अपडेट करने की तारीख: 19 जन॰ 2022
सोच एक बहुत ही मामूली सा शब्द है। पर हर वक्त ,हर परिस्थिति में इसके मायने अलग अलग हो जाते हैं।

पहले हम सोच की अवस्थाएं देखते हैं।
क्या सोच रही हो?
सोचते सोचते कुछ ज्यादा ही संजीदा तो नहीं हो रहे?
किसके बारे में सोच रहे हैं?
अब हम सोच के कारणों के बारे में देखते हैं।सोच के बहुत सारे कारण हैं।
1.व्यवसाय के बारे में,
2. पैसे के बारे में,
3.अपनी जिम्मेदारियों के बारे में,
4.अपने प्यार के बारे में,
5.अपनी संतान के भविष्य के बारे में,
6. अपनी जॉब के बारे में,
7.अपनी बीमारियों के बारे में,
8. अपनी परिस्थितियों के बारे में,
9.अपने घर के वातावरण के बारे में,
10. अपने कर्ज़ों के बारे में।
बहुत सारे कारण है। सोच में डूबे रहने के।
पर क्या कारणों में उलझे रहना ठीक है?
1.इन कारणों से बाहर कैसे निकल पाएंगे?
2.क्या यह ठीक है?
3.इनसे निकलने के लिए क्या तरीका अपनाया जाए?
4.इन को कैसे अपने दिमाग से बाहर का रास्ता दिखाया जाए?
जो बातें हर वक्त कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं।
और सोच सिर्फ चिंता का विषय ही नहीं होती। इसका दूसरा पहलू भी होता है।
किसी किसी के लिए हम कहते हैं।
1. यार तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है।
2. कमाल की सोच पाई है।
3. तुम्हारी सोच में हर परेशानी का हल है।
4. तुम यह सोचते कैसे हो?
5. तुम्हारी सोच वहाँ तक पहुंचती कैसे हैं?
6. जवाब नहीं,तुम्हारी सोच का।
कहते हैं जैसी संगत वैसी रंगत।
अगर आप हर वक्त ऐसे लोगों के साथ घिरे रहते हैं। जो हर वक्त ही परेशानी की सोच में डूबे रहते हैं।
तो आपका व्यवहार और तरीका भी वैसी ही सोच का होगा। इसलिए आपको चुनाव करना होगा कि आपको कैसी सोच वालों के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना है।
1. जो समस्याओं में घिरे रहते हैं।
2.जिनके पास हर समस्या का समाधान है।
अब हम औरतों की सोच के विषय के बारे में बात करते हैं। उनकी सोच का विषय अलग है।

1.खाना क्या बनाऊं?
2. नाश्ता क्या बनाऊं?
3. रात के खाने में क्या बनाऊं?
4.इतने में मेड का फोन आ गया। मैडम आज मैं नहीं आ रही हूं। बेटा बहुत बीमार है। दो-तीन दिन बाद ही आऊंगी। एक और सोच का कारण पैदा हो गया।
5.घर में किसी का बीमार हो जाना.
6.अनायास बिना बताए किसी मेहमान का आ जाना।
7.घर का बजट गड़बड़ हो जाना।
8.आवश्यक सामानों का खत्म हो जाना।
9.बहुत समय तक मायके ना जा पाना।
10.किसी से गप्पे ना लड़ा पाना।
11.वक्त का अभाव पड़ जाना।
12.बच्चों का हाथ से निकल जाना।
13.परेशानियों के चलते स्वभाव का खराब हो जाना।
14. घर वालों से भरपूर प्यार और उत्साह का ना मिल पाना।
15. घरवालों का सहयोग ना मिलना।
16.अपनी मर्जी से 1 दिन भी ना जी पाना।
17. बच्चों की पढ़ाई से ध्यान हट जाना।
18. स्कूल से रोज शिकायतों का आना।
और भी बहुत सारे कारण है। आपको जो काम करने हैं।वह तो करने ही होंगे।
उन्हें आप नजरअंदाज नहीं कर सकते।
वह तो सब आवश्यक हैं।
आप कोई एक दिन भी बिना इन सब बातों को सोचे बिना नहीं रह सकते।
अगर हम हर वक्त सोचते रहते हैं। तो कुछ नहीं कर पाते।
यदि हम अपनी सोच में किसी और को शामिल कर लेते हैं।तो उनमें से बहुत सी सोच का समाधान मिल जाता है।
जिन सोचो का हम समाधान नहीं कर पा रहे हैं। उन सोचो का उत्तर हमारे नजदीकी और हम से प्यार करने वाले सुलझाने में सहयोगी होते हैं।
हो सकता है किसी सोच को हम बहुत बड़ा मान रहे हों। वह उनको चुटकियों में सुलझाने का कोई उपाय बता दे।

इसका एक सीधा फार्मूला यह भी है।
1.सोचो कम करो ज्यादा
तो समस्या से निजात पाया जा सकता है क्योंकि हल तो काम करने से ही निकलता है।
2.जैसे ही परेशानी वाली सोच आ जाए उसे उसी वक्त बदल कर उससे उल्टी सोच रखो यानि समस्या का हल मिल जाने की।तो भी समाधान मिल जाएगा।
3.अभी मेरे सिर में दर्द हो रहा है। और मैं सिर पर हाथ रख कर बैठी हूं। परंतु यदि इतनी सी सोच में बदल लूं कि नहीं मेरे सिर में दर्द नहीं है। मैं स्वस्थ हूं। तो आप देखेंगे थोड़ी सी देर में आप स्वयं को स्वस्थ ही महसूस करेंगे।
4.अगर हम अपने को हर वक्त व्यस्त रखें तो भी गलत सोच से छुटकारा पाया जा सकता है।
5.सोचने से ज्यादा जब काम करेंगे। तो शरीर में ऊर्जा बनेगी।और वह ज्यादा काम करने में सहायक होगी।
6.इसलिए सोचो नहीं करो