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मां अनमोल है


माँ के बारे मैँ लिखने को कोई शब्द नहीं हैं। 

जितना लिखो या बोलो सब कुछ कम ही लगता है।

क्यों की माँ की तुलना हम किसी से नहीं कर सकते।

सब का अपना हर काम में स्वार्थ होता हैं।

पर माँ हमेशा अपनी संतान के लिए निस्वार्थ काम करती है।

कोई भी अपनी परेशानी बताए मां वह जादू है।

सब झट से दूर कर देती है।

माँ की गोद मैँ जो सुख है।

वह संसार की किसी भी सुख मैँ नहीं है।

माँ 

ईश्वर के बाद दूसरा नाम मां।

त्याग और प्यार की,

मूर्ति का नाम मां।

जो सिर्फ देना जानती है।

सबसे पहले सीखा,

शब्द बोला मां।

दुख और तकलीफ,

में सिर्फ मां।

खुशी की खबर,

में पहला नाम मां।

जिंदगी का पहला,

स्पर्श में सिर्फ मां।

जिंदगी का पहले,

कदम में साथ मां।

पैदा होने से बड़े,

होने तक मां ही मां।

मुसीबत में सहारा,

बन खड़ी होती मां।

परेशानियों में सिर,

पर हाथ रखने वाली मां।

हर कदम पर साथ,

होने का एहसास माँ।

अकेला नहीं पढ़ने,

देने वाली मां।

हर तकलीफ का,

हल है मां।

समस्याओं का,

निपटारा करती मां।

दुख में गले लगाकर,

हौसला देती मां।

जहां भी है हम खुश हैं,

हमारे पास है मां।

तुम जहां भी रहो ,

खुश रहो,

ऐसा हरदम सोचती,

आशीर्वाद देती मां।

हर वक्त खुशी का,

हो या गमों का,

मैं हूँ ना यह,

कहने वाली माँ।।

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