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शादी दो दिलों का बंधन है।

शादी दो दिलों का बंधन है, 

जो बहुत ही प्यारा होता है।

उसकी हर रस्म निभाने को,

तन मन भी भावुक होता है।

पहला साल बीत जाता है,

एक दूजे को समझने में,

कौन क्याऔर कैसा है,

जानने और परखने में ?

साल बीतते बीतते रिश्ता,

थोड़ा मजबूत होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है,

जो बहुत ही प्यारा होता है।

दूसरा साल बीत जाता है,

घर के लोगों को समझने में,

उनके सपने उनकी ख्वाहिशों,

को पूरा करने में।

उनका दिल जीतने की चाहत में,

कभी दिल दुखी जब होता है।

शादी दो दिलों का बंधन हें,

जो बहुत ही प्यारा होता है।

तीसरा चौथा साल आने पर,

घर में खुशखबरी आती है।

दो दिलों को मजबूत करने को,

तीसरी कड़ी आ जाती है।

जिंदगी का वह लम्हा,

बहुत ही दिलकश ओर प्यारा होता है।

चौथा पांचवा साल बीत ,

जाता है बच्चे की किलकारी में।

उनके साथ में समय बिताना,

जीवन की फुलवारी में।

साथ बिताया समय वह,

जीवन में सबसे कीमती होता है।

शादी दो दिलों का बंधन हैं,

वह बहुत ही प्यारा होता हैं।

पाँचवा छटा साल आते आते,

एक और खुशखबरी आती है।

परिवार का पूरा होने की,

खुशियाँ दिल पर छा जाती है।

अब दो बच्चों की दुनिया में,

पूरा परिवार व्यस्त होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है,

अब आती है जिम्मेदारी,

परिवार को संभालने की,

थोड़े में काम नहीं चलता,

ज्यादा कमाई करने की।

परिवार के बढ़ने से उन पर,

काम का बोझ बढ़ जाता है।

शादी दो दिलों की बंधन है,

जो बहुत ही प्यारा होता हैं।

अब शुरू होती है समस्याएं,

घर और बाहर के जीवन की,

रोजाना बढ़ती नोकझोंक,

कभी काम ,कभी आमदनी की। , पेज no 1

पेज no 2

काम करें हम दोनों ही,

यह आखरी फैसला होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है।

फिर दोनों में यह मेरा पैसा,

यह तेरा पैसा चलता है।

सुनना चाहे कोई ना किसी की,

रोज ही झगड़ा होता है।

लड़ाई है यह अस्तित्व की ,

क्योंकि सब का अहम जो होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है।

सिर्फ पैसा ही नहीं काम पर भी,

अब दोनों झगड़ने लगते हैं।

सहनशक्ति नहीं थोड़ी सी भी,

दिन रात में लड़ने लगते हैं।

मगर छोड़कर अहम को ,

माफ एक दूजे को करना होता है।

शादी 2 दिलों का बंधन है।

होता है मुद्दा बहस का अब,

मैं ही क्यों ये सब काम करू?

तुम ही रहते निष्फिकर हमेशा ,

फिर मैं ही क्यों दिन रात मरूँ?

कभी ना मिलता सुकून इस घर में ,

दिल मेरा क्यों रोता है?

शादी दोनों का बंधन है।

बहुतों का यह प्रश्न ,क्यों हो जाता है?

प्यार कम शादी के बाद?

विषय यह सोचने का है ,

अपना प्यार संभालो शादी के बाद।

यह सात जन्म का बंधन है,

इसे बनाने वाला विधाता होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है।

केवल थोड़ा सा समझने से,

जीवन स्वर्ग बन सकता है।

शादी के बाद का कम प्यार ,

खुशियों से महक भी सकता है।

रख लो थोड़ी सहनशक्ति, कर दो माफ ,

यह खुशी का पहला कदम होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है

छोड़ दो सब पैसों का चक्कर,

क्या मेरा क्या तेरा है?

जब जिस्म दो और जान एक,

तो दोनों का एक ही होता है।

मिलजुल कर लो रहलो ,

जीवन में प्यार ही सब कुछ होता है।

शादी दो दिलों का बंधन है ,

जो बहुत ही प्यारा होता हैं।

केवल अपना लो एक मंत्र,

एक ने कही दूजे ने मानी।

ना होगा फिर कभी झगड़ा ,

नानक कहे दोनों ज्ञानी।

अपने को करो समर्पण तुम,

यही सच्चा प्यार होता है

.

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