top of page

अतिव्यस्त,


समय से आगे निकलने की होड़ ,

मैं जिंदगी पीछे छूटी जा रही है।

काम भी नहीं है कुछ करने को,

पर व्यस्तता दिखती जा रही है।

वैसे तो कुछ करता नहीं पर ,


अपने बच्चों का अतिव्यस्त पिता हूँ।

भागता रहता हूं ,हर वक्त ,

फिर भी सोचते हैं बड़ा सुस्त पिता हूँ।

हर बात में जल्दी करने की आदत,

ने बच्चों को कहानी भी जल्दी सुना डाली।

खाना खाना ,ईमेल करना ,बिल पे करना ,

न्यूज़ देखने में जिंदगी बिता डाली।

जिंदगी की एक ही कवायत है,

कैसे समय मैँ से समय निकालुँ।

समय का उपयोग करते हुए,

एक काम में दो और निपटा लूं ।

जितना तेज चलोगे ,उतना ज्यादा,

हासिल होगा जिंदगी में।

जल्दी-जल्दी ज्यादा ज्यादा के ,

चक्कर में बिखर गए जिंदगी में।

सबब रफ्तार परेशानी नहीं ,

यह सनक और सिकनेस है ।

कम समय में ज्यादा हासिल की ,

चाह यह भी तो एक एडिक्शन हैं।

हर चीज में जल्दी करते रहोगे ,

तो सब कुछ खो दोगे जीवन में।

कुछ के लिए इत्मीनान रखना,

जरूरी है आपके जीवन में ।

read more

जल्दी हर वक्त ,हर जगह काम ,

की नहीं प्रवृत्ति ठीक होती ।

जल्दी काम के चक्कर में ,

जंक फूड,शराब की लत होती।

काम के ज्यादा घंटों ने,

हालत मशीन बना दी।

आखिरी बूँद तक निचोड़,

कचरे में फेंकने की कर दी।

नुकसान जल्दी और जल्दी,

काम का परिवार को हो रहा।

सपने देखना, मौज मस्ती,

धमाचौकड़ी, सब व्यर्थ हो रहा है।

नाज बहुत था, जिस पर सबको,

महत्वकांक्षाओं का बोझ था ,

बच्चे के ब्रेकडाउन की वजह,

एक के बाद एक पांचवा पेपर था।

चीजों का आनंद लेने की,

क्षमता कभी की भूल चुके।

आधी छोड़ पूरी के चक्कर में,

आधी का मजा भी भूल चुके।

भूल गए बिना व्यवधान के ,

खुद के साथ अकेले रहना।

बिना उत्तेजना, रफ्तार, बेचैनी,

के शांति से बस बैठे रहना।

65 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें
bottom of page