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वृद्धावस्था रुई का बोझ



क्यों वृद्धावस्था रूई का बोझ बन जाती है।वृद्धावस्था रूई का बोझ इसलिए बन जाती है क्योंकि वृद्धावस्था में आदमी पहले से ही अपना सब कुछ परिवार को सौंप देता है।और आर्थिक रूप से वह बहुत ही ज्यादा कमजोर हो जाता है।

वह सोचता है कि उसे बाद में भी तो इसे परिवार को ही देना है। इसलिए वह पहले से ही सब कुछ दे देता है।जब वह अपना पैसा अपनों में बांट रहा होता है। तब तो वह सबको बहुत ही अच्छा लगता है। सब चाहते हैं कि उस समय वह उनके ही पास रहे।

परंतु जैसे-जैसे दिन बीत जाते हैं।वैसे वैसे ही उनको परेशानियां लगने लगती हैं।जब वह जिसके पास रहता है। शुरू में तो उसका ठीक से ध्यान रखा जाता है।उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया जाता है।और उसे पूरा इज्जत और सम्मान से रखा जाता है।


परंतु किसी को यह पता ही नहीं चलता कि धीरे-धीरे कब बाद में रुई का बोझ लगने लगता है।

1.उन का बीमार होना।

2.उन का सारा दिन खाँसना।

3.उन के द्वारा इधर-उधर थूकना।

4.उन का ठीक से चल भी नहीं पाना ।

5.और उन का बार-बार पानी मांगना।

6.एवं उन का बार-बार आवाज लगाना।

7.और तुम्हारा उनकी आवाज को सुनकर अनसुना कर देना।

8.कभी-कभी उन का कुछ खाने की फरमाइश करना।

9.और तुम्हारा यह कह कर मना कर देना।

10.कोई उम्र है तुम्हारी यह सब खाने की।

11.जब बीमार हो जाओगे।तब क्या होगा?

12.यह सब खाने से पेट खराब हो जाएगा।

13.और तुम हजम भी नहीं कर पाओगे।

14.और हम सब परेशान होंगे।

15.कई बार दवाई मांगने या लाने को कहना k

16.और तुम्हारा दवाई लाना भूल जाना।

17.बुजुर्ग आदमी को कम सुनाई देना।

18.अपनी सभी बातों को कहना और भूल जाना।

19.खाना खाया की नही यह भी भूल जाना।

20.नहाये की नही,यह भी भूल जाना।

21.हाथ पावँ का कांपना।

22.तुम्हारा उसको किसी से मिलने ना देना।

23.अल्जाइमर की बीमारी का होना।

24.हड्डियों का एवं शरीर का कमजोर हो जाना।

25.दिमागी यददस्त का कमजोर हो जाना।

25.आपका अपनों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाना।

क्योंकि वृद्ध आदमी जब किसी से मिलता है।तो वह अपनी सारी परेशानियां बताने लगता है क्योंकि बहुत समय से वह किसी से बात भी नहीं कर पाता। ना ही कोई उस से मिलता है।

इसलिए जब कोई उससे मिलने आता है। तो वह उसके सामने अपना दिल खोल देता है।और सारी बातें बता देता है।परंतु यह बात उसके बच्चों को बिल्कुल पसंद नहीं आती।

इसलिए जब भी कोई उनके घर आता है। तब वह उससे उनको मिलने ही नहीं देते।उनसे मिलना उनके लिए मना होता है।

जब शुरू में रहते हैं तो प्यारे लगते हैं। पर धीरे धीरे प्यार कम होने लगता है। और उनके बच्चों पर धीरे धीरे उनको संभालने का बोझ बड़ता जाता है।

और जब शुरू में वे उनके पास आए थे। तब वह रुई की तरह हल्के लगते थे।परंतु समय बीतता गया पता ही नहीं चला कि कब अपने ही बच्चों को जैसे रुई पानी से भर गई हो।

रूई और भारी हो गई।वैसे ही उनके प्रति प्रेम भी पानी भरी हुई रुई की तरह भारी हो गया। अब उनको उनके साथ रहने में बहुत सारी परेशानियां लगने लगी।

जो पहले नहीं लगती थी। अब उनको उनकी सारी बातें मुसीबत लगते हैं।|अब उनको उनका प्यार जताना भी बुरा लगता है।

अब उनको कुछ कहना,और टोकना सब कुछ बहुत बुरा लगता है।यह रुई नहीं रूई का बोझ है।वृद्धावस्था उसी तरह की रूई का बोझ है।


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