अपडेट करने की तारीख: 7 फ़र॰ 2022

कुछ लोग हर काम को,
तोल कर करते हैं।
जैसे मुस्कुराएंगे तो,
तोलेंगे कितना मुस्कुराना है?
हँसगे तो सोचेंगे कितना हंसे?
या सिर्फ बस जरा सा मुस्कुरा दे।
रोएंगे किसी बात पर तो,
भी समझेंगे कितना रोना है?
खाएंगे तो बताएंगे,
मैं तो सिर्फ इतना ही खाता हूं।
हर काम नापतोल कर करते हैं।
बोलना है,तब शायद यह याद ना रहे।
कितना बोलना है,क्या नहीं बोलना?
लड़ते वक्त याद ना रहे,
यह तो कहा ही नहीं?
क्या-क्या याद दिलाना था?
आप को बताना था।
समझाना था।पर भूल गए।
नाप तोल के नियम कैसे चूक गए?
जिंदगी नापतोल से,
नहीं चलती जनाब।
नहीं चलती है,
नियमों वाली किताबों से।
चलना कहीं चाहते हो,
ले जाती है कहीं और।
हंसना चाहते हो,
पकड़ा देती है गमों की डोर।
नापतोल में रहे,तो ना खा पाओगे।
ना जी पाओगे जब,
सोचोगे तो बड़ा पछताओगे।
छोड़ तराजू नापतोल की,
जी लों खुशियों में,
जी चाहे हंस लो,
मुस्कुरा लो, नाच लो खुशियों में।