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विचार और बीमारियाँ

अपडेट करने की तारीख: 21 जन॰ 2022



आपके विचार आपकी बीमारियों के कारण है ? आप अपने शरीर की बीमारियों को अपने आप कैसे ठीक कर सकते हेँ ?

हमारे शरीर में बीमारियाँ होती ही क्यों हें ?

हमारे बीमार होने का कारण हम स्वयं तो नहीं ?

हमारे शरीर में जो होता हें।हमारे विचार ओर भावनाओं की वजह से होता हें। मैंने यहाँ आपको कुछ शरीर के अंगों के बारे में बताया हें ।



बाल ,कान ,आँखें ,गर्दन ,गला ,बाहें ,हाथ ,उंगली ,पीठ ,साँस ,फेफड़े ,वक्ष ,ह्रदय ,पेट ,बड़ी आँत ,पाँव ,घुटने ,त्वचा ,दुर्घटनाएँ ,एनोरएक्सिया बुलिमिया ,


इन सब के बारे में मैंने बताने की कोशिश की हें । आप इनको अपने आप ठीक कर सकते हें।


पाँव (Legs)

पाँव हम बात करते हैं पाँव की|

हमें पाँव हमेशा आगे चलना सिखाते हैं।अगर हमारे पैरों में कोई परेशानी है। तो उसकी वजह है कि पैर किसी दिशा में पढ़ना नहीं चाहते।जिस दिशा को हम पसंद नहीं करते।हम पैरों से दौड़ते हैं ।अपने मंजिल तक पहुंचाने में पैरों की बड़ी भूमिका है। अगर कोई परेशानी चलने में आ रही है।तो हमें रुक कर सोचना चाहिए।कि हम कहीं गलत दिशा में तो नहीं चल रही।                                                                          


जांघ

हमारी जांघ है


बचपन से जिनमें गुस्सा भरा होता था। यह नाराजगी से भरी जांघें  भी कुछ कहती हैं।


जब हम कुछ भी नहीं करना चाहते। तो हमें पैरों में दर्द थोड़ी थोड़ी परेशानियां हो जाती हैं।                                                                             


घुटने /Knee

घुटने अब हम बात करते हैं घुटने की।

गर्दन की तरह घुटने भी लचीले  होते हें। वह बहुत  ही  फ्लैक्सिबल होते हैं। बातें जब पैरों की जांघों की या घुटनों की होती है। तो यह सवाल लाज़िमी है। क्या आप उसी रास्ते पर जा रहे हैं।जहां जाना चाहते थे? हम जहां तक घुटनों में फ्लैक्सिबल देखते हैं। वहां साथ में ही उनमें अकड़  ओर नहीं  झुकने का जिद्दीपन हें।                                                                                                                          

हम जब भी आगे बढ़ते हैं।और कई बार में मोड़ आने पर सोचते हें। कि यह सही है या नहीं। डर जाते हैं। इस डर की वजह से हमारे घुटनों का लचीलापन धीरे धीरे कम हो जाता है।फिर भी हम आगे बढ़ते रहते हैं। पर अपने डर को खत्म करने या रास्ते को सही से नहीं देखते।जब हम अपना तरीका नहीं बदलते क्योंकि हमारे ईगो इससे  से जुड़ा होता है।                                                                                                                                                                      

इसलिए जब भी चोट लगती है तो यही कारण है। कि चोट  भरने में काफी वक्त लगता है। क्योंकि घुटने का जख्म गहरा होता है। परेशानी हो तो अपने आप से यह जरूर पूछें। कि आप किसी भी बात के लिए अपने आप को कितना सही समझते हैं। और कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपना ईगो छोड़ने के लिए बच रहे हो। या छोड़ना ही नहीं चाहते हो।आप अपनों को छोड़ दें।और जो भी खराब यादें और बातें हैं भूल जाएं।                                                                    

