
मौत ने नींद से उठाया जागो,
क्यों सोए हुए हो।
तुम सदा यहीं रहोगे,
इस गफलत में खोए हुए हो।
यह विचार तुम्हें ही क्यों आया।
किसी पशु,पक्षी,पेड़ को ना आया।
वो भी तो मरते हैं।
देखते हैं।दूसरों को मरते हुए।
पर उन्हें भी एक दिन मरना है।
यह कोई पशु,पक्षी ना समझ पाया।
यही बात मनुष्य पर भी लागू होती है।
वह भी यही सोचता है।
उसे नहीं जाना, उसको जाना है। इसको जाना है,सबको जाना है। पर अपने बारे में उसका निश्चित हो जाना।
जब भी देखता हैं। दूसरे को जाते हुए।
सोचता है,वह चला गया,
मुझे अभी नहीं जाना।
जहां खबर नहीं पल दो पल की,

वह वर्षों की योजना बनाते जाना।
यही देख देख कर लगता है।
उसे कभी नहीं जाना।
पर पता नहीं कब,
ऊपरवाला कहे उसको बुलाना।
मौत की असीम कृपा है।हम पर।
वह हमें चेतावनी देती रहती है।
जीवन में तो हम सोए रहते हैं।