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मां तुम हो कितनी महान

फिर भी कितना तुम सहती हो

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मां तुम कितनी हो महान,

फिर भी कितना तुम सहती हो।

सहनशीलता बेमिसाल,

हर गम से कर भी हंसती हो।

कभी ना करती कोई शिकायत,

शांत हर समय रहती हो।

जब देखती हो दुखी कोई,

उसके दुख दूर तुम करती हो।

आ जाए कोई भूखा द्वार पर,

कभी ना खाली भेजती हो।

मां तुम कितनी हो महान,

फिर भी कितना तुम सहती हो।

करी ना तुमने कभी शिकायत,

कामों से थक जाने की।

दर्द पैर में और कमर में,

उन दर्दों को भुलाने की।

चाहे कितनी हो तकलीफें,

फिर भी ना कभी तुम रुकती हो।

मां तुम कितनी हो महान,

फिर भी कितना तुम सहती हो।

सब लोगों का ध्यान हो रखती,

माँ तुम गृह स्वामिनी हो।

चाहे कितनी भी हो बीमार,

पर फर्ज ना कभी भुलाती हो।

देख के तुम बच्चों को भूखा,

झट रसोई में घुस जाती हो।

मां तुम हो कितनी महान,

तुम कितना खुश रहती हो।

दिल की तो बात ना पूछो,

सब के दिल की तुम सुनती हो।

चाहे भला किया हो या बुरा किया हो,

उन्हें हर समय माफ कर देती हो।

ह्रदय तुम्हारा है विशाल ,

तुम सब के लिए हो दयालु हो।

मां तुम हो कितनी महान,

फिर भी तुम कितना सहती हो।

तुम्हारे आंचल की छांव तले,

अब भी संसार हमारा है।

तुमने अपना आशीष हमें,

हर दम महसूस कराया है।

आज भी जब तुम मिलती हो,

हम सबकी चिंता करती हो।

मां तुम हो कितनी महान,

तुम सब कुछ सकती हो।

अब हम पोते पोती वाले,

आपके सामने बच्चे हैं।

आज भी आपकी अंग्रेजी पर,

चुपके चुपके हंसते हैं।

और आप भी गलत बोल कर,

हम सब की ओर देखती हो।

मां तुम हो कितनी महान,

सब कुछ कर सकती हो।

जब कहती हो कोरोना को,

यह कैसा कोरमा आया हें।

सच पूछो मां हमारे दिल में,

तुम्हें अपने करीब ही पाया है।

इस कोरोना काल में भी,

तुम हमसे मिलने को तरसती हो। माँ तुम कितनी हो महान, फिर भी कितना तुम सहती हो।

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