जीवन है और यह हमेशा चलता रहता है| हमें अपनी जिंदगी चलाने के लिए होना जरूरी है| अपने आपको जिंदगी में अच्छा बुरा जो भी बहाब आये उसके साथ बह सकें | रुके नहीं| जो जिंदगी के साथ बहता है| वह ठीक रहता है| जो अकड़ कर कर खड़ा रहता है| उसे सबसे ज्यादा परेशानियां होती हैं|

हम अपनी सूझबूझ से अपने पैरों की परेशानियां काफी कम कर सकते हैं| जब हम बुजुर्ग होते हैं| तब हमें चलने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है| क्योंकि पैर लड़खड़ाते हैं| स्थिर नहीं रह पाते| बैलेंस नहीं संभलता | इसलिए बुजुर्ग आदमी ज्यादा गिर जाते हैं |अगर वह बिना सहारे चलते हैं| उनकी समझ भी बिगड़ जाती है| और वह समझते हैं कि उनके लिए कहीं जाने का रास्ता ही नहीं है|

और अपने मन में ऐसे ही सोच लेते हैं| जैसे उनकी जिंदगी ठहर गई हो | और उन में आगे बढ़ने की इच्छा ही खत्म हो जाती है|


त्वचा /Skin

त्वचा अब हम बात करते हैं त्वचा की| त्वचा हमें अपने का एहसास दिलाती है| जब हमारा अपने अस्तित्व को खतरा होता है| या हमें लगता है कि लोग हमें जवाब दे रहे हैं| हमें नकार रहे हैं तो हम यह देखते हैं| कि हमें त्वचा की परेशानी का कारण हमारी सोच ही होती है| हमें अपनी त्वचा को अगर जल्दी जल्दी ठीक करना चाहते हैं |तो हमें अपनी त्वचा को पोषण देने वाले विचारों और शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए| कि मैं जैसा भी हूं खुद को स्वीकार करता हूं| यह दिन में कई बार बोले |और सोचे कि ऐसा कहने से आपको व शक्ति फिर से मिल रही है |जो खो गई थी| तो आपकी त्वचा वापस बहुत अच्छी दिखेगी|


माइग्रेन/सिर दर्द

माइग्रेन हम बात करते हैं माइग्रेन की| माइग्रेन का दर्द बहुत भयानक होता है| दो-दो पेन किलर खाने से भी ठीक नहीं होता| माइग्रेन का दर्द उन लोगों को ही परेशान करता है| जो अपनी जिंदगी में पूर्ण बनना चाहते हैं| उसके कारण वह अपने ऊपर इतना ज्यादा दबाव ले लेते हैं| की इस कोशिश में वह माइग्रेन से पीड़ित हो जाते हैं| क्योंकि पूर्ण ना बनने के कारण इतना गुस्सा भर जाता है| जो माइग्रेन का कारण बनता है| क्या आप जानते हैं? हम आजकल की जिंदगी में सब कुछ बहुत ही जल्दी करना चाहते हैं| ना हम खाना इत्मीनान से खाते हैं |ना ही कोई काम तसल्ली से करते हैं| हर काम बस पलक झपकते करना चाहते हैं| इसलिए उन सब का प्रेशर हमारा दिल और दिमाग सहन नहीं कर पाते| और बीमारियों के कारण बन जाते हैं |हमारी जिंदगी में हमारे विचार और हमारे सोचने के कारण बहुत सी बीमारियां होती हैं|

दुर्घटनाएं

दुर्घटनाएँ कभी-कभी दुर्घटनाएँ भी उसी के कारण होती हैं| दरअसल दुर्घटनाएँ भी हम खुद ही पैदा करते हैं| आप ये कहेंगे कि कौन जानबूझकर दुर्घटनाग्रस्त होना चाहता है| परंतु हम देखते हैं कुछ लोगों के साथ दुर्घटना ज्यादा होती है| और कुछ के साथ बिल्कुल नहीं होती |उसकी वजह है पहली वजह तो गुस्सा ही होता है| दूसरी वजह वह कभी भी अपने हक के लिए नहीं बोल पाते| उस वजह से निराश हताश और परेशान रहते हैं| कभी कभी हमको जिस पर गुस्सा आ रहा होता है| हम उससे विद्रोह करने के चक्कर में हमें ध्यान ही नहीं होता| और जोश में दुर्घटनाओं का शिकार हम खुद ही हो जाते हैं|

