
हम अपनी आदत से मजबूर हैं। किसी भी काम को करने के लिए, हम यही सोचते रहते हैं कि अभी रहने देते हैं। फिर किसी दिन कर लेंगे।
जो कभी आता ही नहीं है।
वही किसी दिन हमारे तनाव और अवसाद का सबसे बड़ा कारण और परिणाम दोनों ही हैं।
हर चीज का, हर काम का वक्त होता है।उसी वक्त में होना चाहिए।ना कि हमेशा कल पर टालना है।
आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है।अगर टेक्नोलॉजी साथ नहीं चले तो व्यवसाय में सबसे के पीछे रह जाएंगे।
जो है वह आज और अभी है। अगर आपको लगता है।आपने गलती की है। तो आज और अभी ही माफी मांग कर उसके दिल पर बोझ से मुक्ति पा लीजिए।
जब भी कोई नया विचार दिमाग में आता है। तो उसे तुरंत इंप्लीमेंट कर दीजिए। वही नया विचार किसी और के दिमाग में आ जाए उससे पहले।
पढ़ाई भी हम परीक्षा के दिनों में ही करते हैं।यही सोचकर पूरा साल बिता देते अभी तो बहुत वक्त है।
स्वास्थ्य संबंधी छोटी बड़ी परेशानियों को नजरअंदाज करते रहते हैं कि कल बॉडी चेकअप करा लेंगे।
किसी दिन जाने का वक्त निकालेंगे।पर कई बार अनजाने में बहुत देर कर देते हैं।
हम इस किसी दिन वाली मानसिकता से निकलते क्यों नहीं?
हम वक्त पर काम करते नहीं। उनकी ना करने की परेशानी रोज हमारे मन में तनाव बढ़ती है।और वह तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है।
और हम उसके बोझ के तले किसी दिन की मानसिकता में दब जाते हैं।
इन सब तनावों के कारण हम अपनी जिंदगी की रेखा को अपने आप ही छोटा करते रहते हैं।
इस बारे में नहीं समझते कि कोई काम कब करना है? कब करना चाहिए था ?कब किया गया?
अभी भी कल या किसी दिन पर डालकर तनाव और अवसाद से होने वाली बीमारियों को निमंत्रण देकर बुला लेते हैं।
यह जरूर समझे कि किसी दिन जैसा कोई दिन ही नहीं होता। जो है आज है। अभी है। इसी वक्त है।
हमें कल से ज्यादा तेज चलना चाहिए यानी किसी दिन के आने से पहले जाने वाले कल में ही उस काम को पूरा कर लेना चाहिए।

फिर हमें किसी दिन का इंतजार नहीं करना होगा।और हम अपनी ज़िंदगी बिना किसी तनाव और चिंता के बिता सकेंगे।