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वर्षा और बादल

अपडेट करने की तारीख: 20 जन॰ 2022


रोज काले बादल आते हैं।

ठंडी ठंडी तूफानी हवा भी साथ लाते हैं।

पर पता नहीं चलता,

किसी बेवफा आशिक की तरह,

कहीं और जाकर बरस जाते हैं।

जब भी काले काले बादल आते हैं।

हम सबको भरमा जाते हैं,

कभी कहीं पकोड़े बनवाते हैं,

किसी को काम पर जाने से रुकवाते हैं,

आज तो काम पर जाने का मन ही नहीं,

देखो ना मौसम क्या कह रहा है?

चलो कुछ अच्छा सा बनाते हैं,

उसकी खुशबू और गर्माहट,

से मन प्रसन्न कर जाते हैं।

जब भी ये बादल आते हैं,

कहीं तो बरसते ही होंगे,

मन व्याकुल है,

यह कैसा सावन है,

बादल तो हैं, पर वर्षा कहाँ है?

कैसी तुम्हारी लीला है प्रभु,

कहीं तो बाढ़ आ रही है,

कहीं गर्मी बेहाल कर सता रही है,

और यहां तो ठंडी हवा,

ऊटी का एहसास करा रही है।

जब जब यह काले बादल आते हैं,

वर्षा की प्रतीक्षा करवाते हैं,

आज तो अवश्य ही होगी,

यह सोच कर खुश हो जाते हैं।

जब भी यह बादल आते हैं,

मन मयूर नाचता है,

मेह आओ, मेह आओ,

की आवाज लगाता है।

पर बादल है, जो बरसते ही नहीं,

सिर्फ देख कर चले जाते हैं,

यही भ्रम बना जाते हैं ,

आज तो बरसेंगे ,

आज तो धरती तृप्त होगी,

आज तो नदियाँ भी खुश होंगी,

वो भी सागर की ओर अग्रसर होंगी।

मिटटी की भीनी भीनी खुशबू आएगी,

वह दिल में एक नया उन्माद जगाएगी,

पर अफसोस रोज काले बादल आते हैं।

बिजली की चमक भी दिखाते हैं।

बहुत तेज़ तेज़ गड़गड़ाहट,

भी करके गरजते है।

परन्तु इन सबके बाबजूद,

बादल बिना बरसे चले जाते हैं।

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