एक ऐसी लड़की की कहानी हें । जो लोगों के घर में काम करती हें । उसकी मनोदशा एवं उसकी वेदना को , मैंने शब्दों में पिरोने की कोशिश की हें।जो लोग हमारे घरों में काम करते हें।
वह लोग क्या क्या सोचते हें। मेंने उसका एक चित्र आपके सामने रखा है।
इस कविता के माद्यम से उम्मीद करती हूँ ,आपको अवश्य पसंद आएगी ।

तू मुझे बेचारी समझने की गलती ना कर !
किस्मत की मारी हूं, पर मेँ बेचारी नहीं हूँ ।
पढ़ ना पाई ज्यादा तो क्या,
दुनियादारी ज्यादा समझती हूँ ।
अच्छा खाना ना खा पाए तो क्या,
ज्यादा मेहनती ताकतवर हूँ ।
तू सिर्फ मेरे हौसले तो देख, मेहनत करके दुनिया के सपने देखती हूँ ।
तू मुझे बेचारी समझने की गलती ना कर,
मैं बेचारी नहीं हूँ ।
फैशन नहीं कर सकती तो क्या,
उसके बिना भी सुंदर दिखती हूँ ।
नई नई ड्रेस नहीं है तो क्या, पुरानी धो कर पहन लेती हूँ ।
तू सिर्फ मेरी सादगी को देख ,
लोगों की उतरन पहन कर भी,
खुश हो लेती हूँ ।
तुम मुझे बेचारी नासमझ,
मैं बेचारी नहीं हूँ ।
कहीं घूमने ना जा सकी तो क्या,
इतनी सी उम्र में दुनिया देखती हूँ ।
जो जितना बड़ा आदमी, तार-तार उसकी इज्जत का तमाशा देखती हूँ ।
तू मेरी जिद तो देख,
बिना घूमे दुनिया के लोग देख लेती हूँ ।
तुम मुझे बेचारी नासमझ,
मैं बेचारी नहीं हूँ ।
कभी होटल नहीं गई तो क्या, होटल की डिशेज बना लेती हूँ ।
अपने घर नहीं बना सके तो क्या,
औरों को बना के खिला देती हूँ । तू मेरा संतोष तो देख , उसे बिन खाए भी रह लेती हूँ ।
तू मुझे बेचारी ना समझ,
में बेचारी नहीं हूँ ।
ब्याही जाती हूं,
जब किसी गरीब के घर में,
जैसा भी हो, जो भी हो,
उसे अपना समझती हूँ,
सिर्फ करती हूं पीने की शिकायत, मार भी सह लेती हूँ ।
तू मेरा संघर्ष तो देख, कितना करती हूं, और कितना सहती हूँ ।
तू मुझे बेचारी नासमझ,
मैं बेचारी नहीं हूँ ।
बच्चे पैदा करके भी,
कभी आराम से ना बैठती हूँ ।
उनको किस्मत के हवाले कर, फिर काम शुरु कर देती हूँ ।
भूखे और प्यासे बच्चों को , अकेले घर में छोड़ती हूँ ।
तू मेरी ममता तो देख,
उन्हें सब दे सकूं,
इसलिए करती हूँ ।
तू मुझे बेचारी न समझ,
में बेचारी नहीं हूँ ।
बच्चों को पढ़ाना चाहती हूं,

झगड़ा उसके लिए सहती हूँ । फीस किताब कॉपी के लिए, कुछ और काम कर लेती हूँ ।
इच्छा करती हूं उन्हीं के लिए,
कुछ पढ़ लिख कर वह बन जाए। तू मेरी चाहतों को तो देख, अपनी उल्टी किस्मत को सीधा करती हूँ ।
तू मुझे बेचारी नासमझ,
मैं बेचारी नहीं हूँ …………….