यह एक बहुत बड़ी समस्या है।सब सोचते हैं की यह क्या हो रहा है?क्यों की ऐसी तो कल्पना कहीं थी ही नहीं। की ऐसा भी हो सकता है
मैं कोशिश कर रही हूं कि जिन लोगों की जिंदगी में ही समस्या है।शायद मैं उसी को दूर करने की कोशिश कर रही हूं।
यह हमें ऐसे भी कह सकते हैं।शादी से पहले जो प्यार सब कुछ लगता था।कि तुम मेरी जिंदगी में क्या आई हो?ज़िंदगी में मानो सारा जहां मिल गया।
मुझे सब कुछ मिल गया।शादी के बाद ही वह प्रेम कहां चला जाता है?
जब यह सवाल एक व्यक्ति ने विवाह संबंधी एक परामर्शदाता से पूछा।
तो उसने पूछा क्या?

आप कहना क्या चाहते हैं?
वह बोला मैंने शादी की है। शादी से पहले मुझे लगता था कि मैं जन्नत में हूं। मेरे से ज्यादा भाग्यशाली कोई नहीं है।मैं बहुत किस्मत वाला हूँ। मुझे तुम मिली हो।
पर जब शादी हुई। सब कुछ अलग था। वैसा नहीं जैसा सोचा था। समझ ही नहीं आया की यह सब क्या है?
तो पता नहीं ऐसा क्या हुआ?
कैसे हुआ?
और क्यों हुआ?
मुझे लगा सब कुछ बिखर रहा है। समझ नहीं आ रहा था। शादी से पहले ढेर सारा प्यार था।वह कहाँ काफूर हो गया।
मैं एक बहुत अच्छा बिजनेसमैन हूं। पर यहां कैसे फैल हो रहा हूं?
क्या हर एक के साथ ही ऐसा होता है?
हर एक के साथ ऐसा कुछ अलग अलग प्रकार से होता है।
1.किसी के हनीमून के बाद ही सपने ध्वस्त हो जाते हैं।और वह झटका तो इतना जबरदस्त होता है, कि व्यक्ति उसमें से उभर भी नहीं पाता।दोनों के सपने अलग प्रकार के होते हैं।
2. किसी के बच्चा होने के बाद यह सब परेशानी शुरू हो जाती है।वो वाला प्यार हवा हो जाता हाई। जिसे समझ कर शादी की थी।
क्योंकि पत्नी का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ बच्चे पर केंद्रित हो जाता है।ऐसा लगता है कि उसे उसकी कोई जरूरत ही नहीं। अगर मैं पत्नी से इस बात पर कुछ कहता हूँ। तो पत्नी भी भड़क जाती है।क्यों तुम्हें मेरी परेशानियां समझ नहीं आती है?
क्या 24 घंटे इस बच्चे की निगरानी में कितनी मुश्किल से करती हूं?
उसके अलावा घर का काम और भी जिम्मेदारी है।
क्या हालत हो गई है मेरी?
कभी फुर्सत निकालकर मेरे बारे में सोचना।
तब ऐसा लगता है कि हम दूर हो रहे है। हमारे बीच प्यार का जो लहराता वृक्ष था।वह लगभग मुरझा रहा है। और उसके पत्ते सूखने लग गए हैं।

शादी से पहले तो एक दूसरे की हर बात बहुत अच्छी और तारीफ ए काबिल लगती थी।
परंतु जब शादी हो जाती है। तो घर की जिम्मेदारियों के साथ पति का गीला तोलिया बिस्तर पर पड़ा करता है।उनका कपड़े बिखेर देना। सामान को सही स्थान पर ना रखना।
इधर-उधर फैला देना।
यह सब और भी बहुत सारे काम बढ़ा देता है। जो परेशानी की वजह बन जाते हैं। और कुछ ही महीनों में शिकायतों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
हर व्यक्ति के मन में एक ही सवाल गूंजता रहता है।
इतनी सारी कमियां कहां से पैदा हो गई?
पहले तो मैं एक परफेक्ट व्यक्ति था। अब हमारे प्रेम को क्या हुआ?
क्या सभी के साथ ऐसा होता है जो मेरे साथ हो रहा है?
कुछ लोग मजाक में ऐसे ही कुछ नुस्खे दे देते हैं। कि तुम ऐसा करो, वैसा करो, सब ठीक हो जाएगा।
जैसे कैंसर के मरीज को दर्द से कुछ समय के राहत के लिए एक एस्पिरिन दे देना।
कभी-कभी लोग किताबें भी पढ़ते हैं। जैसे जीवन साथी के को खुश करने की 101 नायाब नुस्खे।
पर उनको पढ़कर लगता है।इसमें से दो या तीन तो जरूर असर करेंगे।वह उन्हें आजमाने की कोशिश भी करता है।पर सब कुछ व्यर्थ लगने लगता है।
हमारे जीवन साथी को तो पता भी नहीं चलता। कि हम उसे खुश करने की कितनी कोशिश कर रहे हैं?
प्रेम की भाषा
हर व्यक्ति की प्रेम की भाषा अलग होती है। क्योंकि वह उस भाषा को बचपन से अपने परिवार,दोस्त,एवं रिश्तेदारों से सीखता है।और यह बात पति पत्नी दोनों पर लागू होती है।
1.अब दोनों की प्रेम की भाषा अलग है क्योंकि परिवार अलग हैं।
2.दोनों के घर में प्रेम के मायने अलग हैं।
तो मान लीजिए पति की भाषा बांग्ला है।और पत्नी की हिंदी तो पति उसे रिझाने के लिए बांग्ला में कुछ भी कहे।उसे कुछ समझ में नहीं आएगा।
यह पत्नी के साथ भी है कि वह उसे कुछ कहेगी तो पति को समझ नहीं आएगा। वह प्रेम अभिव्यक्त कर रही है। और उसके जीवनसाथी को पता ही नहीं चल रहा।
सबसे पहले तो हमें एक दूसरे की प्रेम की भाषा सीखना होगा। कि उसे किस भाषा में प्रेम समझ आता है।
जो आपके प्रेम की अभिव्यक्ति है वह किस भाषा में है ?
किस भाषा में एक दूसरे के ऊपर असर करती है?
तो जिंदगी आसान हो जाएगी।वह भाषा ऐसी होनी चाहिए कि हमारे प्यार के इजहार का संदेश हमारे जीवन साथी के दिल तक पहुंच जाए।सबसे पहले आप उस भाषा को सीखिए जिस भाषा में आपके जीवन साथी को आपके प्यार की भाषा समझ आ जाये।
कृपया इंतजार कीजिए ।
अगले भाग का धन्यवाद