन पर सबसे पहले,

कैसी है बेटा पूछती हैं।

फिर बच्चों की, दामाद की,

सबकी खैरियत जानती है।

मां तो मां ही होती है।

हर बार सर्दी आते ही,

पूछती है कब आएगी तू।

बता दे जल्दी लड्डू बना दूंगी,

जब भी आएगी तू ।

हर बार पापा के लड्डू के साथ,

मेथी वाले लड्डू मेरे लिए भी बनाती हैं।

खाए कि नहीं है,

वह याद भी वही दिलाती है।

पूछती है कब आएगी,

बहुत दिन बीते आए हुए ।

वैसे ही तू आकर मिल ले,

कितने दिन हुए देखे हुए ।

जब भी तू आती है ,

घर में रौनक लग जाती है।

शोर मचा कर हम सबको,

पहले की याद दिलाती है।

पूछती है कोई परेशानी,

तो नहीं घर में सब ठीक तो है।

कोई दिक्कत, कोई उलझन,

कोई भी बेचैन तो नहीं है।

जब भी जाती हूं मां के पास,

वह लिस्ट बनाकर रखती है।

जब आएगी ,यह बनाएंगे,

यह खिलाएंगे, रोज वह बता ही देती है।

सब के सब कुछ करना चाहे ,

सबका अपना अपना शौक।

कभी भाई और कभी भाभी,

कभी पापा बताते हैं बिन रोक टोक।

रोज बाजार जाने से पहले ,

पूछेंगे क्या सब्जी लाऊं ?

अब तो तेरी पसंद की बनेगी ,

जल्दी बता मैं क्या ले आऊं ?

कभी बनाकर हलवा पूरी ,

कहते बड़ी कमजोर हो गई ।

जब तक यहां है ,

इसका ध्यान रखो ,

अब यह लापरवाह हो गई।

जब खाने बैठती हूं,

तो कहती है क्या खाना खाया?

यह तो फूल सूंघने जैसे,

मेरे मन को नहीं भाया।

ठीक से खाया कर ,

तभी तो शक्ति आएगी।

जो मन करे बता जल्दी ,

वह सब चीजें बन जाएंगी ।

कुछ दिन पहले ही फोन आया,

कि अब तू कब आ रही है।

कम से कम 7 दिन को आना,

पहले ही बता रही हूं।

ऐसा ना कि अभी आई ,

और कहे कल जाना है।

जानती है ना मन नहीं भरता,

मन घुट कर रह जाता है।

मां तो मां ही होती है।

हमारे आने का इंतजार ,

वह दिन गिन गिन कर करती है।

जाने का नाम जब भी ले,

तो मन व्यथित कर लेती हैं।

अभी तो इतने दिन बाद आई है,

ना मन की कहीं ना सुनी अभी।

थोड़े दिन तो ठहर जा फिर,

कब आएगी जल्दी यह घड़ी।

मां के पास जाने के लिए,

तो कह देती हूं मायके जाना ।

सोचकर अभी से डर लगता है,

बिन माँ जग वीराना होता है।

माँ तो माँ ही होती है।


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