अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022

बहन भाई का पवित्र बंधन है। रक्षाबंधन का मतलब तो यह है कि बहन भाई को राखी बांधती है।
वह हमेशा यही सोचती है कि भाई उम्र भर उसकी रक्षा करेगा। इसे रक्षा सूत्र भी कह सकते हैं।
इस दिन बहन भाई को राखी बांधती है।और भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।
यह एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है। पूरा दिन घर में रौनक लगी रहती है। घर में खुशी का माहौल होता है।
पहले के समय में बुजुर्ग कहते थे।जिस घर में बहन और बेटियां आती रहती हैं। उस घर में हमेशा बरकत रहती है।
उनके भाग्य से उस घर में हमेशा लक्ष्मी का आगमन होता रहता है। बहन बेटी का मायके आना, और आकर शोर मचाना ,हंसी की आवाजें गूंजना।घर में उत्सव जैसा माहोल होता है। सब बार बार पूछते हैं। दीदी तो आ गई।
भुआजी कितनी देर में आएंगी। जब सब होंगे तब ही आनन्द आएगा।
घर परिवार में खुशहाली की अनुभूति महसूस करवाती हैं।
यह त्योंहार सिर्फ बनावट या एक जिम्मेदारी का नहीं है। यह वास्तव मैँ बहन और बेटियों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला
है। कई दिनों से तैयारी करती हैं। राखी पर यह पह्नुगी। पार्लर तो जाऊँगी। राखी तो अपनी पसंद की लाऊँगी।
भतीजे भतीजी के लिए कुछ उपहार भी लूँगी। लगता है ना यह त्योंहार कितना खूबसूरत है।
परंतु जब घर में बेटी भी ना हो। बहन भी ना हो तो उनको देखो उन्हें कितना दुख होता है।आँखें नम हो जाती है।कलाई सूनी रह जाती है। मन बहुत व्यथित हो जाता है।
अगर यह सिर्फ एक औपचारिकता होता तो आज तक वास्तविक त्योहार के मायने बदल जाते हैं ।अब त्योंहार पहले जैसे नहीं लगते। कुछ फीके लगने लग गए हैं।
पहले हम हर एक त्योंहार का इंतजार काफी समय पहले से ही करने लगते लग जाते थे।
पर अफसोस तो यह है कि अब त्यौहार आता है। और चला जाता है। पता ही नहीं चलता।
त्योंहार का ना वह उन्माद रहा और ना इंतजार।
इस त्यौहार का जो मतलब है उस मतलब के हिसाब से तो महज़ राखी के लिए मोली का धागा ही काफी है।
क्या आप अपने को सुरक्षित समझते हैं। कि आपका भाई आपके हर सुख दुख में आपके साथ खड़ा है?
यही असली वाला रक्षाबंधन है।
रक्षाबंधन पर अब हम एक और नई समस्या से गुजर रहे हैं ।
अब बहन और बेटियों का अभाव हो रहे हैं। किसी के घर एक बेटा ही है।
किसी के दो बेटे ही हैं।
वह क्या करे ?
उनको इसकी तकलीफ है कि बहन ही नहीं है। किसी के बुआ भी नहीं है। वह चचेरी बहन का इंतजार करते हैं।
क्यों सबको बेटा ही चाहिए ?
पर बेटियां भी तो उतनी ही जरूरी है।
कभी-कभी भाई बहन इतनी दूर रहते हैं।कि वह राखी पर आ ही नहीं पाते हैं।राखी डाक एवं कुरियर से आ जाती है।
और वह अपने घर में इस त्यौहार को अधूरा सा महसूस करते हैं।मन नहीं लगता।एक बैचेनी सी रहती है।
यह त्योंहार एक अहसास करवाता है कि हर घर में बेटी तो होनी ही चाहिए।
बेटियां केवल यही नहीं सोचती कि उन्हें मायके से कुछ चाहिए। वह तो अपने भाई के घर को हर वक्त हरा हरा खुशहाल देखना चाहती हैं।
वह चाहती हैं कि उस घर में उनके आने से रौनक और जाने के बाद कुछ खाली लगना चाहिए।
फिर वह बार-बार आती रहेंगी। वैसे भी त्यौहार का त्यौहार लगना बहन और बेटियों से ही महसूस होता है।
बेटियां ही हर त्योहार की जान होती है।
हमारा देश त्योहारों का देश है। हम हर त्योहार को एक उत्सव की तरह मनाते हैं।
जिंदगी में उत्सव का होना जरूरी है। यही खुशहाल जिंदगी की निशानी है।
आज तो भाई और भाभी दोनों ने बुलाया है।
राखी का त्योंहार जो आया है।
यह बुलावा कोई मामूली नहीं,
इसमें उनका प्यार समाया है।
कहा कि जल्दी आ जाना,
कहीं देर ना लगाना,
दोनों खाना साथ ही खाएंगे,
इंतजार ना बहुत करवाना।
फिर तुम राखी बांध देना,
सूनी कलाई रहने ना देना,
मुझे हर वक्त फिक्र है तुम्हारी,
इस बात से तुम बेफिक्र ही रहना,
तुम्हारी हर जरूरत पर में,
पास तुम्हारे खड़ा रहूंगा।
जब भी तुम मुझे याद करोगी,
अपने पास मुझे पाओगी।
भाई हैं सदा के लिए,
मैँ भगवान से प्रार्थना करती हूँ की, तुम हमेशा स्वस्थ रहो,खुश रहो, मस्त रहो,