कभी-कभी हम बहुत गुस्से में होते हैं| और हमें लगता है कि गलती हमारी है| तो हम अपने को सजा देने की जरूरत महसूस करते हैं| और उस समय दुर्घटना अपने आप हो जाती है| क्योंकि हम बेध्यानी में होते हैं|

तीसरी वजह है कभी ऐसा लगता है| यार हमारी तो किस्मत ही खराब है| दुर्घटना को हमारी किस्मत ऐसे बुलाती है |जैसे कि आ बैल मुझे मार |

परंतु दुर्घटना हमें हमेशा दूसरों के प्रति दयालुता और अपनापन एवं उनका ध्यान रखने की शिक्षा देती है| दुर्घटना से जिस हिस्से में दर्द होता है| तो हमें यह समझ लेना चाहिए| कि जिंदगी के कौन कौन से पक्ष की वजह से हम अपने को उसका जिम्मेदार मानते हैं| हमारी शारीरिक तकलीफ इस बात को दिखाती हैं| कि हम कब तक अपनी तकलीफ सहन कर सकते हैं| और अपने शरीर को कितनी सजा और दे सकते हैं|

एनोरएक्सिया बुलिमिया एनोरेक्सिया बुलिमिया यह कैसी परेशानी है? इसमें हम ना खाना चाहते हैं| ना कुछ और लेना चाहते हैं| ऐसा लगता है जैसे जिंदगी से बेजार हो गए| क्या आप जानते हैं ?आप अपने खाने के लिए क्यों मना कर रहे हैं? क्या आप ऐसे ही बिना खाए मरना चाहते हैं?

आपकी जिंदगी में क्या हो रहा है? क्या आप उससे भुगतने से बचना चाहते हो? आप अपने आप से इतनी नफरत क्यों कर रहे हो? क्या आपको अपनी जिंदगी से प्यार ही नहीं है? प्यार होता तो जो आपके शरीर को पोषण देता है| और आप उस खाने को खाने से इंकार नहीं करते| इसका कारण क्याहें ?

आपके साथ गलत व्यवहार हो रहा है क्या? आप का पालन पोषण जिस परिवार में हुआ वह अपने आदर्शों के लिए बहुत सख्त था क्या? क्या आपके परिवार में आप की कोई कीमत नहीं थी? क्या आप जैसे हैं आपके परिवार को उससे बहुत ज्यादा चाहिए था?

हमेशा हम उन सभी बातों को ढूंढना चाहते हैं| जो हमें यह बता सके कि हम जैसे हैं हमें कोई भी उस रूप में प्यार क्यों नहीं करता? कुछ लोगों को अपने मोटे पन से परेशानी है |कुछ को पतले होने से| सभी मैं परफेक्ट तो कोई नहीं होता? हम जैसे हैं हमें अपने को वैसा ही स्वीकार कर लेना चाहिए |क्यों की लोग तो हर एक में गलती निकालेंगे |

बाल (HAIR)

बाल हम यह नहीं जानते की हमारे विचारों का हमारे जीवन पर ही नहीं हमारे बालों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता हें | बाल हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण है| हमारे सिर के बाल बताते हैं| कि हम कितना हेल्दी हैं| जब हम तनाव में होते हैं| या अपने बारे में अपने बारे में निश्चिंत नहीं होते, तो हमारे बाल अपनी जड़ों से सिकुड़ जाते हैं |और इतना सिकुड़ जाते हैं कि हमारे बाल सांस लेने में भी असमर्थ हो जाते हैं| इस कारण वह मर जाते हैं| और बहुत अधिक मात्रा में टूटने लगते हैं| या झड़ने लगते हैं|

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