
शब्द तो यह छोटा सा है। परंतु मायने बहुत बड़े हैं।
1 मई 2021 सुधीर चौधरी जी,ज़ी न्यूज़ से,
उन्होंने इस शब्द को बताया।
कभी आपने सोचा है।
कि रिश्तों का बैंक बैलेंस क्या है?
इसका मतलब है ।
आप के लोगों के साथ रिश्ते कैसे हैं?
क्या तुम्हारे पास जो रिश्ते हैं?
क्या वह सच्चे हैं?
क्या वह बैंक बैलेंस के लायक हैं ?
क्या उन्हें बैंक बैलेंस की जगह दे सकते हैं?
यह विषय सोचने का रिश्तो का बैंक बैलेंस है।
क्या आपके पास रिश्तों का बैंक बैलेंस है?
क्या आपके पास रिश्ते सच्चे हैं ?
क्या आप मुसीबत में है ?
क्या उस मुसीबत में साथ देने,
वाले रिश्ते आपके बैंक बैलेंस में है?
क्या आप जब बीमार हैं ?
उस समय आपके पास साथ देने वाले रिश्ते
आपके बैलेंस में है।
तब यह रिश्ते आपको जीवन की ऑक्सीजन देंगे।
“उनका आपके साथ खड़े होना ही,
काफी हद तक जीवन की ऑक्सीजन होगी।
कोरोना जैसी महामारी में हमें रिश्तों,
के बैंक बैलेंस और रिश्तों की ऑक्सीजन,
हमारी जिंदगी के लिए वह सबसे जरूरी है।”
यह रिश्तों का बैंक बैलेंस,
अधिकतर का बहुत कम है ।
किसी का तो जीरो ही है।
कुछ रिश्ते इस महामारी में,
अपनों को अस्पताल में छोड़ जाते हैं।
और खबर भी नहीं लेते।
उन्हें क्या कहें जीरो बैंक बैलेंस ?
कुछ लोगों को तो इस महामारी में,
चार कंधा देने वाले रिश्ते भी नहीं मिलते।
उन्हें क्या कहेंगे कि जीरो बैंक बैलेंस?
जीरो बैंक बैलेंस ऑक्सीजन को ढूंढ रहे हैं।
पर क्या आपने अपने रिश्तों को,
ऑक्सीजन दी?
जो आखरी सांसे ले रहे हैं।
कभी सोचा उनके बारे में,
“उन्हें भी ऑक्सीजन चाहिए थी ?
आपके रिश्तों के,
बैंक बैलेंस में आने के लिए,
आपके साथ कंधे से कंधा,
मिलाकर खड़े होने के लिए।”
अपने रिश्तो का बैंक बैलेंस,
पैसो के बैंक बैलेंस से बड़ा है।
जैसे पैसे बढ़ाना चाहते हो,
रिश्तो का बैंक बैलेंस,
भी बढ़ाने की चिंता कीजिए।
खुशी हो या गम,
यह दोनों बैलेंस जरूरी है।