अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022
यह कहानी नहीं हकीकत है अधिकतर हमारे देश के बुजुर्गों की। मैंने उनकी वेदना को साझा करने का एक छोटा स प्रयास किया है।ये वह बुजुर्ग हैं। जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने परिवार को संभालने मैं लगा दिया। पर आज वह कितने अकेले हैं। यह कोई समझना ही नहीं चाहता। ना ही किसी को कोई दिलचस्पी है कि वह कैसे हैं?

कैसे कहूँ की मैं ठीक नहीं हूँ ?
जब भी किसी से यह कहता हूं, या जवाब देता हूं। तो कोई भी यह समझने या जानने की कोशिश नहीं करता कि मैं
वास्तव में ठीक हूं। या नहीं
या मैंने अपना तकिया कलाम बना लिया है कि कोई भी पूछेगा तो मैं यही कहूंगा कि मैं ठीक हूं।
कैसे कह दूं कि मैं ठीक नहीं हूं?
जो भी फोन करते हैं या मुझे संपर्क करते हैं।वह लोग अपने दिल में यही सोचते हैं कि मैं ठीक ही होऊंगा।
कैसे उन्हें सही हालात बता कर निराश कर दूँ ? लोग मिलने आते हैं। अपना दर्द सुना कर हल्के हो जाते हैं।कैसे उन्हें अपने दर्द सुना कर बोझिल कर दूँ ?
कैसे बताऊं कि जहां देखता हूं ।जिधर सोचता हूं। सब और दर्द ही दर्द दिखाई पड़ता है।
कैसे कहूं कि मैं ठीक नहीं हूं?
कोशिश करता हूं किसी को परेशान ना करूं,अपना काम स्वयं ही कर लिया करुं।
पर क्या यह संभव है।पर संभव करने में जुटा रहता हूं। कहीं गलती से काम बताया और किसी ने ना किया ।और
मुझे ना सुनना पड़े। यह सह नहीं पाता हूं।इसलिए किसी को काम नहीं बताता हूँ।
कैसे कहूं मैं ठीक नहीं हूं ?
इच्छाएं बहुत है, तमन्नाएं भी बहुत हें।जो पूरी ना हुई।कभी-कभी कसमसाहट सी रहती है।सोचता रहता हूँ कि क्या क्या चाहता था। कुछ भी ना हो पाया।
कैसे कहूं? आज यह खाने का मन है।
कैसे बताऊं ?आज वहां जाने की इच्छा है।किसी से मिलना चाहता हूँ। कुछ दिल की सुनाना कुछ सुनना चाहता हूँ।
पता है कि ना खा पाऊंगा।
पता है कि ना जा पाऊंगा।
कैसे कहूं कि मैं ठीक नहीं हूं?
ना छोड़ कर जाओ अकेला, मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।
मुझे तुम्हारा स्पर्श चाहिए।
रोकना नहीं चाहता,टोकना भी नहीं चाहता।
कैसे कहूं कि मैं ठीक नहीं?
कैसे कहूँ कि मैं अस्वस्थ हूं ?
कुछ कर नहीं पाऊँगा। अकेला तो में जी भी नहीं पाऊँगा।
खुश होना चाहता हूं ,तो पुराने ख्यालों में खो जाता हूं।
बचपन से जवानी के ताने-बाने बुन लाता हूं।उनकी यादों मैं वक्त बेवक्त खो सा जाता हूँ।
अपने सपने अपने हालात में गुम हो जाता हूं। पर आज अभी मैं ठीक नहीं हूँ ,यह कह नहीं पाता हूं।
जानता हूं अगर यह कहा कि मैं ठीक नहीं हुँ।
तो सब पूछना बंद कर देंगे।
मेरी परेशानियों को सुन मुंह फेर लेंगे।
सामने मेरे दया दिखाएंगे,
पीछे से मजाक बनाएंगे।
मेरे दुख दर्द को हंसी में उड़ाएंगे।
कोई कोई तो इसे ड्रामा भी बताएंगे।
क्या यह ठीक होगा कि कोई पूछे और मैं बस यही कहूंगा कि मैं ठीक नहीं हूं।
कृपया बताएं क्या मैं ठीक हूं यह सही है?
क्या मैं ठीक नहीं हूं या यह सही है?