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विचार और बिमारियाँ

आपके विचार आपकी बीमारियों के कारण है ?

आप अपने शरीर की बीमारियों को अपने आप कैसे ठीक कर सकते हेँ ?

हमारे शरीर में बीमारियाँ होती ही क्यों हें ?

हमारे बीमार होने का कारण हम स्वयं तो नहीं ?

हमारे शरीर में जो होता हें। हमारे विचार ओर भावनाओं की वजह से होता हें

मैंने यहाँ आपको कुछ शरीर के अंगों के बारे में बताया हें। बाल ,कान ,आँखें ,गर्दन ,गला ,बाहें ,हाथ ,उंगली ,पीठ ,साँस ,फेफड़े ,वक्ष ,ह्रदय ,पेट ,बड़ी आँत ,पाँव ,घुटने ,त्वचा ,दुर्घटनाएँ ,एनोरएक्सिया बुलिमिया , इन सब के बारे में मैंने बताने की कोशिश की हें। आप इनको अपने आप ठीक कर सकते हें

बाल हम यह नहीं जानते की हमारे विचारों का हमारे जीवन पर ही नहीं हमारे बालों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता हें।बाल हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे सिर के बाल बताते हैं। कि हम कितना हेल्दी हैं।जब हम तनाव में होते हैं। या अपने बारे में अपने बारे में निश्चिंत नहीं होते, तो हमारे बाल अपनी जड़ों से सिकुड़ जाते हैं। और इतना सिकुड़ जाते हैं कि हमारे बाल सांस लेने में भी असमर्थ हो जाते हैं।इस कारण वह मर जाते हैं।और बहुत अधिक मात्रा में टूटने लगते हैं। या झड़ने लगते हैं

और यदि हम हमेशा ही तनाव में रहते हैं तो हमारा सिर सहज नहीं हो पाता। और बालों का सिकुड़ना लगातार जारी रहता है।

फिर धीरे-धीरे हमें पता ही नहीं चलता कि यह हो क्या रहा है?

कभी हम सोचते हैं कि क्या यह शैंपू की वजह से है?

कभी सोचते हैं शायद पानी खराब है। और हम अलग अलग शैंपू बदलने लगते हैं परंतु बाल ठीक नहीं हो पाते हैं।और हम गंजेपन की तरफ बढ़ जाते हैं। और एक दिन गंजे हो जाते हैं |

महिलाओं का भी यही प्रॉब्लम है कि वह बाल बहुत टूटने से परेशान हैं।

हमेशा यही सोचती हैं कि बाल बहुत टूट रहे हैं कैसे करें?

क्या किया जाए?

परंतु क्या आपने सोचा है कि जब से महिलाएं घर को छोड़कर बाहर का काम कर रही हैं ?

तब से उनकी मानसिक परेशानियां बढ़ गई हैं।उनको घर और बाहर दोनों को देखना पड़ता है। इस कारण वह घर का और दुनिया का सारा तनाव झेल रही है।जब हम तनाव में होते हैं तो एक तरह से कमजोर होते हैं।और हमें बहुत कोशिश करनी पड़ती है सहज और शांत होने के लिए।

हमें अंदर से अपने को मजबूत और सुरक्षित महसूस करने के लिए अच्छा होगा कि हम अपने शरीर को आदेश दें ।

जैसे हे जीव तू शांत हो जा”

हम अपने दिमाग और अपने शरीर को आराम में लाने की कोशिश करें। अपनी खोपड़ी को सहज होने को कहें। और देखें क्या फर्क है यदि हमें फर्क लगता है तो इस अभ्यास को बार-बार करें। लेकिन आपके बालों की दशा सुधारने लग जाएगी।

कान

कान हमारे जीवन में जरूरी अंग हें।भगवान ने कान हमें सुनने के लिए दिए हैं। वह हमारे सुनने की क्षमता को दर्शाता हैं। यदि हमें लगता है कि हमारे कानों में कोई समस्या है। तो इसका मतलब है कि हमारे कानों में ऐसा कुछ घट रहा है। वह शब्द जिन्हें हम सुनना नहीं चाहते। अगर हमारे कान में दर्द है तो इसका यह अभिप्राय है।कि जो हम अपने कानों से सुन रहे हैं वह हमें सुनना पसंद नहीं है।और हम उस पर गुस्सा है।

अक्सर बच्चों को हम देखते हैं। कि बच्चों को बे वजह कान में कभी भी दर्द हो जाता है। क्योंकि बच्चों को कई बार घर में ऐसी बातें सुननी पड़ती है। जो वह सुनना नहीं चाहते । घर में उनके अभिभावक उन्हें गुस्सा होने से रोकते हैं। और बच्चे उस समय की परेशानी को संभाल नहीं पाते। और उस समय की स्थिति को ना बदलने की वजह से भी कान दर्द हो जाता है।

बहरापन इस बात को प्रमाणित करता है । जो व्यक्ति बहरा है ,वह काफी समय से किसी की बात नहीं सुनना चाहता, क्योंकि कई बार जब कोई बोलता है। और हमें सुनना नहीं होता। तो हम सोचते हैं कि क्यों ना कान में रुई डाल ले। या क्यों ना वहां से उठकर कहीं चले जाएं। दूसरे कमरे में जहां हमें बेहतर ना सुनाई दे।

अपने घर का नियम बनाएं कि किसी भी चीज के लिए किसी को ज़बरदस्ती नहीं बोला जाए। जब हम किसी से कुछ कहते हैं। तो देखा जाए उसका दूसरे आदमी पर क्या असर कर रहा है।हम फालतू तो नहीं बोल रहे।                   

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