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2020 का साल एवं 2021 का नया साल

2020 सब कहते हें । इस साल के बारे में की यह साल बहुत खराब रहा । परंतु इस साल में जो अच्छा हुआ उस पर कोई ध्यान ही नहीं देता । वैसे तो हमें बुराई छोड़ कर अच्छे पर ही ध्यान देना चाहिए । इसी बारे में मैंने कुछ लिखने की कोशिश की हें । जो हमने अपनी जिंदगी के 60 सालों में नहीं पाया ।वह हमें इस साल में देखने को मिला । इस साल में पूरा परिवार साथ रहा । सबने मिलकर घर में काम किया । और भी बहुत कुछ हें।जो मैंने अपनी कविता के द्वारा  लिखने की कोशिश की हें।यह भी सही हें की इस साल में बहुत लोगों का जीवन बदल गया कोरोना वायरस की वजह से ,सब का काम ,व्यापार सब कुछ बदल गया । पर जो जीवन सब लोगों ने इस साल में बिताया वैसे जीवन की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता । कभी ऐसा भी हो सकता हें । जो मैंने इस कविता में लिखा हें । वह इस साल की खूबियाँ हें ।

2020 का साल   

 यह साल 2020 भी, कितने कमाल का है। पूरा परिवार रहा एक साथ, मजा इस साल का है। माता-पिता ने बच्चों के, साथ बिताया पूरा वक्त। पहले जाते थे काम पर, आते थे वापस सोते वक्त। सब ने देखा अपने बच्चों, को सोते खाते पीते हुए। पहले कभी साथ ना थे, ना खाते ना पीते हुए। कब बच्चे सो गए, कब इतने बड़े हो गए । इस साल में पता चला, कितने होशियार हो गए। बुजुर्गों ने भी अपने परिवार, को बहुत करीब पाया। वरना कभी ना मिल पाते थे,पहले नज़दीक ना इतना पाया। लोगों ने सब घर में खाया, बाहर खाना बंद था। सभी पकाया घर में मिलकर, बाहर जाना बंद था। दो टी-शर्ट पजामे में,व घर के सादा कपड़ों में। निकल गया पूरा साल, ख़रीदा ना कुछ कपड़ों में । प्यार और मोहब्बत से ,पूरा परिवार के खिलखिला रहा। हर वक्त रहा था दूर-दूर, नज़दीक रहकर झिलमिलारहा । पूरा घर  निश्चित निश फिक्र हो गया मजा बहुत आ रहा आ रहा सारी चीजें बना बना कर, सब ख्वाहिशें पूरी की । खायी वह सब चीजें, जिनकी हर वक्त फरमाइश थी। ना चिंता कुछ काम की थी,लगा छुट्टियाँ चल रही। ना सोने की चिंता, न जागने की, दिनचर्या बदल रही। पूरा घर  निश्चित निश फिक्र हो गया मजा बहुत आ रहा आ रहा  टीवी देखो ताश खेलो, मन  मंद मंद मुस्कुरा रहा। जरूरत है सब सीमित हो गई ,आमदनी थी कम। गुजारा किया थोड़े में, खर्चे सब कर दिए खत्म। सब ने सीखा जीवन जीना, सादा तरीके से । आदत पड़ गई है ,अब रहना इसी तरीके से। सारे खर्चे खत्म हो गए, सस्ते में हो गई शादियाँ। अब सब ऐसे ही करके, रोकेंगे पैसों की बर्बादीयाँ । मिलते थे व्हाट्सएप पर, सबसे जा कर ना मिल पाए। बातें भी होती दूर-दूर से, करीब जाकर ना मिल पाए।


2020 और 2021 

भूल जाते हैं 2020 के, कोरोनावायरस के काल को ।   स्वागत की तैयारी करते, 2021 के नए साल को। भूल जाते हैं, हमने क्या खोया, और क्या पाया। इतना ही काफी है हमने ,अपनों को बचाया। । ना मिल पाए, ना जा पाए, हम कितने बदनसीब थे । भूल जाते हैं हम अपने ,रुपए पैसे के नुकसान को। सिर्फ हम जिंदा हैं, काफी है, ना भूलना चाहिए इंसान को।  ना साथ किसी का है, ना वह शादी पार्टियाँ । अभी तो यही याद है, केवल हम जिंदा हैं साथिया।  नए साल में हर एक चाहे, सब वैसा ना रहे । जो भुगता सब ने इस साल, कभी वैसा ना रहे। आये नया साल लेकर, एक नई उम्मीद के साथ। फिर से मनाये ख़ुशियाँ,मिलकर इकट्ठे हों साथ-साथ। सब का व्यापार और काम, रफ्तार पकड़ ले फिर से ही। जैसा था कोरोनावायरस से पहले ,वैसा हो फिर से ही । वक्त का पहिया, उस वक्त थमा, था वह दौड़ पड़े । ना आए ऐसा काल कभी, ना रुके कभी, हम दौड़ पड़े। इस साल ने हमें सिखाया, सीमित रखें अपनी जरूरतें ।  थोड़े में गुजारा करना, बदल लें हम अपनी आदतें । आने वाले साल में, इम्यूनिटी का रखेंगे ख्याल । फिर ना बोलेगी धावा कोई, बीमारी रहेगा ख्याल। नव वर्ष में रिश्तों को, महत्व देकर समझेंगे । अनमोल है यह रिश्ते,इनसे सबके घर मेंहकेंगे। नए वर्ष में जीवन की ,अनवरत दौड़ पर ध्यान देंगे। रुक कर जरूर थोड़ा सोचेंगे, ऐसे ही नहीं भागेंगे। सिर्फ पैसों को ही महत्व, ना देने का प्रण लेंगे। सेहत को नंबर वन में, और पैसों को दो नंबर देंगे। बच्चे भी परेशान है, अब तक स्कूल ना जाने से। तंग और व्याकुल है, वह भी घर पर ही रह जाने से । शुरू हो उनका स्कूल जाना, दिनचर्या फिर वैसे ही हो। फिर से मिले दोस्तों से, जिंदगी दोबारा से वैसी हो। 2020 ने बता दिया सेहत, और जीवन को। यह दोनों अनमोल ना खोना, किसी कीमत पर इनको। 

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